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बहन का खत भाई के लिए

हर साल की तरह इस बार भी जब भाई ने मुझसे पूछा की दीदी तुम्हे राखी पर क्या चाहिए तो आँखे ये सोच कर नम हो आई की मे कितनी खुशकिसमत हू जो मुझे एक समझदार और ज़िम्मेदार भाई मिला हे जो मुझसे उम्र मे बहुत छोटा हे लेकिन अपनी दीदी की हर छोटी बड़ी बातो का ख़याल रखता हे और मान भी देता हे. साथ ही मन ये भी सोचने लगा की आज के समय मे एसा बेटा, भाई सबको नही मिलता. आजकल के भाई कहाँ जिंदगी भर अपने भाई बहनो की ज़िम्मेदारी निभा पाते हे.

 

मैने अपने स्कूल मे कितनी ही लड़कियो को राखी के दिन रोते हुए देखा था क्योकि उनके भाई नही थे और वो किसे राखी बाँधे ये सोचकर उदास होती थी. तब मे इस बात पर बहुत खुश होती थी की भगवान ने मुझे भाई दिया हे जिसकी कलाई पर मे राखी वाले दिन राखी बाँध सकती हू और मनचाहा उपहार भी पा सकती हूँ. तब बालमान भाई बहन के रिश्ते की संजीदगी को नही समझ पाता था लेकिन बड़े होने पर ये बात समझ मे आई की केवल भाई होना खुशी की बात नही बल्कि एक ज़िम्मेदार, समझदार संस्कार को मान देने वाला और नींव से जुड़ा रहने वाला भाई होना खुशी की बात होता हे. जो अपनी बहन और भाई के साथ साथ माता-पिता का ख़याल भी रख सके.

 

सोचा क्यो न इस बार राखी पर भाई से कुछ अनोखा माँगा जाए और सिर्फ़ अपनी तरफ से नही बल्कि दुनिया की हर बहन की तरफ से दुनिया के हर भाई के लिए.

 

तो भाई सुनो तुम्हारी बहन तुमसे क्या चाहती हे.

 

सबसे पहले एक बहन की चाह हे की तुम एक अच्छे सच्चे और ईमानदार इंसान बनो बहुत उन्नति करो लेकिन अपनी नींव को कभी नही भूलो.

 

बहन को मान दो लेकिन उसके पहले अपने माता पिता को मान दो उनका दिल कभी भी न दुखाओ और जब माता पिता के चेहरे पर झुर्रिया आने लगे तो उनका हाथ मजबूती से थाम लो ताकि उनके कदम लड़खड़ाए ना.

 

जब पिताजी व्रद्धावस्था मे पहुँच जाए तो हो सकता हे की वो थोड़े चिड़चिड़े स्वभाव के हो जाए क्योकि कहते की बुडापे मे स्वभाव थोड़ा चिड़चिड़ा हो जाता हे तब उनके इस स्वभाव के कारण कहीं उनसे मुँह नही फेर लेना याद रखना की इन्ही माँ - बाप ने तुम्हारे बचपन मे तुम्हारे गुस्से और ज़िद को सहा हे वो भी हँसते हँसते.

 

भैया माँ बहुत संकोची स्वभाव की हे हमेशा उनकी प्राथमिकता मे सबसे पहले उनके बच्चे फिर उनके पति और बाद मे वो स्वयं होती हे. इसलिए उनकी ज़रूरतो का हमेशा ख़याल रखना. वो माँ हे, तुम्हारी माँ, इसलिए उनका मन दुखी न करना. तुम जिंदगी मे कितने भी व्यस्त हो जाओ लेकिन उनके लिए कुछ समय निकाल लेना . हो सकता हे करियर के लिए या जॉब के लिए तुम्हे उनसे दूर रहना पड़े फिर भी कम से कम फ़ोन पर उनके हाल चाल ज़रूर पूछ लेना. जैसे तुम होस्टल मे थे तब माँ केसे तुमसे फ़ोन पर पूछा करती थी न की बेटा खाना खाया की नहीं पेसे की ज़रूरत तो नही वरना पापा से कह कर और पेसे डलवा दू? वेसे ही अब तुम्हे उनका ख़याल रखना हे.

 

माता पिता के बाद बारी आती हे बड़े भाई भाभी और तुम्हारी पत्नी और  बच्चो की जो की बहुत महत्वपूर्ण हे. एसा न हो की तुम परिवार की ज़िम्मेदारिया निभाते निभाते अपनी पत्नी और बच्चो के प्रति उदासीन हो जाओ वो तुम्हारी ज़िम्मेदारी हे और तुम्हारी प्राथमिकता भी इसलिए उन्हे भी खुश रखना तुम्हारा कर्तव्य हे. बड़े भाई भाभी को मान देना और छोटो के लिए एक आदर्श भाई साबित होना भी तुम्हारी ज़िम्मेदारी का ही हिस्सा हे.

 

इन सबके बाद बारी आती हे हमारे समाज और देश की तुम जब एक अच्छे और सच्चे इंसान बनोगे अपने परिवार के प्रति अपने कर्तव्यो की पूर्ति करोगे तो ज़िम्मेदारिया यही ख़त्म नही हो जाती हमारा परिवार, समाज और देश का ही तो हिस्सा हे सो उसके प्रति कर्तव्यो से मुकर नही सकते.

 

समाज मे अगर किसी बुराई को जन्म लेते देखो तो उसे वही ख़त्म करने का प्रयास करो. सच्चाई का साथ दो चाहे तुम उसमे अकेले ही क्यो न हो. अपने से छोटे तबके के लोगो की मदद करो उनको घ्रणा से न देखो न ही खुद के बड़े होने का अभिमान करो.  

 

देश के प्रति समर्पित रहो देश से प्यार करो. भैया आधुनिक हो जाने का मतलब यह नही की देश के बारे मे सोचना या देश भक्ति की बाते करना व्यर्थ हे. बल्कि तुम्हे अगर कोई मौका मिले देश सेवा का तो पीछे नही हटना.

 

देश सेवा का यह मतलब नहीं की सीधे बंदूक लेकर सीमा पर खड़े हो जाओ बल्कि और भी तरीके हे देश की सेवा के तुम किसी ज़रूरतमंद को रक्त दान कर सकते हो. जो बच्चे शिक्षा प्राप्त नहीं कर पा रहे उन्हे तुम पढ़ने मे मदद कर सकते हो, भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज़ उठाओ और इसे जड़ से ख़त्म करने मे मदद करो. देश से अपने घर की तरह ही प्रेम करो इसे साफ सुथरा रखो, औरो को भी प्रेरणा दो. बस यह भावना अगर तुम्हारी रही तो तुम एक सच्चे नागरिक बन पाओगे और तुम्हारी बहन यही चाहती हे की तुम अच्छे भाई की तरह एक अच्छा नागरिक भी बनो.

 

इन सबके बाद बारी आती हे मेरी यानी तुम्हारी बहन की तो भैया मुझे ज़्यादा कुछ नही चाहिए बस एक वचन की तुम ये सारी बाते निभाओगे और अपनी बहन का सर हमेशा गर्व से उँचा रखोगे. तुम कही भी रहो देश या विदेश अपनी मिट्टी को कभी नही भूलो और हम सब से खूब सारा स्नेह पाते रहो. तुम्हारी बहन हमेशा तुम्हारे साथ हे. तुम्हारी  तरक्की के लिए ईश्वर से प्रार्थना करती हे  और तुमसे राखी के बदले बस यही चाहती हे की तुम इस वचन को निभाओ .

 

तो भैया अपनी बहन को इस बार राखी पर ये उपहार दोगे ना?

 

 प्रेषक

मोनिका भट्ट (दुबे)

Views: 7949

Comment

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Comment by sangeeta swarup on August 8, 2011 at 3:25pm

इस महीने कि सर्वोत्तम रचना के लिए बधाई ..

 

यह खत बहुत लोगों को प्रेरणा देने वाला है ... अच्छी और परिपक्व सोच .. आपको पढ़ना अच्छा लगा ..

Comment by mohinichordia on August 8, 2011 at 2:17pm

एक बहन ने राखी के अवसर पर भाई को बहुत सुन्दर शब्दों में अपना सन्देश लिखा हे\चाहती तो सभी बहनें यही है लेकिन लिख कुछ ही पाती हैं |आपने सुन्दर प्रयास किया हे , बधाई |.मुझे अब्राहम लिंकन  का लिखा पत्र याद आ गाय जो उन्होंने अपने पुत्र के विद्यालय के प्रिंसिपल को लिखा था ,इस पत्र को मैनें एक किताब में पढ़ा था | 

Comment by satish mapatpuri on August 7, 2011 at 9:06pm

मोनिका जी, आपकी रचना को OBO द्वारा BEST CREATION OF THE MONTH घोषित करने पर मेरी हार्दिक बधाई.आपके प्रेरक पत्र पढ़कर पंडित नेहरु लिखित " पिता का पत्र पुत्री के नाम" का स्मरण हो आया.पंडित जी ने जो पत्र अपनी पुत्री इंदिरा जी के लिए लिखा था,वो पत्र करोड़ों लोगों के लिए प्रेरणा -स्रोत बन गया. मेरी शुभकामना आपके साथ है.

Comment by monika on July 24, 2011 at 1:59am

आपका बहुत बहुत शुक्रिया गणेश जी आप जैसे गुणी जनो के मार्गदर्शन और हौसला अफजाई की आवश्यकता हे आपका बहुत बहुत धन्यवाद.


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on July 23, 2011 at 1:31pm

मोनिका जी, यह आलेख ओ बी ओ के लिए रक्षाबंधन का उपहार सरीखा है, बहुत ही खुबसूरत भाव है , एक बहन की भावना का सम्प्रेषण बहुत ही खुबसूरती से आपने किया है , बहुत बहुत बधाई आपको | 

Comment by monika on July 22, 2011 at 12:32am

आप सभी का बहुत बहुत शुक्रिया इसी तरह हौसला अफजाई करते रहिएगा.


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 21, 2011 at 7:44pm

//तुम कही भी रहो देश या विदेश (में) अपनी मिट्टी को कभी नही भूलो और हम सब से खूब सारा स्नेह पाते रहो.//

बहन की इस पंक्ति का मान ही एक भाई रख ले इससे अधिक वह अपनी बहन को और क्या आश्वासन दे पायेगा?

बहुत भावनापूर्ण आलेख जो आज अक्सर नहीं लिखे जाते. ..

मेरी शुभकामनाएँ.

Comment by LOON KARAN CHHAJER on July 21, 2011 at 3:45pm

मोनिका जी

बहूत सुंदर लिखा है . बधाई.
मैंने पढ़ा तो आँखे गीली हो गई की बेटी  अपने माँ बाप के लिए कितनी चिंतित रहती है फिर भी कहतें है की बेटी पराया धन होती है . मै तो कहता हूँ की असली धन तो बेटी होती है जो दूर होकर भी दिल से जुडी रहती है . भगवान ने मुझे भी एक बेटी दी है जब पत्र  पढ़ रहा था तो लगा की मेरी रूचि ने अपने भाइयों  को लिखा है. वास्तव में इससे बड़ी गिफ्ट राखी की नहीं हो सकती. में एक अख़बार निकलता हूँ संभव हुआ तो आपके  नाम से प्रकाशित करूँगा.  
साधुवाद. 

Comment by Lal Bihari Gupta LAL on July 21, 2011 at 3:06pm

भाई बहन की पवित्र रिश्ता की बुनियाद जनक द्वारा रखी जाती है । आज जरुरी है किपुत्र अपने माता-पिता के बुढापे का लाठी बने । इसी में घर परिवार ,सामाज एवं देश का भला है। मोनिका भट्ट की द्वारा  इस राखी पर अपने भाई से  इस तरह की माँग जायज है । पर सामाज को भी सोचना होगा की ऐसी नौबत क्यों आई। बडे-बुजुर्गों को भी संतान को बालपन में ही संस्कारिक घूंटी पिलानी होगी ,तभी स्वस्थ्य सामाज की कल्पना की जा सकती है।

लाल बिहारी लाल,बदरपुर,नई दिल्ली-44

Comment by Shashi Mehra on July 20, 2011 at 8:38pm

भाई दुज़ के अवसर के लिए लिखी गई दो पंक्तियाँ पेश हैं ;- न रिश्ता बदनाम हो, न लागे कोई उज़ | इसी लिए मशहूर है, जग में भय्या दूज ||
आपकी भावनाओं से सहमत हूँ |

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