For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

पियें मोरी अखियाँ श्याम रूप रस को

पियें मोरी अखियाँ श्याम रूप रस को ।

कण कण में देखें अपने सरबस को ।

शीश मोर मुकुट गले पुष्प माला ।

बड़ो प्यारो लागे मेरा नन्द लाला ।

ललचाये दिल मेरा उनके दरस को |

पियें मोरी अखियाँ श्याम रूप रस को ।

रेशम सी बालों कि लट प्यारी प्यारी ।

चन्दा से मुखड़े पे घटा कारी कारी ।

होंठ छलकाते हैं मधुर मय रस को ।

पियें मोरी अखियाँ श्याम रूप रस को ।

एक हाथ वंशी है तो दूजे लकुटिया ।

मोहताज़ उनकी मेरे मन की कुटिया ।

दिल से लगाऊं उनके चरणों की रज को ।

पियें मोरी अखियाँ श्याम रूप रस को ।

काले काले नैना हैं काली कमलिया ।

निहारा करूँ मै वो सूरत सवंलिया ।

पाया है मैंने जैसे अमृत कलस को ।

पियें मोरी अखियाँ श्याम रूप रस को ।

ग्यानी योगी संत जन पार नही पावें ।

वेद पुराण भी कह नेति नेति गावें |

गाउँ भला मै कैसे उनके सुयस को ।

पियें मोरी अखियाँ श्याम रूप रस को ।

मौलिक व अप्रकाशित

   नीरज 'प्रेम'

Views: 899

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Neeraj Nishchal on November 14, 2013 at 8:08pm

बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय चन्द्र शेखर जी ।

Comment by Neeraj Nishchal on November 14, 2013 at 8:07pm

बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय सुशील जी ।

Comment by Neeraj Nishchal on November 14, 2013 at 8:02pm

बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय शिज्जू भाई ।

Comment by Neeraj Nishchal on November 14, 2013 at 7:59pm

बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय गीतिका जी

Comment by Neeraj Nishchal on November 14, 2013 at 7:46pm

आदरणीय आशुतोष जी बहुत बहुत आभार ।

Comment by Neeraj Nishchal on November 14, 2013 at 7:45pm

आदरणीय विजय जी आपको भाव पूर्ण अनुग्रह ।

Comment by Neeraj Nishchal on November 14, 2013 at 7:42pm

बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय जीतेन्द्र जी

Comment by Neeraj Nishchal on November 13, 2013 at 5:39pm

बहुत बहुत आभार आदरणीय राम शिरोमणि पाठक जी

Comment by CHANDRA SHEKHAR PANDEY on November 13, 2013 at 12:06am

भक्ति भाव अच्छे लगे। बधाई

Comment by Sushil.Joshi on November 12, 2013 at 8:43pm

कृष्ण के प्रेम में डूबे इस सुंदर गीत हेतु बहुत बहुत बधाई आ0 नीरज भाई.....

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आ. भाई जैफ जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
6 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद।"
6 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आदरणीय ज़ैफ़ जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
9 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आदरणीय ज़ेफ जी, प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
10 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"//जिस्म जलने पर राख रह जाती है// शुक्रिया अमित जी, मुझे ये जानकारी नहीं थी। "
10 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आदरणीय अमित जी, आपकी टिप्पणी से सीखने को मिला। इसके लिए हार्दिक आभार। भविष्य में भी मार्ग दर्शन…"
10 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"शुक्रिया ज़ैफ़ जी, टिप्पणी में गिरह का शे'र भी डाल देंगे तो उम्मीद करता हूँ कि ग़ज़ल मान्य हो…"
10 hours ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आ. दयाराम जी, ग़ज़ल का अच्छा प्रयास रहा। आ. अमित जी की इस्लाह महत्वपूर्ण है।"
10 hours ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आ. अमित, ग़ज़ल पर आपकी बेहतरीन इस्लाह व हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिय:।"
10 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी, समयाभाव के चलते निदान न कर सकने का खेद है, लेकिन आदरणीय अमित जी ने बेहतर…"
10 hours ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आ. ऋचा जी, ग़ज़ल पर आपकी हौसला-अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिय:।"
10 hours ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आ. लक्ष्मण जी, आपका तह-ए-दिल से शुक्रिय:।"
10 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service