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क़ृष्ण तुम बंसी बजाना

क़ृष्ण तुम बंसी बजाना

 

 

उन्मुक्त हो मुक्त गगन में,

छेड़ू मैं कोई तान प्यारी,

मधुर रस भरी प्रेम की,

क़ृष्ण तुम बंसी बजाना ।

 

गाएँगे सब पशु-पक्षी ,

आ जायेंगे तुम्हारे साथी भी,

बहेगी निःस्वार्थ प्रेम की गंगा,

क़ृष्ण तुम बंसी बजाना ।

 

भक्ति रस घुलेगा हवाओं में,

पहुँचेगा वृंदावन की गलियाँ,

नाचेगी सब गोपियाँ वहाँ ,

क़ृष्ण तुम बंसी बजाना ।

 

जग जायेंगे योगी ध्यान से,

करेंगे भक्ति का मद पान ,

मदहोश करके सबको,

क़ृष्ण तुम बंसी बजाना ।

 

प्रेम फैले इस जहाँ में,

टूट जायें दीवारें  सब,

झूमें सब तुम्हारे प्रेम में,

क़ृष्ण तुम बंसी बजाना ।

 

एक दूसरे से प्रेम हो,

लगाव हो, जुड़ाव हो,

मिलकर गायें भक्ति का गीत,

क़ृष्ण तुम बंसी बजाना ।

 

क़ृष्ण तुम बंसी बजाना ।

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Comment

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Comment by akhilesh mishra on May 14, 2013 at 3:23pm

परम आदरणीय पाण्डेय जी,मैंने छह महीने पहले से लिखना चालू किया हूँ ।इससे पहले मैंने एक शब्द भी कहीं नहीं लिखा था ।आपके मार्गदर्शन में लिखने से जरूर सुधार  आएगा ,ऐसी मेरी उम्मीद है ।सुभेच्छा के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद ,सर


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Comment by Saurabh Pandey on May 14, 2013 at 11:17am

आपके लेखन तथा आपकी लेखकीय संभावनाओं के आलोक में बहुत कुछ दख रहा है जिसके निर्वहन का दायित्व आप पर ही है, भाई अखिलेशजी. शुभेच्छाएँ

Comment by akhilesh mishra on May 14, 2013 at 11:05am

बहुमूल्य सुझाव के लिए आदरणीय बृजेश नीरज जी को बहुत-बहुत धन्यवाद ।मैं लिखने में नया हूँ इसलिए ऐसे सुझाओं कि बड़ी आवश्यकता है ।भविष्य की रचनाओं में ध्यान रखूँगा ।

Comment by बृजेश नीरज on May 13, 2013 at 11:47pm

कृष्ण का नाम ही ऐसा है कि सुन के मन मस्त हो जाता है। उनकी लीलायें अपरंपार हैं। तभी भक्त बारबार उनसे उत्कंठा के साथ लीला रचने की प्रार्थना करता है। बहुत सुन्दर प्रयास आपका। बधाई आपको।
एक निवेदन कि यदि आपकी रचना मात्रा गणना करके लिखी जाती तो इसकी सुन्दरता और भी अधिक होती।
इस मंच पर भारतीय छंद विधान समूह के लेखों को पढ़ें।
सादर!

Comment by akhilesh mishra on May 13, 2013 at 4:47pm

धन्यवाद लड़ीवाला जी । 

Comment by akhilesh mishra on May 13, 2013 at 4:46pm

बहुत बहुत धन्यवाद कुशवाहा साहब हौशला अफजाई के लिए ।

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on May 13, 2013 at 4:40pm

राधे राधे 

सुन्दर 

सादर बधाई 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on May 13, 2013 at 2:28pm

एक दूसरे से प्रेम हो,

लगाव हो, जुड़ाव हो,

मिलकर गायें भक्ति का गीत, - सुन्दर रचना के माध्यम से अच्छा सन्देश बधाई अखिलेश जी 

Comment by akhilesh mishra on May 13, 2013 at 10:51am

मैडम शलिनी कौशिक जी,भाई केवल प्रसाद जी,मैडम कविता वर्मा जी हौशला बढ़ाने के लिए धन्यवाद ।

Comment by akhilesh mishra on May 13, 2013 at 10:50am

भाई श्याम नारायण वर्मा जी सादर आभार ।

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