हौसलों का पंछी -2(गतांक से आगे )
उनके बैठने के बाद मैं फिर पूछता हूँ-सारी कहानी क्या है ?और बस प्रकाश के नाम से ?
“उस समय काम अच्छा चल रहा था |उसे नासिक पढ़ने के लिए भेज दिए |सोचा कुछ बन जाएगा |पर- - - -वो साला चार साल तक पढ़ाई के नाम पर ऐययासी करता रहा |फिर सुधारने के लिए शादी कर दी |पर साला कुत्ता का पोंछ | सब चौपट करता गया |हम खून जला-जलाकर जोड़ते रहे वो दारू और रंडीबाजी में उड़ाता रहा | ”
“इसका मतलब आप ने अन्धविश्वास किया ?”
“बड़ा था मैं तो अपना फर्ज़ समझकर…
ContinueAdded by somesh kumar on June 20, 2015 at 7:30pm — 3 Comments
हौसलों का पंछी(कहानी,सोमेश कुमार )
“हवा भी साथ देगी देख हौसला मेरा
मैं परिंदा ऊँचे आसमान का हूँ |”
कुछ ऐसे ही ख्यालों से लबरेज़ था उनसे बात करने के बाद |ये उनसे दूसरी मुलाकात थी|पहली मुलाक़ात दर्शन मात्र थी |सो जैसे ही बनारस कैंट उतरा तेज़ कदमों से कैंट बस डिपो के निकट स्थित उनके कोलड्रिंक के ठेले पर जा पहुँचा |जाने कौन सी प्रेणना थी कि 4 घंटे की विलंब यात्रा और बदन-तोड़ थकावट के बावजूद मैंने उनसे मिलने का प्रण नहीं छोड़ा |
“दादा,एक छोटा कोलड्रिंक दीजिए|” मैंने…
ContinueAdded by somesh kumar on June 19, 2015 at 7:52pm — 1 Comment
Added by somesh kumar on June 15, 2015 at 2:16pm — 13 Comments
दो दिल दो रास्ते
मोबाईल पर मैसेज आया –“गुड बाय फॉर फॉरएवर |”
कालीबाड़ी मन्दिर पर उस मुलाकात के समय जब तुमने आज तक का एकमात्र गिफ्ट प्यारा सा गणेश दिया था तो उसके रैपर पर बड़े आर्टिस्टिक ढंग से लिखा था-फॉर यू फॉरएवर और अब ये !|
यूँ तो तुम सदा कहते थे -मुझे एक दिन जाना होगा |
पर इसी तिथि को जाओगे जिस रोज़ मेरी ज़िन्दगी में आए थे दो साल पहले |वो भी इस तरह |इसकी कल्पना भी ना की थी |
अगला मैसेज-मुझे याद मत करना |अगर तुम मुझे याद करोगी तो मैं स्थिर नहीं रह…
ContinueAdded by somesh kumar on June 11, 2015 at 11:30pm — 1 Comment
Added by somesh kumar on June 10, 2015 at 9:02pm — 4 Comments
रुकी-रुकी सी इक ज़िन्दगी –सिक्वेल 2
25 साल का सोनू मुझसे चार साल बाद मिल रहा था |इससे पहले जब मिला था तो उसकी शादी नहीं हुई थी |यूँ तो उसका मेरे घर पर बराबर आना-जाना है |पर दिल्ली में रहने और एकाध दिन के लिए ही गाँव में ठहरने के कारण उससे चार सालों से नही मिला था |जाति से लुहार और पेशे से ट्रक-ड्राईवर |पर मेरे पिताजी से उसके पिताजी और उसके आत्मीय सम्बन्ध थे |बस पिताजी की एक छोटी सी मदद के बदले पूरा परिवार मेरे पिता के लिए हमेशा खड़ा रहता था |जब उसकी शादी तय हुई तो पिताजी दिल्ली…
ContinueAdded by somesh kumar on June 9, 2015 at 1:12pm — 3 Comments
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