For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

बेरोजगार !!!

सुबह के सात बजे थे!
एक ही स्थान पर अट्ठारह चूल्हे जले थे!
कुल मिला कर बीस-पच्चीस मजदूरों का
भोजन तैयार हो रहा था!
पास ही एक सूखे पेड़ से टेक लगाये
बैठा इन्सान
घुटनों पर कुहनी
कुहनी पर तने हाथ की मुट्ठी पर
ठुड्ढी रखे
नजरों को अट्ठारहों चूल्हों की ओर घुमाता
आंसू बहाता
खाली पेट को रोटी और
रोटी से भूखी आत्मा को संतुष्ट करने की
सोच रहा था!
सहसा एक अश्रु बिंदु
मुह के कोर तक पहुंची
झट से इन्सान ने ढुलकते बिंदु को
तरसती जुबान से चाटी
तभी मजदूरों के बीच कोलाहल बढ़ा था
सभी खा रहे थे
कौन देखता !
सूखे पेड़ की ओर भूख से भूखे इन्सान को
आज तीसरा दिन था
जब उसने सत्तू की अंतिम मुट्ठी भी
लोटे में घोल कर पाँच बार पिया था
और आज बस !
एक अश्रु बिंदु मात्र से ही संतुष्ट हो
रोज़गार की खोज में चल पड़ा था।
(के पी सत्यम)/मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 369

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on March 19, 2013 at 7:34pm

आदरणीय श्री योगी सारस्वत जी, आपको ‘बेरोजगार‘  कविता अच्छी लगी, धन्यवाद एवं बहुत-बहुत आभार! ‘यही हमारे समाज का कटु सत्य है। हम इसके सिवाय कर भी क्या सकते हैं‘?'

Comment by Yogi Saraswat on March 19, 2013 at 2:52pm

सूखे पेड़ की ओर भूख से भूखे इन्सान को
आज तीसरा दिन था
जब उसने सत्तू की अंतिम मुट्ठी भी
लोटे में घोल कर पाँच बार पिया था
और आज बस !
एक अश्रु बिंदु मात्र से ही संतुष्ट हो
रोज़गार की खोज में चल पड़ा था।

बहुत सुन्दर व्यथा

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on March 18, 2013 at 6:32pm

आदरणीय श्री विजय मिश्र जी, आपकी उदारता को शत् शत् नमन एवं बहुत-बहुत आभार!

Comment by विजय मिश्र on March 18, 2013 at 12:06pm

मर्मस्पर्शी , सकते में ला देने वाला सच , जमीन से कटकर शहर में भटक रही भारतीय आत्माओं की  कथा है आपकी कविता , केवलजी ! बहुत सजीब और यथार्थ के धरातल पर पूरे वजूद के साथ खड़ी है  . साधू -साधू .

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय मनन कुमार सिंह जी। बोलचाल में दोनों चलते हैं: खिलवाना, खिलाना/खेलाना।…"
8 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आपका आभार उस्मानी जी। तू सब  के बदले  तुम सब  होना चाहिए।शेष ठीक है। पंच की उक्ति…"
8 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"रचना भावपूर्ण है,पर पात्राधिक्य से कथ्य बोझिल हुआ लगता है।कसावट और बारीक बनावट वांछित है। भाषा…"
9 hours ago
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदरणीय शेख उस्मानी साहिब जी प्रयास पर  आपकी  अमूल्य प्रतिक्रिया ने उसे समृद्ध किया ।…"
9 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदाब। इस बहुत ही दिलचस्प और गंभीर भी रचना पर हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह साहिब।  ऐसे…"
9 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"जेठांश "क्या?" "नहीं समझा?" "नहीं तो।" "तो सुन।तू छोटा है,मैं…"
12 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक स्वागत आदरणीय सुशील सरना साहिब। बढ़िया विषय और कथानक बढ़िया कथ्य लिए। हार्दिक बधाई। अंतिम…"
15 hours ago
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"माँ ...... "पापा"। "हाँ बेटे, राहुल "। "पापा, कोर्ट का टाईम हो रहा है ।…"
18 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"वादी और वादियॉं (लघुकथा) : आज फ़िर देशवासी अपने बापू जी को भिन्न-भिन्न आयोजनों में याद कर रहे थे।…"
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"स्वागतम "
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on नाथ सोनांचली's blog post कविता (गीत) : नाथ सोनांचली
"आ. भाई नाथ सोनांचली जी, सादर अभिवादन। अच्छा गीत हुआ है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Admin posted a discussion

"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118

आदरणीय साथियो,सादर नमन।."ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है।"ओबीओ…See More
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service