For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ऐ- जान जरा बात बताओ तो सही -- ग़ज़ल (राज )

दीवार तग़ाफुल  की  ये ढाओ  तो सही

इक बाँध रिफ़ाकत का बनाओ तो सही

 

आ पाक मुहब्बत में मिटा दें सरहदें

इस ओर  जरा हाथ बढ़ाओ  तो सही 

 

हैरान परेशान खड़े हो इस कदर 

ऐ- जान जरा बात बताओ तो सही

 

मैं पार तेरे नाम से कर जाऊं तपिश 

सैलाब- ए- अंगार बहाओ तो सही

 

वीरान निगाहों  में तेरी लिख दूँ ग़ज़ल

अशआर  गुरेज़त  के सुनाओ तो सही

 

तामीर करूँ ताज़महल तेरे लिए

इक नींव तकारुब की बिछाओ तो सही

 

मैं राज़  छुपा  दिल में ही रख लूँगी सदा

पर्दा –ए- हकीक़त को उठाओ तो सही

 

**********************************

तगाफ़ुल  =उपेक्षा 

रिफ़ाकत= दोस्ती.

गुरेज़त= विरक्ति

तकारुब= समीपता

तामीर =निर्माण

मौलिक  एवं अप्रकाशित 

Views: 1024

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on September 4, 2013 at 9:58am

आदरणीया मीना  पाठक  जी तहे दिल से शुक्रिया |

Comment by Meena Pathak on September 4, 2013 at 9:08am

बहुत सुन्दर ग़ज़ल .. हार्दिक बधाई आ० राजेश कुमारी जी


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on September 4, 2013 at 9:03am

आदरणीया मंजरी जी आपकी प्रतिक्रिया से ग़ज़ल धन्य हुई तहे दिल से आभार आपका |

Comment by mrs manjari pandey on September 3, 2013 at 9:18pm

       

        आदरणीया राजेश कुमारी जी  बहुत सुन्देर गज़ल                  !


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on September 3, 2013 at 8:17pm

अन्ना पूर्णा जी ग़ज़ल पर आपकी प्रतिक्रिया से ग़ज़ल धन्य हुई दिल से आभारी हूँ |

Comment by annapurna bajpai on September 3, 2013 at 5:00pm

आ० राजेश कुमारी जी सुंदर गज़ल के लिए हार्दिक बधाई । 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on September 3, 2013 at 1:22pm

आदरणीय विजय मिश्र जी ग़ज़ल के अशआर ,भाव पाठकों के दिलो तक पंहुच रहे हैं इससे बड़ी दाद मेरे लिए क्या होगी ,तहे दिल से  आभारी हूँ |

Comment by विजय मिश्र on September 3, 2013 at 12:36pm
"वीरान निगाहों में तेरी लिख दूँ ग़ज़ल
अशआर गुरेज़त के सुनाओ तो सही |" बहोत खूबसूरत गजल और इसमें प्यार भरी एक गुजरीस है जो आखिरी मिसरे तक कायदे से मौजूद है . साधुवाद राजेशजी

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on September 3, 2013 at 11:06am

आदरणीय शिज्जू जी दिल से आभारी हूँ|


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on September 3, 2013 at 10:20am

आदरणीय एडमिन जी आपसे गुजारिश है कि ग़ज़ल के मक्ते में पर्दा –ए- हकीक़त का   की जगह  पर्दा –ए- हकीक़त को कर दीजिये प्लीज 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा सप्तक
"बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय लक्ष्मण धामी जी "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा सप्तक
"आ. भाई सुरेश जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं । हार्दिक बधाई।"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"सादर नमस्कार आदरणीय।  रचनाओं पर आपकी टिप्पणियों की भी प्रतीक्षा है।"
Friday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"आपका हार्दिक आभार आदरणीय उस्मानी जी।नमन।।"
Friday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"आपका हार्दिक आभार आदरणीय तेजवीर सिंह जी।नमन।।"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"बहुत ही भावपूर्ण रचना। शृद्धा के मेले में अबोध की लीला और वृद्धजन की पीड़ा। मेले में अवसरवादी…"
Friday
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"कुंभ मेला - लघुकथा - “दादाजी, मैं थक गया। अब मेरे से नहीं चला जा रहा। थोड़ी देर कहीं बैठ लो।…"
Friday
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"आदरणीय मनन कुमार सिंह जी, हार्दिक बधाई । उच्च पद से सेवा निवृत एक वरिष्ठ नागरिक की शेष जिंदगी की…"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"बढ़िया शीर्षक सहित बढ़िया रचना विषयांतर्गत। हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह जी।…"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"रचना पटल पर उपस्थिति और विस्तृत समीक्षात्मक मार्गदर्शक टिप्पणी हेतु हार्दिक धन्यवाद आदरणीय तेजवीर…"
Friday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"जिजीविषा गंगाधर बाबू के रिटायर हुए कोई लंबा अरसा नहीं गुजरा था।यही दो -ढाई साल पहले सचिवालय की…"
Friday
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी साहब जी , इस प्रयोगात्मक लघुकथा से इस गोष्ठी के शुभारंभ हेतु हार्दिक…"
Friday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service