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दिल की बात कहे दिल वाला .....

लिखा छन्द टेढ़ मेढ़,
कर दिया ऐड़ बेड़,
छंद अनुराग जो भी,
करावाये कम है |

किया है सुधार जब,
छन्द महारथियों ने,
लगा अब रचना में,
आया कुछ दम है |

छन्द का है भूत चढ़ा,
रात दिन रटा पढ़ा,
और अब लिखने को
उठाई कलम है |

दोहा रोला घनाक्षरी,
उल्लाला भी लिखूंगा मैं,
सीखूंगा मैं अपनों से,
काहे की शरम है ||


जय हो

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Comment

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मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on October 24, 2012 at 8:52pm

वीनस भाई, छंद पर आपका कार्य सचमुच सराहनीय है, और मैं जनता हूँ की आपके लिए कुछ भी कठिन नहीं है, उम्मीद है की शीघ्र ही आप छंद में भी छ जायेंगे | इस अभिव्यक्ति पर बहुत बहुत बधाई और दशहरा पर्व की हार्दिक शुभकामनायें स्वीकार करें |


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on October 22, 2012 at 11:56pm

मोडिफाइड रूप को घनाक्षरी के स्वर में पढ़ जाइये ..  (वर्कशाप शुरु) ...  :-)))))))

Comment by वीनस केसरी on October 22, 2012 at 11:45pm

वाह वा
सौरभ जी,
इसे कहते हैं लालित्य पूर्ण प्रवाह
हार्दिक आभार


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on October 22, 2012 at 12:31pm

इस शुक्रिया के लिये शुक्रिया.. .

रचना को पुनः देखें -

लिखा छन्द टेढ़ मेढ़,
कर दिया एड़-बेड़,
छंद अनुराग जो ,
करवाये कम है |

छन्द महारथियों से,
होता है सुधार जब,
दीखे तब रचना में,
आया कुछ दम है |

रात दिन रट पढ़ा,
छन्द का है भूत चढ़ा,
और अब लिखने को
थाम ली कलम है |

दोहा रोला घनाक्षरी,
सोरठे भी लिखूंगा मैं,
सीख लूँ मैं अपनों से,
काहे की शरम है ||

अब मूल से हुए अंतर को साझा करियेगा.

शुभेच्छाएँ

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