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तुम्हारी मुझे जुस्तजू न होती...

 बेहतर था

कुछ कमी न होती,

आँखों में

यूँ नमी न होती...

तुम न आते गर

‘’जान ‘’यूँ

अधूरी न होती...

बंद ही रहता

अँधेरा कमरा,

रौशनी की

फिर गुंजाइश न होती...

न देखते सपने

न पंखों की

उडान होती...

फूंका न होता

दिल अपना,

तुम्हारी हाथ सेकने की

जो फरमाइश न होती...

तुम्हारा ख्याल ही जो

झटक दिया होता,

मेरे प्यार की

फिर पैमाइश न होती...

प्यार न होता

ये हाल न होता,

यूँ मेरे खिलाफ़

फिर दुनिया न होती...

बेहतर होता

यूँ कमी न होती,

तुम्हारी मुझे

जुस्तजू न होती...

 

(मौलिक एव अप्रकाशित)

- प्रियंका

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Comment

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Comment by atul kushwah on December 16, 2013 at 10:42pm

बेहतर अभिव्यक्ति है प्रियंका जी।

तुम न आते गर

‘’जान ‘’यूँ

अधूरी न होती......यहां पर कुछ समझ नहीं पाया। 

Comment by Priyanka singh on November 2, 2013 at 10:27pm

आदरणीय सौरभ  जी ... .मार्गदर्शन के लिए आपका धन्यवाद सर ....


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on November 2, 2013 at 3:55am

आप इस मंच पर हैं. और अब एक अरसे से हैं.  इस मंच का आप सार्थक लाभ लें.

शुभेच्छाएँ

Comment by Priyanka singh on October 27, 2013 at 10:06pm

शुक्रिया ....आदरणीय अरविन्द जी ....

Comment by ARVIND BHATNAGAR on October 27, 2013 at 9:24pm
सुदर रचना के लिये बधाई. .......
Comment by Priyanka singh on October 27, 2013 at 7:56pm

बहुत बहुत शुक्रिया...राम जी ...

Comment by Priyanka singh on October 27, 2013 at 7:51pm

सराहना हेतु आपका हार्दिक आभार, आदरणीय विशाल जी ....सराहते रहे यूँही ...

Comment by Priyanka singh on October 27, 2013 at 7:50pm

सराहना हेतु आपका हार्दिक आभार....आदरणीय शिज्जू शकूर सर ....

Comment by Priyanka singh on October 27, 2013 at 7:50pm

चना की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार....आदरणीय विजय सर ...

अपना आशीर्वाद और स्नेह बनाये रखे ...आभार सर ......

Comment by Priyanka singh on October 27, 2013 at 7:46pm

बहुत बहुत शुक्रिया सुशील जोशी सर .....दिली शुक्रिया ....

कृपया ध्यान दे...

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