गीत (दूरियाँ जो ये बढ़ सी रही दरमियाँ)
दूरियाँ जो ये बढ़ सी रही दरमियाँ, कोशिशें करके इनको घटा दीजिए,
एक कदम मैं चलूँ, एक कदम तुम चलो, धूल नफरत की दिल से हटा दीजिए।
कहना चाहते हो गर तुम तो खुल के कहो,
वरना रिश्ता ये बदनाम हो जाएगा,
लाख चाहो छुपाना ज़माने से पर,
एक दिन ये सरेआम हो जाएगा,
सुबह की चाय में घोलकर प्यार को, थोड़ी - थोड़ी सी सबको पिला दीजिए,
एक कदम मैं चलूँ, एक कदम तुम चलो, धूल नफरत की दिल से हटा दीजिए।
दूरियाँ जो ये बढ़ सी रही दरमियाँ......
फेरना ना निगाहें हमें देखकर,
रूठ बैठे हो हमसे क्या काफी नहीं,
गल्तियाँ हो ही जाती हैं इन्सान से,
ऐसा भी क्या हमें कोई माफी नहीं,
मन तुम्हारा अगर हमसे चोटिल हुआ, उसमें यादों का मरहम लगा दीजिए,
एक कदम मैं चलूँ, एक कदम तुम चलो, धूल नफरत की दिल से हटा दीजिए।
दूरियाँ जो ये बढ़ सी रही दरमियाँ......
याद है एक दिन आप हमको मिले,
गालों पर मोतियों की थी बिखरी लड़ी,
बादलों ने उकेरी जो तेरी छवि,
आँसू बरसे वहाँ से भी बनके झड़ी,
इस उफनती नदी को मेरी आँख के, गहरे सागर में लाकर समा दीजिए,
एक कदम मैं चलूँ, एक कदम तुम चलो, धूल नफरत की दिल से हटा दीजिए।
दूरियाँ जो ये बढ़ सी रही दरमियाँ......
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सुशील जोशी
"मौलिक व अप्रकाशित"
Comment
आपके अनुमोदन के लिए बहुत बहुत आभार आ0 सौरभ जी..... आपकी अनमोल सलाह सर आँखों पर......
दिल से बधाई, आदरणीय.
सुन्दर गीत हुआ है.
वैसे एक ही गीत में एक ही बिम्ब के लिए तू, तुम और आप उचित नहीं माना जाता. और भाव की अभिव्यक्ति भी खिंच सी जाती है.
सादर
बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय बृजेश जी.... कृपया गीत के शिल्प से संबंधित जानकारी देने का प्रयास करें....
इस गीत पर अपनी अनमोल प्रतिक्रिया देने हेतु आपका हार्दिक धन्यवाद आदरणीया डॉ. प्राची जी.... आपने सही पहचाना.... अब तक तो मैं अपने गीतों में केवल स्वत: मन पर आने वाले भाव लिखता जाता हूँ..... यद्दपि मैं गीत लेखन में अभी एक नया विद्दार्थी हूँ, इसलिए आपसे अनुरोध है कि गीत की शिल्प रचना के विषय में थोड़ा विस्तार से समझाने का कष्ट करें.... मैंने इस संदर्भ में अंतर्जाल की सहायता लेने की भी काफी कोशिश की है लेकिन सफ़लता नहीं मिली.... आपसे एवं समस्त एड्मिन टीम से विनती है, यदि संभव हो तो ओबीओ पाठशाला के अंतर्गत गीत विधा के शिल्प पर भी प्रकाश डालें... जिससे मुझे अपने गीतों से खर-पतवार हटाने में सहायता मिल सके... सादर..
गीत पर स्नेह बरसाने के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद आदरणीया सावित्री जी....
गीत के भाव आपके मन को छूने में सफल रहे तो मेरी लेखनी भी सफल हुई, टिप्पणी के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद आदरणीय मुखर्जी साहब....
अपने इस गीत में आपकी इस अनमोल टिप्पणी को पाकर मैं धन्य हुआ आदरणीय अरुन निगम जी.... आपको गुरु मानकर आपके सानिध्य में कुण्डलिया छंद पर अपनी पकड़ को मजबूत करने का भविष्य में अवश्य प्रयास करूँगा.... आपके आशीर्वचनों के लिए दिल से आभार...
इस गीत को पसंद कर अपने विचार देने के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद आदरणीय अरुन भाई.....
आदरणीया महिमा जी.... आपको गीत अच्छा लगा इस हेतु आपका अतिश: धन्यवाद...
गीत आपको प्रभावित करने में सफल रहा तो मेरा लेखन भी सफल हुआ आदरणीय अनुराग जी...
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