वाह रे पैसा ,
पैसे का अहंकार !
पैसे से सबकुछ
खरीदने को तैयार !
तो जाओ !!
पैसे से दो बूंद,
आंसू खरीद लाओ!
पैसे से खुशियों की,
एक दुकान तो लगाओ !
पैसे से रोते बच्चे को ,
एक मीठी नींद सुला दो !
वर्षों से खड़े वृक्षों को
थोड़ी सी सैर करा दो!!
पैसे से किसी का
दर्द कम कर दो
पैसे से किसी के दिल में
प्यार और सदभावना भर दो !
पैसे से ओंस की बूंदों में,
रजत आकर्षण डाल दो!
वीरान पड़े रेगिस्तान में
जल की एक सरिता बहा दो!!!
पैसे से फूल की ,
कलियों को खिला दो!
भूख से मर चुका है,
पैसे की रोटी से जिला दो !
राम शिरोमणि पाठक"दीपक"
मौलिक /अप्रकाशित
Comment
सही है, पैसे बिना कुछ नहीं हो सकता.
verma g hardik dhanyawad
BAHOT KHOOB....
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