For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Kedia Chhirag
  • 34, Male
  • Bhagalpur,Bihar
  • India
Share on Facebook MySpace

Kedia Chhirag's Friends

  • शकील समर
  • Priyanka singh
  • कल्पना रामानी
  • अशोक कत्याल   "अश्क"
  • prashant suman
  • केवल प्रसाद 'सत्यम'
  • coontee mukerji
  • बृजेश नीरज
  • वेदिका
  • ram shiromani pathak
  • vijay nikore
  • anwar suhail
  • Sarita Bhatia
  • नादिर ख़ान
  • राजेश 'मृदु'
 

Kedia Chhirag's Page

Profile Information

Gender
Male
City State
Bhagalpur,Bihar
Native Place
Purnea, Bihar

Comment Wall (7 comments)

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

At 11:16pm on April 28, 2013, coontee mukerji said…

चिराग जी , मुझे आप से मित्रता करके अपार खुशी होगी . एक सौ पचास साल पहले मेरे पूर्वज बिहार से मॉरिशस गये थे . मुझे ह्मेशा अपने पूर्वज के देश के वासियों के बारे में जानने की उत्सुक्ता बनी रहती है. जाने

अंजाने मैं अपनी जड़ों को तलाशती रहती हूँ.मैं आप को हृदय से स्वागत करती हूँ.

At 6:57pm on April 27, 2013, कल्पना रामानी said…

चिराग जी, हार्दिक स्वागत आपका....

At 2:32am on April 16, 2013, vijay nikore said…

Thank you for inviting me to be your friend.

Vijay Nikore

At 4:17pm on April 15, 2013, PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA said…

hardik swagat hae aapka 

At 9:44pm on April 13, 2013, बृजेश नीरज said…

चिराग जी आपका हार्दिक स्वागत है! आपकी पहली रचना की प्रतीक्षा है।

At 3:44pm on April 13, 2013,
मुख्य प्रबंधक
Er. Ganesh Jee "Bagi"
said…
At 4:45pm on April 11, 2013, विन्ध्येश्वरी प्रसाद त्रिपाठी said…
केदिया चिराग जी ओ.बी.ओ. परिवार में आपका हार्दिक स्वागत है। हमें आशा है आप अपनी संलग्नता,कर्मठता और साहित्यिक प्रयास से ओ.बी.ओ. के सीखने सिखाने की परम्परा को आगे बढ़ायेंगे।
सादर

Kedia Chhirag's Blog

ग़ज़ल- ज़िंदगी क्यूँ तेरा पता ढूँढता हूँ !!

बहर - 2122 / 1212 / 2122 

रेत पर किसके नक्शे पा ढूँढता हूँ !

ज़िंदगी क्यूँ तेरा पता ढूँढता हूँ !!

किस ख़ता की सज़ा मिली मुझको ऐसी 

माज़ी में अपने ,वो ख़ता ढूँढता हूँ !!

य़क सराबों के दश्त में खो गया मैं

अब निकलने का रास्ता ढूँढता हूँ !!



दौरे गर्दिश में संग ,गर चल सके जो

कोई ऐसा मैं हमनवा ढूँढता हूँ !!

रौशनी थी मुझे मयस्सर कब आखिर

फिर भी क्यूँ कोई रहनुमा ढूँढता हूँ !!

.

चिराग़…

Continue

Posted on June 28, 2014 at 1:00pm — 13 Comments

इस अन्धकार में कितनी सदियाँ और बिताना बाकी है ?

"चीख चीख कर पूछ रहा है ,ये उद्वेलित मन मेरा मुझसे ,

इस अन्धकार में कितनी सदियाँ और बिताना बाकी है ?

चूड़ियाँ पहने पड़ी इस सुषुप्त व्यवस्था को धिक्कारने में

अब भी यूँ ही कितनी मोमबत्तियाँ और जलाना बाकी है ?

इस कुण्ठित दानवता के कुकृत्यों से लज्जित ,

आज मानवता कितनी बेबस पानी पानी है ?

मोड़ मोड़ पर खड़े ये दुर्योधन और दु:शासन ,

दुर्गा पूजती सभ्यता की क्या यही निशानी है ?

कोरे कागज़ी कानूनों के फूल चढ़ाये ,यूँ अर्थियाँ उठाते,

कितने…

Continue

Posted on June 6, 2014 at 9:30am — 4 Comments

ज़िन्दगी ठहरी फ़क़त दो पल की

खबर क्या है किसी को कल की

ज़िन्दगी ठहरी फ़क़त दो पल की

एक से ही हैं गम हमारे

एक सी ही तो खुशियाँ

दिल से दिल के दरमयाँ

फिर क्यूँ इतनी है दूरियाँ

तमन्ना किसे है आखिर ,किसी ताजमहल की

ज़िन्दगी ठहरी फ़क़त दो पल की .............

आ चल दो पल हम

जरा दिल से रो लें

नफ़रत के हर निशाँ

आँसुओं से धो लें

ओढ़ माँ का आंचल

दो पल को हम सो लें

जिन्दगानी हो कहानी ,यक नए पहल की

ज़िन्दगी ठहरी फ़क़त दो पल की…

Continue

Posted on December 3, 2013 at 4:00pm — 9 Comments

मुझमें बसी मेरी कविता है तू

"रचा न जिस वास्ते तुझे खुदा ने

उस रंग में कभी खुद को न रंग

दुनियादारी है रवायत दुनिया की

दुनियादार न बन दुनिया के संग

निश्चल ये दिल है ,चंचल जैसे

छलछल कलकल बहता पानी है

थम न जाना किसी मराहिल पे

दरिया की तो रविश ही रवानी है

खिलखिलाते देखता हूँ तुझे जब भी

याद आता है मुझको अपना बचपन

क्या बख्त होगा उस घर आँगन का

तेरे क़दमों से जो हो जायेगा गुलशन



खुदा न बशर ,न हूर न फ़रिश्ता है तू

अन्तर्मन में…

Continue

Posted on August 1, 2013 at 8:30am — 2 Comments

 
 
 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी

२१२२       २१२२        २१२२   औपचारिकता न खा जाये सरलता********************************ये अँधेरा,…See More
8 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा दशम्. . . . . गुरु

दोहा दशम्. . . . गुरुशिक्षक शिल्पी आज को, देता नव आकार । नव युग के हर स्वप्न को, करता वह साकार…See More
8 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल आपको अच्छी लगी यह मेरे लिए हर्ष का विषय है। स्नेह के लिए…"
9 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post लौटा सफ़र से आज ही, अपना ज़मीर है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति,उत्साहवर्धन और स्नेह के लिए आभार। आपका मार्गदर्शन…"
9 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय सौरभ भाई , ' गाली ' जैसी कठिन रदीफ़ को आपने जिस खूबसूरती से निभाया है , काबिले…"
9 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय सुशील भाई , अच्छे दोहों की रचना की है आपने , हार्दिक बधाई स्वीकार करें "
9 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई है , दिल से बधाई स्वीकार करें "
9 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post लौटा सफ़र से आज ही, अपना ज़मीर है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , खूब सूरत मतल्ले के साथ , अच्छी ग़ज़ल कही है , हार्दिक  बधाई स्वीकार…"
9 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल  के शेर पर आपकी विस्तृत प्रतिक्रिया देख मन को सुकून मिला , आपको मेरे कुछ…"
9 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, आपसे मिले अनुमोदन हेतु आभार"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service