For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मै भी अभी जिन्दा हूँ !!

मै भी अभी जिन्दा हूँ !!

-----------------------

तीव्र झोंके ने पर्दा उड़ा दिया

सारे बाज -इकट्ठे दिखा दिया

चालबाज, कबूतरबाज , दगाबाज

अधनंगे कुछ कपडे पहनने में लगे

दाग-धब्बे -कालिख लीपापोती में जुटे

माइक ले बरगलाने  नेता जी आये

जोकर से दांत दिखा हँसे बतियाये

“ये मंच अब हमारा है” खेती है हमारी

हम 'मालिक' हैं पैसे पेड़ पर नहीं उगते

चाहे हम भांग बोयें कैक्टस लगायें

थाली लोटे लंगोटी गिरवी रख आयें

उत्पादन दिखाएँ  रोजगार के अवसर बताएं

नहीं दस बीस को रोजगार भत्ता दिलाएं

सोचता हूँ कैसे घिघियाते तुमरे पीछे हम धाये

नोट दे वोट को हम खरीद के लाये

तुम दर्शक हो सड़े टमाटर अंडे जूते उछालो

पुतला बनाओ जलाओ मन शान्त कर जाओ

जिसकी लाठी उसकी भैंस समझ जो पाओ

आँख न दिखाओ हाड मांस जान तुम बचाओ

'ये मंच हमारा है ' जूतम -जुटती गुत्थम -गुत्थी

मूल अधिकार हमारा है जो हमें प्यारा है

भीड़ में दांत निपोरे खिखियाते उनके लोग

अंगारे सी आँखें बड़े बाज कबूतर का भोग

पतली गली से निकल राम लीला की ओर

मै चल पड़ा , सूर्पनखा रावण दुःशासन  को छोड़

गांधी के बन्दर सा आँख मुंह कान बंद किये

बैठा हूँ- दुर्योधन-शकुनी मामा नहीं मरे

द्यूत क्रीडा जारी है युधिष्ठिर हारे हैं

कृष्ण नहीं विदुर नहीं सोच सोच कुढ़ता हूँ

चीख है पुकार है मै भी अभी जिन्दा हूँ !!

-------------------------------------------------

 

सुरेन्द्र कुमार शुक्ल 'भ्रमर ५'

२५.९.१२ कुल्लू यच पी

मंगलवार ७.१५-७.४९

Views: 798

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on November 4, 2012 at 12:48am
आदरणीय और प्रिय सौरभ जी  ये पंक्तियाँ आप के मन को छू सकीं और आप ने समर्थन दिया बड़ी ख़ुशी हुई काश हमारी आम जनता भी इन आतताइयों को सबक सिखाने की ठान लें तो आनंद और आये आप सब को भी दशहरा ,दीवाली की शुभ कामनाएं तथा करवा चौथ की भी  जय श्री राधे 
भ्रमर 5 
Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on November 4, 2012 at 12:46am
आदरणीया सीमा जी इस कटाक्ष करती रचना को आप से प्रोत्साहन मिला मन खुश हुआ .काश हमारी जनता भी इन्हें मुंह की खिलाये ... अपना स्नेह और प्रोत्साहन यों ही बनाये  रखें आप सब को भी दशहरा ,दीवाली की शुभ कामनाएं तथा करवा चौथ की भी  जय श्री राधे 
भ्रमर 5 
Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on November 4, 2012 at 12:45am
प्रिय वीर प्रकाश जी ये कटाक्ष करती रचना को आप से प्रोत्साहन मिला मन खुश हुआ .... अपना स्नेह और प्रोत्साहन यों ही बनाये  रखें आप सब को भी दशहरा ,दीवाली की शुभ कामनाएं तथा करवा चौथ की भी  जय श्री राधे 
भ्रमर 5 
Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on November 4, 2012 at 12:44am
आदरणीया  शालिनी जी आप की प्रतिक्रिया से  मजा आ गया काश हर तरफ से यों ही पुरजोर जोश मिले ..अब जब ज़िंदा हूँ अर्थात जनता जीवित है तो गाड़ना इन का मुंह काला करना सब होगा वक्त आएगा ही ..... अपना स्नेह और प्रोत्साहन यों ही बनाये  रखें आप सब को भी दशहरा ,दीवाली की शुभ कामनाएं तथा करवा चौथ की भी  जय श्री राधे 
भ्रमर 5 

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on November 2, 2012 at 10:30am

गांधी के बन्दर सा आँख मुंह कान बंद किये
बैठा हूँ- दुर्योधन-शकुनी मामा नहीं मरे
द्यूत क्रीडा जारी है युधिष्ठिर हारे हैं
कृष्ण नहीं विदुर नहीं सोच सोच कुढ़ता हूँ
चीख है पुकार है मै भी अभी जिन्दा हूँ !!

इस अभिव्यक्ति पर मेरी बधाइयाँ. ..

Comment by seema agrawal on November 1, 2012 at 1:56pm

ज़बरदस्त कटाक्ष किया है आज के राजनैतिक हालात पर 

बधाई भ्रमर जी 

Comment by Er.vir parkash panchal on November 1, 2012 at 11:05am

पुनः बधाई  भ्रमर  जी 

Comment by Er.vir parkash panchal on November 1, 2012 at 11:02am

bharmar ji bahoot -bahoot badai aacha katakx kiya hai......bahoot sunder ,namaskar.

Comment by shalini kaushik on October 31, 2012 at 11:53pm
न केवल जिंदा हूँ बल्कि तुम जैसे धोखेबाजों को जमीन में गाड़ने की क्षमता भी रखता हूँ ये कहिये सुरेन्द्र जी जनता अगर चाहे तो सब कुछ कर सकती है. सुन्दर प्रस्तुति आभार
Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on October 31, 2012 at 11:18pm

आदरणीया विनीता  जी  आभार रचना की सराहना के लिए ..ये व्यंग्य वाण काश उधर भी चुभें दलालों को होश आये देश और देश हित समझें तो आनंद और आये 

भ्रमर ५ 

 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
12 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर left a comment for लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार की ओर से आपको जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक धन्यवाद। बहुत-बहुत आभार। सादर"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी
"आदरणीय गिरिराज भंडारी सर वाह वाह क्या ही खूब गजल कही है इस बेहतरीन ग़ज़ल पर शेर दर शेर  दाद और…"
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .इसरार
" आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय जी…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, आपकी प्रस्तुति में केवल तथ्य ही नहीं हैं, बल्कि कहन को लेकर प्रयोग भी हुए…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .इसरार
"आदरणीय सुशील सरना जी, आपने क्या ही खूब दोहे लिखे हैं। आपने दोहों में प्रेम, भावनाओं और मानवीय…"
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post "मुसाफ़िर" हूँ मैं तो ठहर जाऊँ कैसे - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी इस बेहतरीन ग़ज़ल के लिए शेर-दर-शेर दाद ओ मुबारकबाद क़ुबूल करें ..... पसरने न दो…"
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on धर्मेन्द्र कुमार सिंह's blog post देश की बदक़िस्मती थी चार व्यापारी मिले (ग़ज़ल)
"आदरणीय धर्मेन्द्र जी समाज की वर्तमान स्थिति पर गहरा कटाक्ष करती बेहतरीन ग़ज़ल कही है आपने है, आज समाज…"
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर updated their profile
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। आपने सही कहा…"
Oct 1
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"जी, शुक्रिया। यह तो स्पष्ट है ही। "
Sep 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service