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अलका 'कृष्णांशी''s Blog – April 2017 Archive (4)

मीत बन जाइए....मनहरण घनाक्षरी...समीक्षार्थ..//अलका ललित

समीक्षार्थ

मनहरण घनाक्षरी ....(एक प्रयास)

***

 

आशा का प्रकाश कर

बांस को तराश कर

बांसुरी के सुर संग

गीत बन जाइए

.

हौसले पकड़ कर

आँधियाँ पछाड़ कर

बहती नदी सी इक

रीत बन जाइए

मछली पे आँख रहे

धरती पे पाँव रहे

आसमान छू के जरा

जीत बन जाइए

बहुत जीया है इस

दुनिया की सोच कर

अब अपने भी जरा

मीत बन…

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Added by अलका 'कृष्णांशी' on April 17, 2017 at 6:30pm — 14 Comments

मनहरण घनाक्षरी...समीक्षार्थ..अबके चुनाव में...//अलका ललित

समीक्षार्थ

मनहरण घनाक्षरी ....(एक प्रयास)

***

भ्रष्टाचारियों से बड़ी

चोट खाई पीढ़ियों ने

चोट ये मिटानी होगी

अबकी चुनाव में  

.

दांव न लगाने देंगे

झूठे वादों का जी अब

हार भी चखानी होगी

अबकी  चुनाव में

.

मतदाता याद आए

पांच साल बाद जिसे

मात उसे खानी होगी

अबकी…

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Added by अलका 'कृष्णांशी' on April 9, 2017 at 5:00pm — 6 Comments

गूंज....लघुकथा //अलका ललित

कुछ दिनों से गर्ल्स स्कूल के सामने लड़को की भीड़ और उनकी बद्तमीज़ियां बढ़ती ही जा रही थी ,छात्राओं का गेट से निकलना भी मुश्किल होता जा रहा था। आज यहाँ बहुत तेज तेज आवाज़े गूंज रही है क्योकि स्कूल टीचर्स  की कंप्लेंट पर आज पुलिस ने सादा लिबास में मजनुओं की टोली को पकड़ लिया था और पुलिस स्टेशन ले जा रहे थे। 

उनके खिलाफ गवाही देने के लिए  नीलम और उसके साथ की ही कुछ अन्य टीचर्स भी पुलिस स्टेशन पहुंच गई  कुछ इंतजार के बाद  ही उन लड़को के पेरेंट्स भी पुलिस स्टेशन पहुँच गए और अपने लड़को को डांटते …

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Added by अलका 'कृष्णांशी' on April 4, 2017 at 4:00pm — 11 Comments

सांगोपांग सिंघावलोकन मनहरण घनाक्षरी .//अलका ललित

घनाक्षरी में सांगोपांग सिंहावलोकन छंद के साथ  प्रथम प्रयास 

**

जाइए यहाँ से अभी

सरदी बहुत है जी

बादल आवारा सुनो

गर्मियों में आइए

.

आइए जो गरमी में

बरखा बहार संग

ठंडी सी हवाओं वाला

रस भी तो लाइए

.

लाइए जो बिजली तो

गरज गरज कर

कसक बरसने की

हमे न दिखाइए

.

खाइए न भाव अब

उचित समय पर

कृषकों की आस जरा

पूरी कर जाइए

**

 "मौलिक व…

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Added by अलका 'कृष्णांशी' on April 3, 2017 at 3:00pm — 18 Comments

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