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praveen singh "sagar"
  • Male
  • delhi
  • India
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Gender
Male
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patna, bihar
Native Place
chhapra
Profession
writter
About me
simple and kind heart man.

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Praveen singh "sagar"'s Blog

वैलेंटाइन फ्लू (व्यंग)

 वैलेंटाइन  फ्लू (व्यंग)



त्राहिमाम  कर  रही  दिल्ली, फ़ैल  रहा  स्वाईंन फ्लू,

दूजे  सर  चढ़  के  बोल  रहा  सबके  वैलेंटाइन  फ्लू.

कही  मरीजों  की  है, कतारें  लम्बी  अस्पतालों  में,

और  हम  हैं  की  खोये  हैं  प्रेमिका  के  ख्यालों  में.

कही  परिजन  चीत्कार  कर  रहे  छाती पीटकर,

प्रेम  पत्र  लिख  रहे  हम  उसपर  इतर छिटकर.  

पड़ोस  में  एक  बीमार  पड़े  ,मदद  को हैं बुलाते,

पर  गुलाब  लिए  हाथ  में  हम  गीत हैं गुनगुनाते.

क्यों  औरों  का  दुःख  अपनाऊँ…

Continue

Posted on February 10, 2013 at 12:42pm — 6 Comments

वाह -वाह क्या बात है !

काव्यगोष्ठी , परिचर्चा

कभी किसी विषय का विमोचन ,

आये दिन होते रहते

कविता पाठ के मंचन .

बाज़ न आते आदत से

ये कवियों की जो जात है .

वाह -वाह क्या बात है !

वाह -वाह क्या बात है !



इन्हें आदत है बोलने की

ये बोलते जायेंगे ,

हमारा क्या है , हम भी

सुनेंगे , ताली बजायेंगे .

पल्ले पड़े न पड़े , कोई फर्क नहीं

बस ढiक का तीन पात है .

वाह -वाह क्या बात है !

वाह -वाह क्या बात है !



ये निठल्ले , निकम्मे कवि

बे बात के ही पड़ते…

Continue

Posted on November 3, 2012 at 2:00pm — 7 Comments

आज का ये ही दौड़ है

आज का ये ही दौड़ है कहता ये वक्त है

है सुखी और सफल वही , बीवी का जो भक्त है



उसी की ही आरती है , उसी का गुणगान है ,

घुमा फिर के बातों में बस उसी का बखान है .

इस बात का बयां , चेहरा करता अभिव्यक्त है .

है सुखी और सफल वही , बीवी का जो भक्त है .



उसी की ही सेवा है, उसी का सुमिरन है .

उसपे ही "सागर" का निसार सारा जीवन है .

प्राणप्रिये के प्रेम में , जो तन-मन से आसक्त है .

है सुखी और सफल वही , बीवी का जो भक्त है .



उसी में ही श्रधा है…

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Posted on October 21, 2012 at 1:00pm — 1 Comment

साधना और आराधना

जिंदगी के दो आयाम,

साधना और आराधना.

दोनों मार्ग हैं मुक्ति के,

पूर्ण करे हर इच्छा-कामना.

एक प्रोत्साहित करे बल-पौरुष को,

दूजा सन्मार्ग दिखाए.

हर विघ्न में, हर बाधा में,

चित्त की धैर्यता और बढ़ाये.

साधना से जीवन सधे,

केन्द्रित करे ध्यान को.

आराधना से सुमति मिले,

सन्मार्ग बताये इंसान को.

जो जन्म लिया नर रूप में,

तो सफल करें इस जीवन को.

करे आराधना उस इश्वर का,

साध लें अपने तन-मन…

Continue

Posted on April 14, 2012 at 7:00pm — 9 Comments

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At 12:17am on February 5, 2016,
सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर
said…

ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार की ओर से आपको जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनायें...

At 2:14pm on March 18, 2012, RAJEEV KUMAR JHA said…

धन्यवाद ! प्रवीण जी.

At 10:09pm on February 5, 2012, Admin said…

 
 
 

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