For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

!!!-ः दोहे:-!!!

पानी - पानी हो रही, लोकतंत्र सरकार।
हर क्षेत्र में असफल है, देश विदेश करार।।1

पानी नकसिर चढ़ गया, लोक तंत्र बेहाल।
जल संसाधन लूटता, बोतल भर कर माल।।2

जल संकट से घिर गया, अब यह पृथ्वी लोक।
जन मन रंजन कर रहा, नहि भविष्य का शोक।।3

सुबह बाल रवि तेज है, प्रखर प्रचण्डहि धूप।
सलिल अंबु जीवन लिए, मिलते नहि नल कूप।।4

जल ही जीवन जान लें, नीर वारि पय तोय।
पानी बिना सृष्टि नहीं, धरा हवा नभ कोय।।5

जीवन जलधि शरीर है, प्राण हुए चैतन्य।
श्वांस सधे तन साधना, नीर पिए मूर्धन्य।।6

पानी जैसा होइए, कोरा रंग दिखाय।
जाति धरम कुल वर्ण में, सतरंगी हो जाय।।7

के0पी0सत्यम/ मौलिक व अप्रकाशित

Views: 551

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Shyam Narain Verma on June 19, 2013 at 10:21am
इस प्रस्तुति हेतु बहुत-बहुत बधाई व शुभकामनाएँ...........................
Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on June 18, 2013 at 6:36pm

आ0 मंजरी जी,  आपके स्नेह और उत्साहवर्धन से मेरा मान बढ़ गया। आपका बहुत बहुत हार्दिक आभार।  सादर,

Comment by mrs manjari pandey on June 18, 2013 at 12:41pm

 आदरणीय केवल प्रसाद जी , आपने पानी पानी ही कर दिय. बधाई इस सामायिक चित्रण के लिए

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on June 17, 2013 at 9:41pm

आ0  कुन्ती मैम जी,  स्नेह व उत्साहवर्धन हेतु आपका तहेदिल से हार्दिक आभार।  सादर,

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on June 17, 2013 at 9:40pm

आ0  विजय सर जी,  उत्साहवर्धन हेतु आपका तहेदिल से हार्दिक आभार।  सादर,

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on June 17, 2013 at 9:39pm

आ0  राजेश भाई जी,  उत्साहवर्धन हेतु आपका तहेदिल से हार्दिक आभार।  सादर,

Comment by राजेश 'मृदु' on June 17, 2013 at 1:35pm

बहुत ही बढि़या

जीवन जलधि शरीर है, प्राण हुए चैतन्य।
श्वांस सधे तन साधना, नीर पिए मूर्धन्य।।6

पानी जैसा होइए, कोरा रंग दिखाय।
जाति धरम कुल वर्ण में, सतरंगी हो जाय।।

ये दोनों तो बहुत-बहुत अच्‍छे लगे

Comment by विजय मिश्र on June 17, 2013 at 1:13pm
राजनीतिज्ञों में आज की सत्तालोलुपता और मानसिक पतन को चेताती एक सुन्दर कविता. बधाई केवलजी .
Comment by coontee mukerji on June 16, 2013 at 5:41pm

राजनेतिक  स्थिति को उजाकर करते बहुत ही सुंदर व सटीक दोहे / सादर / कुंती

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। आपने सही कहा…"
Wednesday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"जी, शुक्रिया। यह तो स्पष्ट है ही। "
Tuesday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"सराहना और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय उस्मानी जी"
Tuesday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"लघुकथा पर आपकी उपस्थित और गहराई से  समीक्षा के लिए हार्दिक आभार आदरणीय मिथिलेश जी"
Tuesday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आपका हार्दिक आभार आदरणीया प्रतिभा जी। "
Tuesday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"लेकिन उस खामोशी से उसकी पुरानी पहचान थी। एक व्याकुल ख़ामोशी सीढ़ियों से उतर गई।// आहत होने के आदी…"
Tuesday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"प्रदत्त विषय को सार्थक और सटीक ढंग से शाब्दिक करती लघुकथा के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें आदरणीय…"
Tuesday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदाब। प्रदत्त विषय पर सटीक, गागर में सागर और एक लम्बे कालखंड को बख़ूबी समेटती…"
Tuesday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय मिथिलेश वामनकर साहिब रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर प्रतिक्रिया और…"
Tuesday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"तहेदिल बहुत-बहुत शुक्रिया जनाब मनन कुमार सिंह साहिब स्नेहिल समीक्षात्मक टिप्पणी और हौसला अफ़ज़ाई…"
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीया प्रतिभा जी प्रदत्त विषय पर बहुत सार्थक और मार्मिक लघुकथा लिखी है आपने। इसमें एक स्त्री के…"
Tuesday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"पहचान ______ 'नवेली की मेंहदी की ख़ुशबू सारे घर में फैली है।मेहमानों से भरे घर में पति चोर…"
Tuesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service