For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ओ नन्ही परी मासूम कली  आ गोद  उठा लूं 
जीवन है रेत सा तो   क्या घरोंदे तो बना लूं 
फैला समुन्दर दूर तलक दूर तलक आकाश 
छाया अँधेरा घना बहुत जाने कब हो प्रकाश
बीत न जाये ये सुन्दर लम्हे सपने तो सजा लूं 
ओ नन्ही परी मासूम कली  आ गोद  उठा लूं 
 

दौड़ती हुई तट पे इतनी दूर  निकल आयी 

भागती जिसके पीछे जीवन नहीं  है  परछायीं
जीवन  है क्या खेल तुझे इसके हाल सुना लूं 
ओ नन्ही परी मासूम कली  आ गोद  उठा लूं 
सर्द गरम ठोस नरम का  तुझे न है अभी अहसास
रंग बिरंगे  मुखोटे ओढ़े कई जन आयेंगे तेरे पास 
क्या सही है क्या गलत का आ तुझे ज्ञान करा लूं 
ओ नन्ही परी मासूम कली  आ गोद  उठा लूं 

लंबी है डगर जीवन की  कांटो भरे हैं रास्ते 

पग पग पे कहीं लगे न ठोकर चलना तुम आस्ते 

चुन लूंगा  मैं ये कांटे सारे तेरा जीवन संवार लूं 

ओ नन्ही परी मासूम कली  आ गोद  उठा लूं  

 

हँसता रहे बचपन तेरा लग जाए मेरी  दुआ 

मासूम सी कली है तू  गर्म थपेडों ने है  छुआ 

शीतल पवन का झोंका दे तुझे जी भर निहार लूं 

ओ नन्ही परी मासूम कली  आ गोद  उठा लूं   

Views: 708

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on June 22, 2012 at 4:25pm

आदरणीय भ्रमर जी, सादर 

मैं जानता था कि आपका कवि ह्रदय जरूर गुनगुनाएगा. आभार 

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on June 22, 2012 at 4:23pm

आदरणीय बाली जी, सादर 

आपका स्नेह मेरा सहारा है 

धन्यवाद.

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on June 22, 2012 at 4:22pm

आदरणीय अलबेला खत्री जी, सादर 

स्नेह हेतु आभार 

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on June 22, 2012 at 4:21pm

आदरणीय योगी जी, सादर 

स्नेह हेतु आभार.

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on June 22, 2012 at 4:20pm

आदरणीय उमा शंकर जी, सादर 

आभार. 

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on June 22, 2012 at 4:19pm

आपका विशाल अनुभव झलकता है

आपका ह्रदय कोमल प्यार छलकता है 

प्रिय कुमार जी, सस्नेह 

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on June 20, 2012 at 12:03am

सर्द गरम ठोस नरम का  तुझे न है अभी अहसास

रंग बिरंगे  मुखोटे ओढ़े कई जन आयेंगे तेरे पास 
क्या सही है क्या गलत का आ तुझे ज्ञान करा लूं 
ओ नन्ही परी मासूम कली  आ गोद  उठा लूं 

लंबी है डगर जीवन की  कांटो भरे हैं रास्ते 

आदरणीय कुशवाहा जी ...बहुत सुन्दर ....मै भी गुनगुनाने लगा ...ओ नन्ही परी .....काश इनकी राहों में कांटे कभी न आयें फूल खिल जाएँ 

भ्रमर ५ 

 

Comment by डॉ. सूर्या बाली "सूरज" on June 19, 2012 at 5:50pm
प्रदीप जी सादर नमस्कार ! बहुत ही सुंदर और साहित्यिल ढंग से आपने जीवन के यथार्थ को इस कविता के माध्यम से व्यक्त कर दिया है। ये पंक्तियाँ बहुत अच्छी लगी: जीवन है रेत सा तो   क्या घरोंदे तो बना लूं ,फैला समुन्दर दूर तलक दूर तलक आकाश 
छाया अँधेरा घना बहुत जाने कब हो प्रकाश, बीत न जाये ये सुन्दर लम्हे सपने तो सजा लूं...............बहुत बहुत बधाई !!
Comment by Albela Khatri on June 19, 2012 at 9:31am

वाह वाह वाह वाह
क्या बात है  प्रदीप जी........
बहुत खूब !

पग पग पे कहीं लगे न ठोकर चलना तुम आस्ते 

चुन लूंगा  मैं ये कांटे सारे तेरा जीवन संवार लूं 

ओ नन्ही परी मासूम कली  आ गोद  उठा लू

___बधाई इस अनुपम कविता के लिए

Comment by Yogi Saraswat on June 18, 2012 at 12:20pm

हँसता रहे बचपन तेरा लग जाए मेरी  दुआ 

मासूम सी कली है तू  गर्म थपेडों ने है  छुआ 

शीतल पवन का झोंका दे तुझे जी भर निहार लूं 

ओ नन्ही परी मासूम कली  आ गोद  उठा लूं  
आदरणीय श्री प्रदीप कुशवाहा जी , सादर नमस्कार ! बहुत मासूमियत भरे सुन्दर शब्द !

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

anwar suhail updated their profile
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Friday
ajay sharma shared a profile on Facebook
Thursday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। पति-पत्नी संबंधों में यकायक तनाव आने और कोर्ट-कचहरी तक जाकर‌ वापस सकारात्मक…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब। सोशल मीडियाई मित्रता के चलन के एक पहलू को उजागर करती सांकेतिक तंजदार रचना हेतु हार्दिक बधाई…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार।‌ रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर रचना के संदेश पर समीक्षात्मक टिप्पणी और…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब।‌ रचना पटल पर समय देकर रचना के मर्म पर समीक्षात्मक टिप्पणी और प्रोत्साहन हेतु हार्दिक…"
Nov 30
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, आपकी लघु कथा हम भारतीयों की विदेश में रहने वालों के प्रति जो…"
Nov 30
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय मनन कुमार जी, आपने इतनी संक्षेप में बात को प्रसतुत कर सारी कहानी बता दी। इसे कहते हे बात…"
Nov 30
AMAN SINHA and रौशन जसवाल विक्षिप्‍त are now friends
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service