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"करमजली"

गुलाबो की अम्मा
बचपन में ही छोड़ गयी थी
बचपन क्या १ दिन की थी
१ दिन की थी तभी
छोड़ गयी थी
इस करमजली को
ममत्व मर कैसे गया
उसकी माँ का
शायद बिन ब्याही थी
खसम का पता नहीं था
अकेली ही आई थी
मंदिर के द्वारे पे
फफक फफक
नीर नीर
पीर पीर
रोते -रोते
प्रभु गलती की ऐसी सजा न दो
बिटिया का ख्याल रखना
तुम्हारी कृति है
ये तुम्हारी रचना है
इसे सम्हाल के रखना
मुझे मेरी गलती का भान हो गया प्रभु
कोई हमारा नहीं
कोई भी नहीं
कोई भी नहीं
जान पड़ता था
सारी गलती भगवान् की थी
उसकी माँ तो निर्दोष थी
फफकते हुई
छोड़ के अगले ही पल
दौड़ लगा के भाग गयी
हम देखते ही रह गए
पास जा के देखा
क फूल मुस्कुरा रहा था
गोद में उठा लिया
वर्षों की मुराद पूरी हो गयी
एक मुद्दत से घर में
७ बेटे
एक लक्ष्मी की कमी
एक बिटिया की कमी
सुन ली महादेव ने
हमने कभी कहा नहीं
की गुलाबो की माँ कोई और थी
उसे लड़की की तरह पाला
भाइयों ने बहन की तरह चाहा
फिर भी
निकली माँ के जैसे
अपनी माँ के जैसे
भाग गयी
खून का असर कहाँ से चला जाता
करमजली कहीं की ............................दीप ................

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Comment

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Comment by Albela Khatri on August 1, 2012 at 11:27am

kya baat hai

shaandaar kavita

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