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हाँ मेरे पास कोई सहारा नहीं,

मगर मैं बेबस बेचारा नहीं;

*

सोचता हूँ कुछ मैं भी कहूँ अब
मगर ज़ुबान को ये गवारा नहीं;

*

वो जिसे हम अपना समझते रहे,
आज जाना के वो हमारा नहीं;

*

थोड़ी सी ज़मीन मुट्ठी भर आसमान,
आज करने को मेरे ये भी गुज़ारा नहीं;

*

ज़िंदगी यूँ तो अमावस सी है मेरी,
पर फ़लक में कोई भी सितारा नहीं;

*

हाँ भटकता हूँ मैं दरबदर माना यूँ ही

पर मैं सड़कों का कोई आवारा नहीं;

*

जाते-जाते लगा कोई बुलाता है 'वाहिद',
फिर के देखा तो किसी ने पुकारा नहीं;


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Comment

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Comment by संदीप द्विवेदी 'वाहिद काशीवासी' on March 23, 2012 at 1:04pm

पुनरागमन एवं सराहना हेतु तहे दिल से शुक्रिया वीनस जी! :))

Comment by वीनस केसरी on March 23, 2012 at 12:29pm

सोचता हूँ कुछ मैं भी कहूँ अब
मगर ज़ुबान को ये गवारा नहीं;


ग़ज़ल अच्छी है
यह शेर खास पसंद आया

Comment by संदीप द्विवेदी 'वाहिद काशीवासी' on March 16, 2012 at 7:24pm

सादर आभार वीनस जी,

आप सब गुणीजनों के सान्निध्य में सुधार आ ही जाएगा|

Comment by वीनस केसरी on March 16, 2012 at 2:09pm

सुन्दर भाव हैं
अभिवयक्ति को आपने सुन्दर शब्द संयोजन दिया है

शिल्प पर चिंतन मनन होना चाहिए

Comment by संदीप द्विवेदी 'वाहिद काशीवासी' on March 16, 2012 at 11:01am

सादर आभार आदरणीय राजीव जी आप द्वारा प्रोत्साहन के लिए.

Comment by RAJEEV KUMAR JHA on March 16, 2012 at 10:32am

बहुत सुन्दर गजल है,संदीप जी.

वो जिसे हम अपना समझते रहे,

आज जाना के वो हमारा

बहुत खूब.

Comment by संदीप द्विवेदी 'वाहिद काशीवासी' on March 15, 2012 at 12:58pm

आदरणीय कुशवाहा जी आपका हार्दिक आभार,

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on March 15, 2012 at 12:01pm

जाते-जाते लगा कोई बुलाता है 'वाहिद',
फिर के देखा तो किसी ने पुकारा नहीं;

बहुत खूब. सुन्दर भाव एवं प्रस्तुति. बधाई.

Comment by संदीप द्विवेदी 'वाहिद काशीवासी' on March 15, 2012 at 10:36am

आदरणीय सौरभ जी,

आप जैसे गुणी व्यक्तित्व के सानिध्य में मुझ में अपेक्षित सुधार होगा ऐसा मेरा विश्वास है| प्रोत्साहित करते शब्दों के लिए कृतज्ञ हूँ|


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on March 15, 2012 at 10:26am

कहन में क्या दम है ! वाह !  शे’र दर शे’र इस बात की पुष्टि होती जाती है.

मैं शिल्प के संदर्भ में क्या कहूँ. आप साझा करें, हम समवेत सधते जायेगे. सादर

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