For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल : अब बगावत जिंदगी से मौत है करने लगी

बहरे रमल मुसमन महजूफ
2122, 2122, 2122, 212

पापियों के पाप से देखो धरा भरने लगी
अब बगावत जिंदगी से मौत है करने लगी,

ढोंगियों की भीड़ है अपराधियों का राज है,
सत्यता इंसानियत इंसान में मरने लगी,

रंग बदला रूप बदला और बदली है नीयत,
आदमी की तेज बुद्धी घास है चरने लगी,

लोभ ने अंधा किया पागल हवस की भूख ने,
हादसें यूँ देख कर अब रूह तक डरने लगी,

एक ही झटके में देखो हो गई बर्बादियाँ,
मेघ से वर्षा तबाही जोर की झरने लगी..

(मौलिक एवं अप्रकाशित)

Views: 727

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sumit Naithani on June 28, 2013 at 4:05pm

लोभ ने अंधा किया पागल हवस की भूख ने,
हादसें यूँ देख कर अब रूह तक डरने लगी, सुंदर रचना भाई जी 

Comment by विजय मिश्र on June 27, 2013 at 6:04pm
वर्तमान में मानवीय मूल्यों को आपने यथारूप उभारा है ,अगर यह बीभत्स है तो है ,आप क्या कर सकते हैं ?
Comment by अरुन 'अनन्त' on June 27, 2013 at 5:25pm

आदरणीया कुंती मुखर्जी जी "ये प्राकृतिक आपदाएँ है इंसान क्या करे" माफ़ कीजिये किन्तु मैं आपके कथन से सहमत नहीं हूँ. ये प्राकृतिक आपदा अवश्य है किन्तु इसका कारण कौन है? इसका जिम्मेदार कौन है?. प्राकृति के साथ जिस तरह से खिलवाड़ किया जा रहा है यह उसी का फल है, कुछ लोग अपराध कर रहे हैं और कुछ लोग सह रहे हैं तो अपराधी दोनों ही हुए न. गेहूँ के साथ घुन तो पिसता ही है, और जहाँ तक बात समस्त इंसानों को कोसने की है तो ऐसा कुछ मैंने ग़ज़ल में नहीं लिखा कृपया एक बार पुनः देख लें. सादर

Comment by अरुन 'अनन्त' on June 27, 2013 at 5:06pm

हार्दिक आभार आशीष भाई स्नेह बनाये रखिये

Comment by अरुन 'अनन्त' on June 27, 2013 at 5:06pm

धन्यवाद भाई केवल प्रसाद जी

Comment by अरुन 'अनन्त' on June 27, 2013 at 5:05pm

हार्दिक आभार आदरणीया सरिता भाटिया जी स्नेह यूँ ही बनाये रखिये

Comment by अरुन 'अनन्त' on June 27, 2013 at 5:05pm

धन्यवाद आदरणीया गीतिका वेदिका जी

Comment by अरुन 'अनन्त' on June 27, 2013 at 5:05pm

हार्दिक आभार अनुज राम शिरोमणि पाठक जी

Comment by अरुन 'अनन्त' on June 27, 2013 at 5:03pm

आदरणीय अजय कुमार शर्मा जी मुझे तो नीयत उचित ही लगा इस हेतु उपयोग किया, यदि कुछ कमी है तो कृपया अवगत करायें.

Comment by अरुन 'अनन्त' on June 27, 2013 at 5:02pm

हार्दिक आभार भाई जीतेन्द्र जी

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

सुरेश कुमार 'कल्याण' posted blog posts
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted blog posts
1 hour ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय मनन कुमार सिंह जी। बोलचाल में दोनों चलते हैं: खिलवाना, खिलाना/खेलाना।…"
14 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आपका आभार उस्मानी जी। तू सब  के बदले  तुम सब  होना चाहिए।शेष ठीक है। पंच की उक्ति…"
14 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"रचना भावपूर्ण है,पर पात्राधिक्य से कथ्य बोझिल हुआ लगता है।कसावट और बारीक बनावट वांछित है। भाषा…"
14 hours ago
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदरणीय शेख उस्मानी साहिब जी प्रयास पर  आपकी  अमूल्य प्रतिक्रिया ने उसे समृद्ध किया ।…"
15 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदाब। इस बहुत ही दिलचस्प और गंभीर भी रचना पर हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह साहिब।  ऐसे…"
15 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"जेठांश "क्या?" "नहीं समझा?" "नहीं तो।" "तो सुन।तू छोटा है,मैं…"
17 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक स्वागत आदरणीय सुशील सरना साहिब। बढ़िया विषय और कथानक बढ़िया कथ्य लिए। हार्दिक बधाई। अंतिम…"
20 hours ago
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"माँ ...... "पापा"। "हाँ बेटे, राहुल "। "पापा, कोर्ट का टाईम हो रहा है ।…"
23 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"वादी और वादियॉं (लघुकथा) : आज फ़िर देशवासी अपने बापू जी को भिन्न-भिन्न आयोजनों में याद कर रहे थे।…"
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"स्वागतम "
Wednesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service