For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

देते है आशीष वे, सर पर रखते हाथ

मन में श्रद्धा भाव हो, तभी श्राद्ध यथार्थ |

तभी श्राद्ध यथार्थ, सभी है उनकी माया

समझों वे है साथ, मिले उनकी ही छाया

मिले सभी संस्कार संज्ञान में जो लेते

माने हम उपकार,  पूर्वज ख़ुशी ही देते |

    

(2)

देवर हो लक्ष्मण तभी, सीता दे वर माथ   

माँ का हो आशीष तो मिले जगत का साथ |

मिले जगत का साथ, साथ में प्रभु की छाया

भ्राता से हो प्यार, सुखो का घर में साया

घर का हो कल्याण दिखता न कोई तेवर

पाकर सुन्दर सीख बने जो काबिल देवर |

(मौलिक व् अप्रकाशित)

-लक्ष्मण प्रसाद लडीवाला 

Views: 676

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on September 25, 2013 at 4:21pm

छंद पसंद करने के लिए आपका हार्दिक आभार श्री गिरिराज भंडारी जी एवं श्री (डॉ) अनुराग सैनी जी | सादर 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on September 25, 2013 at 4:19pm

उचित सुझाव हेतु धन्यवाद एवं कुंडलिया छंद सामयिक बता सराहने की लिए हार्दिक आभार भाई श्री रविकर जी 

Comment by अरुन 'अनन्त' on September 25, 2013 at 3:47pm

आदरणीय दोनों ही कुण्डलिया छंद बहुत ही सुन्दर बन पड़े हैं इस हेतु बधाई स्वीकारें. आदरणीय प्रथम कुण्डलिया में दोहे का प्रथम चरण स्पष्ट नहीं लगा और द्वतीय कुण्डलिया में रोला एक एक चरण में मात्रा अधिक हो रही जो कि इस प्रकार है.

1. पूर्वज दे आशीष ही .. आदरणीय कुछ अटपटा सा लग रहा है

२. घर का हो कल्याण दिखावे न कोई तेवर (यहाँ मात्रा 14 हो रही है कृपया पुनः देख लें)

Comment by डॉ. अनुराग सैनी on September 25, 2013 at 3:40pm

समसामयिक और प्रभावी ! शब्दों के क्रम को दुरुस्त कर दें ! आभार 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on September 25, 2013 at 2:07pm

आदरणीय लक्ष्मण भाई , बहुत अच्छी  सामयिक छंद की रचना की !! बधाई

Comment by रविकर on September 25, 2013 at 11:42am

पहली कुण्डलियाँ की प्रथम पंक्ति ऐसे कर लें-


देते हैं आशीष वे , सर पर रखते हाथ |
सादर

Comment by रविकर on September 25, 2013 at 11:38am

माने हम उपकार, ख़ुशी ही पूर्वज देते |

पहली में शब्द आगे पीछे करना है-

दूसरी कुंडलियाँ में
सुयोग्य को काबिल कर पढ़ें आदरणीय-

शुभकामनायें सामायिक कुंडलियाँ छंद हेतु-
सादर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 184 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
56 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post "मुसाफ़िर" हूँ मैं तो ठहर जाऊँ कैसे - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। विस्तृत टिप्पणी से उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।"
12 hours ago
Chetan Prakash and Dayaram Methani are now friends
21 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
""ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179 को सफल बनाने के लिए सभी सहभागियों का हार्दिक धन्यवाद।…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
""ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179 को सफल बनाने के लिए सभी सहभागियों का हार्दिक धन्यवाद।…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी, प्रदत्त विषय पर आपने बहुत बढ़िया प्रस्तुति का प्रयास किया है। इस…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई जयहिंद जी, सादर अभिवादन। अच्छी रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"बुझा दीप आँधी हमें मत डरा तू नहीं एक भी अब तमस की सुनेंगे"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल पर विस्तृत और मार्गदर्शक टिप्पणी के लिए आभार // कहो आँधियों…"
yesterday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"कुंडलिया  उजाला गया फैल है,देश में चहुँ ओर अंधे सभी मिलजुल के,खूब मचाएं शोर खूब मचाएं शोर,…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। सादर।"
Saturday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी आपने प्रदत्त विषय पर बहुत बढ़िया गजल कही है। गजल के प्रत्येक शेर पर हार्दिक…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service