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निवेदन (घनाक्षरी छंद )

कहते हो देशभक्त ,यदि अपने को आप !
लोग दे उदहारण ,ऐसा कर जाइये !!
तन मन धन सब ,लगाओ देश सेवा में !
लोग आप से ले सीख ,कुछ तो बताइये !!

देश का भी हो विकास ,खुद भी विकास करो !
जग में हो नाम ऐसे ,मान को बढ़ाइये!!

मात्र भाषणों से काम, चल नहीं सकता है !
कुछ तो यथार्थ आप, कर के दिखाइए!!

राम शिरोमणि पाठक"दीपक"
मौलिक /अप्रकाशित

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Comment by coontee mukerji on May 31, 2013 at 4:41pm

बहुत खूब , आपकी रचना में निखार आने लगी है./ अति सुंदर विचार . /

सादर

कुंती

कृपया ध्यान दे...

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