For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

गिरा दे बूँदें 

प्रतीक्षारत हम 

नयन मूंदे 

*
और न कस 

हर कोई बेबस 

अब बरस 

*
चली जो हवा 

उड़ गए बादल 

हम नि:शब्द 

*

मन बहका 

आवारा बादल सा 

उड़ गया लो 

*

बरसे धार 

बढे -उमड़े प्यार 

हर्ष अपार 

*
सब है वृथा 

काश, घन सुनते 

हमारी व्यथा 

*
सलोने घन 
या तो डुबो देते हैं 

या जाते डूब

*
आये बौछार 

बजें मन के तार 

हँसे संसार 
*

थके हैं पाँव 
घन,कब मिलेगी 
नेह की छाँव 
*
आई बदली
लौट गई पीहर 
बिन बरसे 
___________________प्रो.विश्वम्भर शुक्ल 
लखनऊ 

(मौलिक और अप्रकाशित )

Views: 426

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by आशीष नैथानी 'सलिल' on June 14, 2013 at 2:46pm

बहुत बढ़िया हाइकू हैं आदरणीय !!

Comment by vijayashree on June 14, 2013 at 1:35pm

बदरा छाए

घन हैं साथ लाए

मन हर्षाए

 

इस भीषण गर्मी में शीतलता  आभास कराने पर बधाई

Comment by aman kumar on June 14, 2013 at 11:22am

हायकू विद्या मै आप पारंगत है ! 

अच्छा लगा कुछ न्य सिख्रने को मिला आभार !

Comment by coontee mukerji on June 14, 2013 at 1:13am

आई बदली
लौट गई पीहर 
बिन बरसे ...........बहुत सुंदर चित्र आँखों में चा गया अंत में आपने बदली का मानवीयकरण कर के रचना में चार चाँद लगा दी है आदर्णीय

सादर

कुंती .

Comment by विजय मिश्र on June 12, 2013 at 6:18pm

प्रसंशनीय , आनंद  , बधाई 

Comment by Shyam Narain Verma on June 12, 2013 at 1:01pm
इस प्रस्तुति हेतु बहुत-बहुत बधाई व शुभकामनाएँ..
Comment by Sumit Naithani on June 12, 2013 at 12:45pm

बहुत सुन्दर.........

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"मुश्किल में हूँ मैं मुझको बचाने के लिए आ है दोस्ती तो उसको निभाने के लिए आ 1 यही बात इन्हीं शब्दों…"
2 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"ग़ज़ल अभी समय मॉंगती है। बहुत से शेर अच्छे शेर होते-होते रह गये हैं। मेरा दृष्टिकोण प्रस्तुत…"
3 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आदरणीय नीलेश जी नमस्कार  अच्छी ग़ज़ल हुई आपकी बधाई स्वीकार कीजिए  गिरह शानदार…"
3 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आदरणीय लक्ष्मण जी नमस्कार  अच्छी ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिए  मतला और गिरह ख़ूब…"
3 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आदरणीय Aazi जी नमस्कार  अच्छी ग़ज़ल हुई आपकी बधाई स्वीकार कीजिए गुणीजनों की इस्लाह से और भी…"
3 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"यूँ तो ग़ज़ल देखने में अच्छी है फिर भी मेरा दृष्टिकोण प्रस्तुत है। मुझसे है अगर प्यार जताने के लिए…"
3 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"221 1221 1221 122 मुश्किल में हूँ मैं मुझको बचाने के लिए आ है दोस्ती तो उसको निभाने के लिए आ 1 दिल…"
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आ. भाई आजी तमाम जी, सादर अभिवादन। सुंदर गजल हुई है। गुणीजनो के सुझाव से यह और निखर गयी है। हार्दिक…"
7 hours ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय ग़ज़ल पर नज़र ए करम का जी गुणीजनो की इस्लाह अच्छी हुई है"
8 hours ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय मार्ग दर्शन व अच्छी इस्लाह के लिए सुधार करने की कोशिश ज़ारी है"
8 hours ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"सहृदय शुक्रिया आदरणीय इतनी बारीक तरीके से इस्लाह करने व मार्ग दर्शन के लिए सुधार करने की कोशिश…"
8 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . विविध
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सादर प्रणाम - सर सृजन पर आपकी सूक्ष्म समीक्षात्मक उत्तम प्रतिक्रिया का दिल…"
8 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service