For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")


(1)जय-जय भै‍रवि असुर भयाउनि,
पशुपति भामिनी माया |
सहज सुमति कर दियउ गोसाउनि,
अनुगति गति तुअ पाया ||

वासर रैनि सबासन शोभित,
चरण चन्‍द्रमणि चूड़ा |
कतओक दैत्‍य मारि मुख मेलल,
कतओ उगिलि कएल कूड़ा ||

सामर बरन नयन अनुरंजित,
जलद जोग फुलकोका |
कट-कट विकट ओठ पुट पांडरि,
लिधुर फेन उठ फोंका ||

घन-घन-घनय घुंघरू कत बाजय,
हन-हन कर तुअ काता |
विद्यापति कवि तुअ पद सेवक,
पुत्र बिसरू जनि माता ||

(2)जनम होअए जनु,जआं पुनि होइ।
जुबती भए जनमए जनु कोई।।
होइए जुबती जनु हो रसमंति।
रसओ बुझए जनु हो कुलमंति।।
निधन मांगओं बिहि एक पए तोहि।
थिरता दिहह अबसानहु मोहि।।
मिलओ सामि नागर रसधार।
परबस जन होअ हमर पिआर।।
परबस होइअ बुझिह बिचारि।
पाए बिचार हार कओन नारि।।
भनइ विद्यापति अछ परकार।
दंद-समुद होअ जिब दए पार।।

(3) भगबती गीत
दया करु एक बेर हे माता
कृपा करु एक बेर
जहियाँ सँ माता आहाँ घर अयलऊँ
दुख छोड़ि सुख नहिं भेल
हे जननी दया करु एक बेर
हे जननी.....
जहिया सँ माता सुख देखइ लगलऊँ
नग्र में भइ गेल शोर
हे जननी.....
कोने फुल ओढ़न माँ के
कोन फुल पहिरन
कोने फुल सोलहो सिंगार
हे जननी दया करु एक बेर
हे जननी.....
बेली फुल ओढ़न माँ के
चमेली फुल पहिरन
अरहुल फुल सोलहो सिंगार
हे जननी.....
हे जननी दया.....
पहिरी-ओढि काली कहवर गेली
कुरय लगली अबला गोहारि
हे जननी.....
हे जननी दया करु.....

कोने फुल फुलनि माँ के आधी-आधी रतिया
हे जगतारिण माँ के.....
कोने फुल फुलनि भिनसरिया
हे जगतारिण माँ के.....
बेली फुल फुलनि माँ के आधी-आधई रतिया
हे जगतारिण माँ के.....
चमेली फुल फुलनि भिनसरिया
हे जगतारिण माँ के.....
पहिर-ओढि काली गहवर ठाढि भेली
करय लगली अबला के गोहारि
हे जगतारिण माँ के.....

जगदम्ब अहीं अबिलम्ब हमर
हे माय आहाँ बिनु आश ककर
जँ माय आहाँ दुख नहिं सुनबई
त जाय कहु ककरा कहबै
करु माफ जननी अपराध हमर
हे माय आहाँ बिनु आश ककर
हम भरि जग सँ ठुकरायल छी
माँ अहींक शरण में आयल छी
देखु हम परलऊँ बीच भमर
हे माय आहाँ बिनु आश ककर
काली लक्षमी कल्याणी छी
तारा अम्बे ब्रह्माणी छी
अछि पुत्र-कपुत्र बनल दुभर
हे माय आहाँ बिनु आश ककर
जगदम्ब.....

भगबती चरनार बन्दिति की महा महिमा निहारु
भगबती वनरुप काली हुललि रण में भय कराली
भगबती दैरु बिपत्ति में
सिन्धु सँ हमरा उबारु
भगबती चरनार बन्दिति की महा महिमा निहारु
कटीय असुर सीर खप-खप
चाटि शोणित लाल-लप-लप
हारि छल रहलाह हमर गण
विकलता के क्रम निहारु
भगबती चरनार बन्दिति की महा महिमा निहारु
फूल जल चन्दन चढ़ेलऊँ
बीनती जय संगीत गयलहुँ
भगबती चरनार बन्दिति की महा महिमा निहारु

हे जननी आहाँ जन्म सुफल करु
पूजा करब हे अम्बे
जशोदा-नन्दिनि त्रिभुवन वन्दिनि
असुर निकन्दनि हे देबी
हे जननी.....
पूजा करब.....
पुष्प-कमल पर चरण बिराजै
माया दृष्टि करु हे देबी
हे जननी.....
पूजा करब.....
आँचर पसारि हम पुत्र मंगै छी
आब ध्यान दिय हे अम्बे
हे जननी.....
पूजा करब हे देबी

जयति जय माँ अम्बिके जगदम्बिके जय चण्डिके
सघन घन सँ मुक्ति कुन्तल भाल शोभित चण्डिके
जयति जय माँ अम्बिके जगदम्बिके जय चण्डिके
हार मुण्डक हृदय शोभित श्रवण कुण्डल मण्डिते
जयति जय माँ अम्बिके जगदम्बिके जय चण्डिके
बिकट आशन घोर बदने चपल रसने कालिके
खर्ग खप्पर करहिं शोभित भति प्रण के पालिके
जयति जय माँ अम्बिके जगदम्बिके जय चण्डिके
घनन-घन-घन नूपूरु गुञ्जित कपल पद लट राजिते
दीप अभय वरदायिनी माँ जयति जय अपराजिते
जयति जय माँ अम्बिके जगदम्बिके जय चण्डिके
सघन घन सँ मुक्ति कुन्तल भाल शोभित चण्डिके

भजै छी तारिणी सब दिन कियै छी दृष्टि के झपने
जयन्ति मंगला काली शिबा-शिव नाम थीक अपने
ने जानी नाम ने भ्रम सँ कदाचित् दोसरो सपने
भजै छी तारिणी सब दिन कियै छी दृष्टि के झपने
कहब हम जाय ककरा सँ अपन दुख दीनता थपने
शरण एक अछि अहिंक अम्बे होयत की आन लग कनने
कयह जगदीश सब दिन सँ भगत प्रतिपालिका अपने
भजै छी तारिणी सब दिन कियै छी दृष्टि के झपने

बारह बरष पर काली जेती नैहर
बारह बरष पर माता जेती नैहर
माहे बिनु रे कहारे कोना जेती
लाले-लाले डोलिया में सबजे रंग ओहरिया हे
माहे लागि गेल बतसो कहारे
एक कोष गेली काली दूई कोष गेली हे
माहे तेसर कोष लागल पीयासे
ओहार उठाये काली चारु दीसी त्कथि
माहे कतहु ने लागल बजारे
जांघिया के चीरी काली शोणित पिलनि
माहे राखल जगत्र कर माने
भनहि विद्यापति सुनू माता काली हे
माँ हे सरा सँ दहब रक्षपाले।

जनम भूमि अछि मिथिला सम्हारु हे माँ
कनि आबि अपन नैहर निहारु हे माँ
माँ बच्चे सँ महिमा जनई छी
अम्बे-अम्बे कट हरदम रटई छी
शक्तिशाली अपन महिमा देखाऊ हे माँ
कनि आबि अपन नैहर निहारु हे माँ
अछि बीच भंवर में नाब डुबल
ओकर कियौ ने खबनहारी हे माँ
कनि आबि अपन नैहर निहारु हे माँ
अछि बालक आहाँके दुआरे पर ठार
ओकर विद्या के भरि दीप भण्डार हे माँ
कनि आबि अपन नैहर निहारु हे माँ

लाले-लाले आहुल के माला बनेलऊँ
गरदनि लगा लीचड माँ
हे माँ गरदनि लग लीचड माँ
हम सब छी धीया-पूता आहाँ महामाया
आहाँ नई करबै त करतै के दाया
ज्ञान बिनु माटिक मुरति सन ई काया
तकरा जगा दिया माँ
लाले-लाले आहुल के माला बनेलऊँ
गरदनि लगा लीचड माँ
कोठा-अटारी ने चाही हे मइया
चाही सिनेह नीक लागै मड़ैया
ज्ञान बिनु माटिक मुरुत सन ई काया
तकरा जगा दिया माँ.....
आनन ने चानन कुसुम सन श्रींगार
सुनलऊँ जे मइया ममता अपार
भवन सँ जीवन पर दीप-दीप पहार भार
तकरा हटा दिय माँ.....
लाले-लाले आहुल के माला बनेलऊँ
गरदनि लगा लीचड माँ
सगरो चराचर अहींकेर रचना
सुनबई अहाँ नै त सुनतै के अदना
भावक भरल जल नयना हमर माँ
चरनऊ लगा लीचड माँ.....
लाले-लाले आहुल के माला बनेलऊँ
गरदनि लगा लीचड माँ

क्यों देर करती श्रीभवानी मैं तो बुद्धिक हीन हे माँ
दाँत झक-झक हँसछि खल-खल
मुख में पाकल पान हे माँ
दमसि बैसलि असूर दलमे काटथि मुण्ड हमार हे माँ
बाम करकट लेल खप्पर
दहिना हाथ तलवार हे माँ
दमसि बैसलि असूर दलमे काटथि मुण्ड हमार हे माँ
क्यों देर करती श्रीमवानी मैं तो बुद्धिक हीन हे माँ
कहथि काली सुनू हे दुर्गे
अब त करीय उबार हे माँ
तीन लोक के मातु दुर्गा दिय अभय बरदान हे माँ
क्यों देर करती श्रीमवानी मैं तो बुद्धिक हीन हे माँ

दिय भक्ति के दान जगदम्बे हम जेबै कतइ हे अम्बे
पुत्र गलती अनेको करै छई ओकरा माता ने एकौ धरै छै
दिय-दिय सहारा हे अम्बे हम जेबइ करइ हे अम्बे
दिय भक्ति के दान जगदम्बे हम जेबै कतइ हे अम्बे
नैया डुबल छै बीच भँवर में
हमरा शक्ति नहि छै कमर में
दिय-दिय सहारा हे अम्बे हम जेबइ करइ हे अम्बे
दैरल-दैरल अयलऊँ हे अम्बे
करिमऊ हमरा माफ हे जगदम्बे
दिय भक्ति के दान जगदम्बे हम जेबै कतइ हे अम्बे

सासु रुसल मैया हम्मर काली एली काली
सासु कोने कारण रुसलै गे मोरा मैया काली
अब नैहरा लेने जाय हे मैया काली
बीचहिं में मिललई रे दैवा जमुना नरी हे मैया काली
नदी धार बीचहिं में मिललई रे दैवा दजमुा नदी
नहिं छै नैया गे मईया काली
नैया जे बनेबई गे मैया काली
चानन के छाबि का हे काली
बनेबई हे करुमारि हे मैया काली
मैया नाब चढि क हे काली
ओहि चढि उतरब जमुना पार हे मईया काली
कोने नैया खबई हे मलहबा कोने भसियाबई
हे काली नदी धार
पार उतरब हे मैया काली
जमुना नदी के नदी धार

(साभार कविता कोष )

Views: 585

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"गजल**किसी दीप का मन अगर हम गुनेंगेअँधेरों    को   हरने  उजाला …"
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई भिथिलेश जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर उत्तम रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"दीपोत्सव क्या निश्चित है हार सदा निर्बोध तमस की? दीप जलाकर जीत ज्ञान की हो जाएगी? क्या इतने भर से…"
16 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"धन्यवाद आदरणीय "
19 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"ओबीओ लाइव महा उत्सव अंक 179 में स्वागत है।"
19 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"स्वागतम"
19 hours ago
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
21 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' left a comment for मिथिलेश वामनकर
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। जन्मदिन की शुभकामनाओं के लिए हार्दिक आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन।गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, करवा चौथ के अवसर पर क्या ही खूब ग़ज़ल कही है। इस बेहतरीन प्रस्तुति पर…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२२ **** खुश हुआ अंबर धरा से प्यार करके साथ करवाचौथ का त्यौहार करके।१। * चूड़ियाँ…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post गहरी दरारें (लघु कविता)
"आदरणीय सुरेश कुमार कल्याण जी, प्रस्तुत कविता बहुत ही मार्मिक और भावपूर्ण हुई है। एक वृद्ध की…"
Thursday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service