For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

अग्नि प्रज्वलित हुई धरा पर
परिवर्तन एक गढ़ने को
चला काफिला जनतंत्री का
अब नव चिंतन करने को
नकली रूपया नकली वस्तु
खेल हो रहा ठगने को
महंगाई है खून चूसती
बढ़ रही पिसाचिन मरने को
आ रहे विदेशी ठगने अपने
अर्थ तंत्र को चरने को
भ्रष्ट व्यवस्था से लड़ने को
बनो पतंगा जलने को
वेग हमारा तूफानों का
खड़े युद्ध हम करने को
कर्मवीर बन बढ़े चलो अब
आग नहीं अब बुझने को
प्रश्न खड़ा जीवन मृत्यु का
आर-पार कुछ करने को
लायेंगे बदलाव नया अब
संकल्प ह्रदय में धरने को
परोपकारिता हो गंगा जैसी
जन जन मन में बहने को

Views: 570

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Rekha Joshi on June 4, 2012 at 7:23pm

Umashankar ji ,बनो पतंगा जलने को
वेग हमारा तूफानों का
खड़े युद्ध हम करने को,badhiya likha hae aapne ,badhai 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on June 4, 2012 at 6:35pm
अच्छे और आदर्श भाव है , बधाई  |-लक्ष्मण प्रसाद लडीवाला
Comment by UMASHANKER MISHRA on June 4, 2012 at 5:45pm

आदरणीय योगोराज प्रभाकर जी आपके स्नेह के हम कायल हैं आपके सहयोग पर सदैव नत

आदरणीय कुशवाहा जी स्नेह बनाये रखे

योगी सारस्वत शुक्रिया ....सहयोग के लिए

प्रिय चन्दन राय धन्यवाद बस ऐसी ही  खुश्बू बनाये रखें

Comment by chandan rai on June 4, 2012 at 4:55pm
उमा शंकर मिश्र जी


बहुत ही बेहतरीन विचारों से भरी पंक्तियाँ

प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on June 4, 2012 at 4:43pm

सुन्दर और भावपूर्ण प्रस्तुति हेतु मेरी दिली बधाई स्वीकार करें उमाशंकर मिश्र जी

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on June 4, 2012 at 3:57pm

प्रश्न खड़ा जीवन मृत्यु का
आर-पार कुछ करने को
लायेंगे बदलाव नया अब
संकल्प ह्रदय में धरने को
परोपकारिता हो गंगा जैसी
जन जन मन में बहने को

वर्तमान  स्थिति को दर्शाते हुए जोश भरा आवाहन, बधाई, आदरणीय उमा शंकर जी 

Comment by Yogi Saraswat on June 4, 2012 at 3:44pm

ये आग अब नहीं बुझने वाली ! बुझेगी , जब सब व्यवस्थित हो जायेगा ! अभी तो चिंगारी निकली है इसे लपटों में बदलने दो ! बेहतरीन रचना शती उमा शंकर मिश्र जी

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

ajay sharma shared a profile on Facebook
10 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Monday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Sunday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। पति-पत्नी संबंधों में यकायक तनाव आने और कोर्ट-कचहरी तक जाकर‌ वापस सकारात्मक…"
Sunday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब। सोशल मीडियाई मित्रता के चलन के एक पहलू को उजागर करती सांकेतिक तंजदार रचना हेतु हार्दिक बधाई…"
Sunday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार।‌ रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर रचना के संदेश पर समीक्षात्मक टिप्पणी और…"
Sunday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब।‌ रचना पटल पर समय देकर रचना के मर्म पर समीक्षात्मक टिप्पणी और प्रोत्साहन हेतु हार्दिक…"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, आपकी लघु कथा हम भारतीयों की विदेश में रहने वालों के प्रति जो…"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय मनन कुमार जी, आपने इतनी संक्षेप में बात को प्रसतुत कर सारी कहानी बता दी। इसे कहते हे बात…"
Sunday
AMAN SINHA and रौशन जसवाल विक्षिप्‍त are now friends
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय मिथलेश वामनकर जी, प्रेत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय Dayaram Methani जी, लघुकथा का बहुत बढ़िया प्रयास हुआ है। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service