For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

इक हलचल सी चौखट पर

नयनों में हैं स्वप्न भरे

 

उड़ता-फिरता इक तिनका

पछुआ से संघर्ष रहा

पेड़ों की शाखाओं पर

बाजों का आतंक रहा

 

तितली के इन पंखों ने   

कई सुनहरे रंग भरे

 

दूर क्षितिज की पलकों पर

इक किरण कुम्हलाई सी

साँझ धरा पर उतरी है

आँचल को ढलकाई सी

 

गहन तिमिर की गागर में

ढेरों जुगनू आन भरे

 

इन शब्दों के चित्रों में

दर्द उभर ही आते हैं

जाने क्यूँ पीड़ा से अब

राग छलक ही जाते हैं

 

इक छोटी सी आशा है

नित रग-रग में प्राण भरे 

                 - बृजेश नीरज

(मौलिक व अप्रकाशित)

 

Views: 732

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by बृजेश नीरज on September 25, 2013 at 11:01am

आदरणीय प्रदीप जी आपका हार्दिक आभार!

Comment by Pradeep Kumar Shukla on September 25, 2013 at 10:47am

bahut sundar laybaddh rachna Brijesh ji ... badhai iske liye ... yeh 'Navgeet' kya hai?

 

Comment by बृजेश नीरज on September 25, 2013 at 10:33am

आदरणीया प्राची जी आपका हार्दिक आभार!

आपकी टिपण्णी की ही प्रतीक्षा में था मैं.

मैं आपसे सहमत हूँ. तुकांतता साधने का प्रयास कर रहा था लेकिन आपके कहे के अनुसार तुक निर्धारित नहीं कर सका इस रचना में. इसका मुझे भी अफ़सोस है.


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on September 25, 2013 at 10:24am

आदरणीय बृजेश जी 

नवगीत पर आपके सतत प्रयास मुग्ध करते हैं ...बिम्बों के माध्य, से निस्सृत होते भाव सीधे हृदय तक पहुँच पाठक से हामी लेने में सक्षम होते हैं , यही आपकी लेखनी की खासियत भी है 

जिस हेतु आपको बारम्बार बहुत बहुत बधाई

अब शिल्प पर... मुझे ऐसा लगता है कि आप यदि तुकांतता पर और सुगढ़ प्रयास करें तो रचनाओं में निखार आएगा 

यथा यहाँ .. स्वप्न भरें, रंग भरे, आन भरे, प्राण भरे ............. यदि रेखांकित शब्दों में तुक मिलान किया जाता तो मधुरता बढ़ जाती. ( यह मेरी निजी राय है , आप सहमत/असहमत हो सकते हैं ) :-)))

हार्दिक शुभकामनाएं 

Comment by बृजेश नीरज on September 20, 2013 at 6:56pm

आदरणीया परवीन जी आपका हार्दिक आभार!

Comment by बृजेश नीरज on September 20, 2013 at 6:56pm

आदरणीय गिरिराज जी आपका हार्दिक आभार!

Comment by बृजेश नीरज on September 20, 2013 at 6:52pm

आदरणीया अन्नपूर्णा जी आपका हार्दिक आभार!

Comment by Parveen Malik on September 20, 2013 at 2:48pm
आदरणीय बृजेश जी बेहद खूबसूरत रचना ... सादर बधाई !

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on September 20, 2013 at 11:22am
आदरणीय बृजेश भाई , सुन्दर , अति सुन्दर रचना के लिये बधाई !!!

इन शब्दों के चित्रों में
दर्द उभर ही आते हैं
जाने क्यूँ पीड़ा से अब
राग छलक ही जाते हैं
इक छोटी सी आशा है
नित रग-रग में प्राण भरे -------- बेमिसाल लाइनें !!! वाह वा !!
Comment by annapurna bajpai on September 19, 2013 at 11:17pm

आ0 बृजेश जी सुंदर मनोभावों को व्यक्त करती आपकी रचना ! इस अनुपम रचना हेतु आपको बहुत बधाई । 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post शर्मिन्दगी - लघु कथा
"आदरणीय श्याम नारायण वर्मा जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय"
16 hours ago
Shyam Narain Verma commented on Sushil Sarna's blog post शर्मिन्दगी - लघु कथा
"नमस्ते जी, बहुत ही सुन्दर और ज्ञान वर्धक लघुकथा, हार्दिक बधाई l सादर"
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted blog posts
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted blog posts
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय मनन कुमार सिंह जी। बोलचाल में दोनों चलते हैं: खिलवाना, खिलाना/खेलाना।…"
Friday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आपका आभार उस्मानी जी। तू सब  के बदले  तुम सब  होना चाहिए।शेष ठीक है। पंच की उक्ति…"
Friday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"रचना भावपूर्ण है,पर पात्राधिक्य से कथ्य बोझिल हुआ लगता है।कसावट और बारीक बनावट वांछित है। भाषा…"
Friday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदरणीय शेख उस्मानी साहिब जी प्रयास पर  आपकी  अमूल्य प्रतिक्रिया ने उसे समृद्ध किया ।…"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदाब। इस बहुत ही दिलचस्प और गंभीर भी रचना पर हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह साहिब।  ऐसे…"
Friday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"जेठांश "क्या?" "नहीं समझा?" "नहीं तो।" "तो सुन।तू छोटा है,मैं…"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक स्वागत आदरणीय सुशील सरना साहिब। बढ़िया विषय और कथानक बढ़िया कथ्य लिए। हार्दिक बधाई। अंतिम…"
Friday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"माँ ...... "पापा"। "हाँ बेटे, राहुल "। "पापा, कोर्ट का टाईम हो रहा है ।…"
Friday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service