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लायेगा अब कौन सुराज

आजाद था भारत पहले से कब गुलामी की  बेड़ियों में जकड़ा था 
सोच हमारी थी गलत फिर भी  न बदली  इसी बात का  रगडा था 
था सोने की चिड़िया भारत देश कहते अब भी है  इनकार नहीं 
पहले था  लूटा विदेशियों ने अब लूटते  वो जिनके घर बार यहीं 
हमेशा पूजा लुटेरों को निज स्वारथ घर भेदी बन सत्कार किया 
जो बढ़ा रोकने आततताईयों को पग पग पर उसका अपमान किया 
दिया मान सम्मान उन्हें बहुत घर अस्मत को मिलकर  लुटवाया
बढे वीर बाँकुरे रोकने जब कर घात विदेशियों को महान बनाया 
सिकंदर अकबर क्यों हुए महान गाते गीतों में क्यों  लुटेरो की कहानी 
पुरु वीर शिवा  मंगल पाण्डेय आजाद भगत वीर सुभाष  सच्चे बलिदानी 
कैसे कह दें कि आजाद हैं हम अपने बलिदानी तक  जिन्हें  हैं याद नहीं 
लायेगा अब कौन सुराज ऐसे रहनुमाओं से करेगा कोई फरियाद नहीं 

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Comment by JAWAHAR LAL SINGH on April 10, 2012 at 9:42pm
आदरणीय मनीषी जी, सादर 
सम्पूर्ण रचना अपने में अति सुन्दर भाव लिए 
बढ़ते ही रहो आगे राणा सांगा जैसे घाव लिए
एक दिन तो आसमान में अरुणोदय सी लाली छाएगी 
बहा जो रक्त शहीदों का उनकी क़ुरबानी खाली न जाएगी.
वन्दे मातरम, जय हिंद. 
Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on April 10, 2012 at 8:55pm

था सोने की चिड़िया भारत देश कहते अब भी है  इनकार नहीं 

पहले था  लूटा विदेशियों ने अब लूटते  वो जिनके घर बार यहीं 
सिकंदर अकबर क्यों हुए महान गाते गीतों में क्यों  लुटेरो की कहानी 
पुरु वीर शिवा  मंगल पाण्डेय आजाद भगत वीर सुभाष  सच्चे बलिदानी 
आदरणीय मनीषी जी, सादर 
सम्पूर्ण रचना अपने में अति सुन्दर भाव लिए 
बढ़ते ही रहो आगे राणा सांगा जैसे घाव लिए
एक दिन तो आसमान में अरुणोदय सी लाली छाएगी 
बहा जो रक्त शहीदों का उनकी क़ुरबानी खाली न जाएगी.
वन्दे मातरम, जय हिंद. 

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on April 10, 2012 at 8:33pm

बहुत सुन्दर भाव मनीषी जी देश भक्ति के भाव से सुसज्जित रचना  हेतु बधाई.

कृपया ध्यान दे...

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