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पहले कभी ऐसा तो था नहीं मैं,

दीवाना तुमने मुझको बना दिया;

सोचा कभी नहीं बदलूँगा मैं,

तेरे इश्क ने मुझको बदल दिया;

इश्क क्या चीज़ है मालूम न था,

तेरे मुहब्बत ने मुझको दीवाना बना दिया;

क्यों करते हो मुझ पर भरोसा इतना,

तेरे विश्वास ने मुझको कमजोर बना दिया;

भूल गया था सब रिश्तो को मैं,

हो गया था बेगाना सभी के लिए,

पर तुने तो मुझको ही अपना बना लिया;

चाहता तो मैं भी हूँ तुझे अपना बनाना,

पर ये कैसी बेबसी है,

जो तुझको भी मुझसे बेगाना बना दिया;

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मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on September 4, 2011 at 4:54pm

स्मृत मिश्रा जी, खुबसूरत ख्याल है, प्रयास भी बढ़िया है, उम्मीद करते है और भी कसी हुई रचनाएँ पढ़ने को मिलेगी | आभार इस प्रस्तुति हेतु |

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