रति भी तू,कामना भी तू,
कवि की सुंदर कल्पना है,
प्रेम से भरी मूरत है तू,
कुदरत का कोई करिश्मा है ...
सांवली रंगत,सूरत मोहिनी,
कातिलाना तेरी अदाएं है,
सात सुरों की सरगम तू,
फूलों की महकती डाली है....
नयन तेरे काले कज़रारे है,
लब ज्यूँ मय के प्याले है,
जिन पर हम दिल हारे है,
उल्फ़ते-राज़ ये गहरे है ....
हुस्नों-हया की मल्लिका तू,
हर इक दिल की धडकन है,
फुरसत से बनी प्रतिमा तू,
ईश्वर की निराली रचना है...
("मौलिक व अप्रकाशित")
Comment
सुन्दर कोमल भाव पिरोये है आपने मदमाती सी रचना है यह , हार्दिक बधाई आरती जी
बेहद शुक्रिया आदरणीया Sarita Bhatia जी...आभार
बहुत सुन्दर ,बधाई आरती जी
रचना सराहने के लिए आपका हार्दिक आभार आदरणीय Shyam Narain Verma जी..
बहुत सुन्दर और सार्थक प्रस्तुति , बधाई आप को | सादर |
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