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वो देश जहाँ नारी महिमा, सदियों से गायी जाती है

वो देश जहाँ नारी महिमा, सदियों से गायी  जाती है । 

द्रौपदी, गार्गी और सीता, की कथा सुनाई  जाती है ॥ 
.
वो देश जहाँ के संस्कारों की, विश्व दुहाई देता है । 
वो देश जहाँ नारी हित में, तलवार उठाई जाती है ॥
.
उस देश की हालत देख के अब, नैनो से नीर टपकता है । 
अबला की लाज  दिए जैसी, हर शाम जलाई जाती है ॥
.
निष्ठुर, निकृष्ट, निर्लज्ज पुरुष, हर द्वार पे पाए जाते है । 
हर रोज  कोई मासूम कली, काँटों पे सुलाई जाती है ॥
.
जिसका हर रूप नए जीवन की, नयी कहानी गढ़ता है । 
उसके जीवन की कदम-कदम पे, बली  चढ़ाई जाती है ॥
.
एक कोख से लेकर जन्म, दूसरी कोख को डसता है निष्ठुर । 
एक बच्ची जनम से पहले यहाँ, सौ बार गिराई जाती है ॥
.
अब और नहीं लिख सकता कुछ, धमनी में रक्त उबलता है । 
वो पीर है दिल में वीर, की अब न कलम चलायी जाती है ॥ 
.
मौलिक व अप्रकाशित 

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Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on September 12, 2013 at 11:45am

सुन्दर मधुर और लाजवाब गीत रचना ! बधाई श्री अनिल चौहान "वीर" जी 

Comment by Anil Chauhan '' Veer" on September 11, 2013 at 8:13pm

आदरणीय Dr.Prachi Singh जी हार्दिक  शुक्रिया उत्साहवर्धन के लिए ... स्त्रियों पर होते अत्याचार ने भाव विभोर कर दिया और भावनाओं ने शब्दों का रूप ले लिया .... 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on September 11, 2013 at 7:04pm

रचना पहले शब्द से अंतिम शब्द तक पंक्ति दर पंक्ति हृदय की टीस से हामी लेती हुई आगे बढ़ती जाती है..

इस सामाजिक शर्मनाक पहलू को प्रस्तुत करती, स्त्रीजाति के साथ होते अन्याय को शब्द देती मुखर अभिव्यक्ति के लिए हृदय तल से बधाई स्वीकारें आ० अनिल चौहान जी 

शुभकामनाएँ 

Comment by Anil Chauhan '' Veer" on September 11, 2013 at 3:52pm

आदरणीय गिरिराज भंडारी जी बहुत बहुत शुक्रिया उत्साहवर्धन के लिए 

Comment by Anil Chauhan '' Veer" on September 11, 2013 at 3:51pm

आदरणीय annapurna bajpai जी बहुत बहुत शुक्रिया उत्साहवर्धन के लिए 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on September 11, 2013 at 2:39pm
वीर भाई , अनुपम रचना , लाजवाब बात !! बहुत बधाई !!
अब और नहीं लिख सकता कुछ, धमनी में रक्त उबलता है ।
वो पीर है दिल में वीर, की अब न कलम चलायी जाती है ॥ लाजवाब !!
Comment by annapurna bajpai on September 11, 2013 at 1:00pm

अब और नहीं लिख सकता कुछ, धमनी में रक्त उबलता है । 
वो पीर है दिल में वीर, की अब न कलम चलायी जाती है ॥ ................................... वाहह!!!  वीर जी , लाजवाब , उत्तम विचारों से
ओतप्रोत प्रवाह मयी रचना , बहुत बधाई आपको । 
Comment by Anil Chauhan '' Veer" on September 10, 2013 at 10:11pm

आदरणीय Kewal Prasad जी बहुत शुक्रिया उत्साहवर्धन के लिए 

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on September 10, 2013 at 9:30pm

आ0 अनिल भाई जी,  वाह! वाह! सुन्दर सरस प्रवाहमय ओज वाणी में सटीक कथ्य....! ढेरो बधाईयां।  सादर,   

Comment by Anil Chauhan '' Veer" on September 10, 2013 at 9:16pm

आदरणीय JAWAHAR LAL SINGH जी ...  बहुत शुक्रिया उत्साहवर्धन के लिए 

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