For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

जीवन में पहली बार कुण्डलियाँ लिखने का प्रयास किया है. आप सबका मार्गदर्शन प्रार्थनीय है.

अम्बे तेरी वंदना, करता हूँ दिन-रात

मिल जाए मुझको जगह, चरणों में हे मात

चरणों में हे मात, सदा तेरे गुण गाऊँ

चरण-कमल-रज मात, नित्य ही शीश लगाऊँ

अर्पित हैं मन-प्राण, दया करिए जगदम्बे

शब्दों को दो अर्थ, मात मेरी हे अम्बे

.

- बृजेश नीरज

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 764

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by बृजेश नीरज on October 7, 2013 at 6:58pm

आदरणीया गीतिका जी मेरे प्रयास को आपका अनुमोदन प्राप्त हुआ, मेरे प्रयास की यही सार्थकता है!

Comment by वेदिका on October 7, 2013 at 1:46am

प्रथम प्रयास ही इतना उन्नत है कि मन हर्षित होता है

बधाई !!

Comment by बृजेश नीरज on October 4, 2013 at 5:37pm

आदरणीय जीतेन्द्र जी आपका हार्दिक आभार!

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on October 4, 2013 at 11:51am

सुंदर कुंडली रचना,बधाई स्वीकारें आदरणीय बृजेश जी

Comment by बृजेश नीरज on October 3, 2013 at 11:07pm

आदरणीया अन्नपूर्णा जी आपका हार्दिक आभार!

Comment by annapurna bajpai on October 3, 2013 at 10:47pm

आदरणीय बृजेश जी सुंदर कुण्डलिया रचन हेतु बधाई । 

Comment by बृजेश नीरज on October 3, 2013 at 6:55pm

आदरणीया प्राची जी आपका हार्दिक आभार!


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on October 3, 2013 at 6:49pm

बहुत ही सुन्दर सार्थक प्रयास है आदरणीय बृजेश जी 

जगज्जननी के श्री चरणों में अर्पित इस वंदन के लिए ह्रदय से बधाई 

Comment by बृजेश नीरज on October 3, 2013 at 6:15pm

आदरणीय सौरभ जी आपका हार्दिक आभार!


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on October 3, 2013 at 6:14pm

प्रथम प्रयास प्रिय अनुभूति .. .

बधाई

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Sunday
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Sunday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Sunday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Saturday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Saturday
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Saturday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service