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फुरसत

शहर की  मशहूर सी उस गली के दोनों किनारों पर बने घरों में रोशनी करने के लिए बिजली  के तार एक दूसरे से उलझे हुवे एक घर से दूसरे घर में, दुसरे घर से तीसरे घर में और इसी तरह  गली के सारे घरों से जुड़े हुवे थे. बिजली के इन तारों में उलझ कर एक दिन एक बंदर की मौत हो गयी. गली में बने सभी घरों में रहने वाले लोगों को बंदर की मौत से लगने वाले पाप से छुटकारा पाने की चिंता हो गयी.  गली के सभी बाशिंदओं ने आपस में रायशुमारी करने के बाद बन्दर की अंतिम यात्रा निकलने का निर्णय लिया.  बंदर की अंतिम यात्रा निकलने की तैयारी हुई. अपनी सामर्थ्य के अनुसार सबने इस यात्रा के लिए योगदान दिया - किसी ने पैसों से, किसी ने कपड़े दान किये, किसी ने अंतिम यात्रा में लुटाने के लिए खील बताशे, किसी ने कुछ तो किसी ने कुछ जुटाया.

बजे गाजे के साथ बंदर की अंतिम यात्रा निकली.  रामजी के सेवक की अंतिम यात्रा के लिए सभी अपनी अपनी श्रद्धा से शरीक हुए .  लेकिन उसी गली के मुंहाने पर सड़क के किनारे चिथड़ों में लिपटी, कई दिनों से भूखी और बीमार बूढी भिखारन की सुध लेने की किसी को फुरसत नहीं थी. 

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Comment by राज लाली बटाला on April 14, 2012 at 2:52am

पंजाबी में एक शिअर लिखा था मैंने !! याद आ गया !!


माडा  था बंद , अभ 'बाबा'  है बनिया
मंदिर , मसजिद ते दरगाहों के करके !! 
धर्मों के नाम पर कुछ भी मुमकिन है हमारे देश में !! अच्छी लगी आपकी कहानी !! Neelam ji !
Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on April 11, 2012 at 10:25pm

aadrniya nilam ji, sadar abhivadan. 

antim yatra bhi avashyak hai parantu budhi bhikarin ke prati samaj ko apna dayitv avashy nibhana tha. badhai. 

Comment by MAHIMA SHREE on April 11, 2012 at 3:56pm
नीलम जी नमस्कार ,
वाह बहुत खूब आपने छोटी सी कथा में बहुत बड़ी बात की और इंगित किया अपने स्वार्थ में इंसान किसी को भी भगवान बना दे और जैसा जवाहर सर ने कहा मानव धर्म का कई मोल नहीं है
Comment by AVINASH S BAGDE on April 11, 2012 at 3:04pm

हम सभी धर्म धर्म खूब चिल्लाते है पर वही पर मानव धर्म भूल जाते हैं...Jawahar lal ji bilkul sahi kaha apane......dil ko kchotati laghu-katha...Neelam ji bahut khoob.

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on April 10, 2012 at 9:39pm
हम सभी धर्म धर्म खूब चिल्लाते है पर वही पर मानव धर्म भूल जाते हैं.
गागर में सागर! नीलम जी, अच्छी प्रस्तुति के लिए बधाई!

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