For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मेरे जीवित होने का अर्थ -

-ये नहीं कि मैं जीवन का समर्थन करता हूँ  !

-ये भी नहीं कि यात्रा कहा जाय मृत्यु तक के पलायन को  !

 

ध्रुवीकरण को मानक आचार नही माना जा सकता !

मानवीय कृत्य नहीं है परे हो जाना !

 

मैं तटस्थ होने को परिभाषित करूँगा किसी दिन !

संभव है-

कि मानवों में बचे रह सके कुछ मानवीय गुण !

मेरा अभीष्ट देवत्व नहीं है !

.

.

.

……………………................………… अरुन श्री !

मौलिक व अप्रकाशित

Views: 777

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Arun Sri on November 21, 2013 at 10:41am

चंद्रशेखर पाण्डेय भाई , आपकी टिप्पणी तो मेरी रचना से कहीं अधिक ऊपर और सारगर्भित है ! जिस तरह से आपने मर्म को समझा और कहा वो अत्यंत सुखकर है और मेरा भी ज्ञानार्जन करने वाला है !आप जैसे प्रबुद्ध मित्र का होना सुखकर है मेरे लिए ! बहुत बहुत धन्यवाद भाई !

सादर !

Comment by CHANDRA SHEKHAR PANDEY on November 20, 2013 at 5:44pm

देवत्व अभीष्ट नहीं, आपने बिल्कुल सत्य कहा। स्वयं समय समय पर मनुष्यत्व की स्थापना हेतु देवताओं का अवतरण स्वयं यही सिद्ध करता है कि यह अपने आप में एक अभीष्ट है। तभी तो श्रीकृष्ण कहते हैं - लोकसंग्रहमेवापि संपश्यनकर्तुमर्हसि। पलायन मूल्य नहीं, लिप्तता मूल्य नहीं और इसीलिए पुन: परिभाषित करते हुए स्थितप्रज्ञता को संकेतित किया गया है श्रीमुख से, जहाँ स्वयं प्रभु कहते हैं कि यथाकूर्मोसंहरतिचायं सर्वांगानीव सर्वश:। आपकी "तटस्थता" का संप्रत्यय मुझे इस "स्थितप्रज्ञता" के ज्यादा निकट दिखाई दिया। सुन्दर रचना हेतु बधाई। तटस्थता को अवश्य परिभाषित करें……………! एक और सुन्दर रचना के लिए सादर प्रतीक्षारत।

Comment by Arun Sri on July 22, 2013 at 12:26pm

आदरणीय बृजेश नीरज जी , कविता से आपका इस तरह जुडाव कविता के लिए , मेरे लिए अतुलनीय  सम्मान है ! मेरी इन कुछ बेतरतीब पंक्तियों को आपकी टिप्पणी ने सफल और सार्थक साहित्य बना दिया ! धन्यवाद !

Comment by Arun Sri on July 22, 2013 at 12:03pm

राजेश कुमारी मैम , भावों को सराहने के आपका हार्दिक धन्यवाद ! सादर !

Comment by Arun Sri on July 22, 2013 at 11:57am

आदरणीय सौरभ सर , सच कहूँ तो मुझे भी प्रतीक्षा थी आपकी !  कारण कई हैं लेकिन महत्वपूर्ण ये कि आप कमियों की ओर ध्यान दिलाते हैं एक शिक्षक की तरह ! आपकी द्वारा सराहां जाना अग्निपरीक्षा में सफल होने जैसा है ! आभारी हूँ आदरणीय ! सादर !


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on July 22, 2013 at 9:31am

मैं तटस्थ होने को परिभाषित करूँगा किसी दिन !

संभव है-

कि मानवों में बचे रह सके कुछ मानवीय गुण !   वाह !! आंतरिक उत्कृष्ट भावों को सुन्दरतम शब्दों में बाँधा है बहुत बढ़िया हार्दिक बधाई इस गहन रचना पर 

Comment by बृजेश नीरज on July 22, 2013 at 6:33am

मैं निःशब्द हूं। मेरी जो खीझ थी, छटपटाहट थी उसे शब्द मिल गए। अब शांत हूं। यही एक कविता का सच है पाठक के लिए।
आपको नमन!


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 22, 2013 at 12:54am

मैं इस रचना पर टिप्पणियों के माध्यम से अपनी उपस्थिति नहीं बना सका हूँ, इसका भान तक नहीं था. जबकि मैंने इसे पढ़ा है.

मानवीय मूल्यों की तथ्यात्मकता में लगातार आ रहे खोखलेपन पर कवि के सान्द्र भाव चकित करते हैं.

रचना से दायित्त्व-निर्वहन और वैचारिकता का प्रौढ़ स्वरूप निखर सामने आया है.

रचना हेतु बधाई

Comment by Arun Sri on July 18, 2013 at 7:56pm

महिमा श्री मैम , आपके अमूल्य विचारों और रचना की सराहना के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद !

Comment by Arun Sri on July 18, 2013 at 1:58pm

राजेश कुमार झा सर , हार्दिक धन्यवाद आपका !

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाईजी, एक ही छंद में चित्र उभर कर शाब्दिक हुआ है। शिल्प और भाव का सुंदर संयोजन हुआ है।…"
15 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अशोक जी, सादर अभिवादन। रचना पर उपस्थिति स्नेह और मार्गदर्शन के लिए बहुत बहुत…"
53 minutes ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"अवश्य, आदरणीय अशोक भाई साहब।  31 वर्णों की व्यवस्था और पदांत का लघु-गुरू होना मनहरण की…"
1 hour ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय भाई लक्षमण धामी जी सादर, आपने रचना संशोधित कर पुनः पोस्ट की है, किन्तु आपने घनाक्षरी की…"
2 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"मनहरण घनाक्षरी   नन्हें-नन्हें बच्चों के न हाथों में किताब और, पीठ पर शाला वाले, झोले का न भार…"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। रचना पर उपस्थिति व स्नेहाशीष के लिए आभार। जल्दबाजी में त्रुटिपूर्ण…"
3 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"आयोजन में सारस्वत सहभागिता के लिए हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय लक्ष्मण धामी मुसाफिर जी। शीत ऋतु की सुंदर…"
6 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"शीत लहर ही चहुँदिश दिखती, है हुई तपन अतीत यहाँ।यौवन  जैसी  ठिठुरन  लेकर, आन …"
13 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"सादर अभिवादन, आदरणीय।"
13 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"सभी सदस्यों से रचना-प्रस्तुति की अपेक्षा है.. "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। लम्बे अंतराल के बाद पटल पर आपकी मुग्ध करती गजल से मन को असीम सुख…"
Friday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
Tuesday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service