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भोजपुरी साहित्य Discussions (244)

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भोजपुरी नवगीत : फेर भइल बा चाक्का जाम // -सौरभ

फेर भइल बा चाक्का-जाम दलित-गरीबन के उकसावत !   बचवन के मन में छटपट्टी कोरा आँखिन में अचकच बा बूढ़ आँखि के सोझा सबकुछबिला रहल, झुठहीं मचमच बा…

Started by Saurabh Pandey

0 Jul 19, 2017

भोजपुरी गजल -उठि के नारी सक्ति सकार कइलs

फाइलातुन फाइलुन फऊल फेलुन  कहँवा से आइके जगार कइल जिनगी में साँइ से उजार कइल जिनगी से अइसन करार कइल सिनुरा वीरांगना पुछार कइल पँउआ बढ़त…

Started by PRAMOD SRIVASTAVA

5 Oct 25, 2016
Reply by Saurabh Pandey

भोजपुरी लधुकथा -नउटंकी।

"कइसन कइसन नउटंकी करेलीसन"  असपताल मां दरद के मारे कँहरत आ छटपटात उछलत मेहरारू के देखि बोली बोलली भउजी। "जवना के नउटंकी कहतारू नू ईहो भागिय…

Started by PRAMOD SRIVASTAVA

2 Oct 12, 2016
Reply by PRAMOD SRIVASTAVA

अकिल अझुराइल

आम असो आइल बा  खूब बउराइल बा  काँच बने चटनी त  सतुआ घोराइल बा  मावस ना बारी मा  बिजुरी बराइल बा  हाथ, हाथी, सायकिल  सभे अगराइल बा  जाति…

Started by PRAMOD SRIVASTAVA

6 Oct 4, 2016
Reply by PRAMOD SRIVASTAVA

करकट नर-कट

आप   कहीं   माई कहीं   बापू सँगे लुगाई धोती हटि पतलून त  खदरा कमरि, रजाई  खदरा कमरि, रजाई बदल संस्कृति  परिपाटी  जाति पाति भेदे नही      प…

Started by PRAMOD SRIVASTAVA

4 Sep 23, 2016
Reply by PRAMOD SRIVASTAVA

लगाव गाँछि

आव अपना दुअरा लगाव गाँछि नीम क सुधरि जाई हावा पानी घरवा जमीन क पितरन के दिनवा भुलाई ना जुगाड़ से हरियाली  देत उनकर नाम दिन चीन्ह क  लरिक…

Started by PRAMOD SRIVASTAVA

3 Sep 23, 2016
Reply by PRAMOD SRIVASTAVA

गीत भोजपुरी

राजा जी की बगिया में, सुगवा सुगीनिया में-2 लागल बावे प्रेमवा के डोर, ए सुगी मार ना हनि हनि ठोर-2 फुलवा लोरहन गइलीं जनक-दुलारी। ओही बगिया प…

Started by रामबली गुप्ता

1 Sep 20, 2016
Reply by PRAMOD SRIVASTAVA

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भोजपुरी ग़ज़ल

१२२२ १२२२ १२२२ १२२२ फलनवा बन गइल मुखिया रङाइल गोड़ माथा ले     [फलनवा - कोई ; रङाइल - रंगा हुआ ; गोड़ - पैर बनल खेला बिगाड़े के.. चिलनवा ठाढ़…

Started by Saurabh Pandey

3 Sep 20, 2016
Reply by PRAMOD SRIVASTAVA

प्रीत क पहुनवा

चिहुँकि उठिह  भोर भइला के पहिले  जब  देखिह सपनवा मिलनवा के  धीरज जनि छोड़िह  कदम जनि मोड़िह  परेम पग रहिया  खनकि उठिह  जस  गीत काढ़े कलाई…

Started by PRAMOD SRIVASTAVA

6 Sep 10, 2016
Reply by PRAMOD SRIVASTAVA

गर्मी के महीना

गर्मी के महीना में हमरा मन में इ बात उठेला कि हमनी का काहे ना हिल स्टेषन में पैदा भइली जां। ओहिजा हमनी का ना जायेके पड़ीत। एहिजे ठंडा के मज…

Started by indravidyavachaspatitiwari

2 Jul 22, 2016
Reply by KALPANA BHATT ('रौनक़')

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"वाह आदरणीय लक्ष्मण धामी जी बहुत ही खूबसूरत सृजन हुआ है सर । हार्दिक बधाई"
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Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .राजनीति
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार ।सहमत देखता हूँ"
12 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' left a comment for Radheshyam Sahu 'Sham'
"आ. भाई राधेश्याम जी, आपका ओबीओ परिवार में हार्दिक स्वागत है।"
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२२२२ २२२२ २२२२ २**पर्वत पीछे गाँव पहाड़ी निकला होगा चाँद हमें न पा यूँ कितने दुख से गुजरा होगा…See More
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Radheshyam Sahu 'Sham' is now a member of Open Books Online
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"यह भी खूब रही। पोल खोल रही। बढ़िया शैली में बढ़िया लघुकथा हेतु हार्दिक बधाई।"
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