आह करते हैं ,वाह करते हैं
लोग हैं बस ,तबाह करते हैं
रख के नफरत चाशनी में वो
प्यार क्या बे-पनाह करते हैं
कहके पैगाम दोस्ती का है
पीठ पीछे गुनाह करते हैं
समझिए कुछ तो होनेवाला है
जब वो तिरछी निगाह करते हैं
आपकी नेकियों से उनको क्या
काम है उनका स्याह ,करते हैं
_________प्रो.विश्वम्भर शुक्ल ,लखनऊ
(मौलिक ,अप्रकाशित )
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