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राष्ट्र् पिता परमात्मा, परम सनेही जान!
विश्व सकल परिवार है, अन्तरमन लें ठान!!

भाषा तुलसी दास सी, भाव हो शशी सूर !
देश का सम्मान बढे़, संवाद निरमल नूर!!

राष्ट्र् मेरा भारत मा, कमल तिरंगा शेर !
मयूरा नाचत दिल मा, रहा चक्र् को फेर!!

अच्छा संस्कारी देश, भारत जिसका नाम!
सदियों से यह पल रहा,मिला हड़प्पा शान!!
के’पी’सत्यम/मौलिक एवं अप्रकाशित रचना

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Comment by Saurabh Pandey on March 16, 2013 at 8:44pm

आप यथाशीघ्र इस मंच के भारतीय छंद विधान समूह में दोहा शिल्प पर आलेख पढ़ लें.

शुभेच्छाएँ

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on March 15, 2013 at 8:05pm

आदरणीय श्री योगी सारस्वत जी, हार्दिक आभार !

Comment by Yogi Saraswat on March 15, 2013 at 12:03pm

राष्ट्र् मेरा भारत मा, कमल तिरंगा शेर !
मयूरा नाचत दिल मा, रहा चक्र् को फेर!!

अच्छा संस्कारी देश, भारत जिसका नाम!
सदियों से यह पल रहा,मिला हड़प्पा शान!!

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