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दीवानगी क्या चीज़ है, मालूम न था;

इश्कियां क्या चीज़, मालूम न था;

 क्यों लोग खो जाते है ख्यालो में, मालूम न था;

क्यों हो जाते है लोग स्थिल, मालूम न था;

आज मेरे हर सवालों का जवाब मुझे मिला;

जिन्दगी का एक नया सबक मैंने सिख लिया;

 सिख लिए मैंने प्यार करने के तरीके,

 और सिख ली मैंने इश्क को जताने के सलीके;

 आज एक हौसला दिल में नया जगा;

जिसने जिन्दगी जीने का हौसला दिला दिया;

आज नयी उमंगो ने दी है दिल में दस्तक;

 जिनके सहारे जाना है मुझे भी दूर तक;

 कभी इन उमंगो को कम न होने दूंगा;

जरुरत पारी तो जग से सामना भी करूँगा;

अब न अंजामो का दर है;

बस उनको ही पाने का मेरा मन है;

चाहे कष्ट कितने भी हो मेरे अंतर्मन में;

 सिर्फ उनको ही चाहूँगा इस छोटे से जीवन में;

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Comment by Smrit Mishra on September 11, 2011 at 10:20pm

धन्यवाद, वंदना जी,

यह तो आपलोगों का बड्पन है

कृपया ध्यान दे...

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