For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"ओ बी ओ भोजपुरी काव्य प्रतियोगिता" अंक-1

भोजपुरी साहित्य प्रेमी लोगन के सादर प्रणाम,

जइसन कि रउआ लोगन के खूब मालूम बा, ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार अपना सुरुआते से साहित्य-समर्थन आ साहित्य-लेखन के प्रोत्साहित कर रहल बा ।

एही कड़ी में भोजपुरी साहित्य-लेखन विशेष क के काव्य-लेखन के प्रोत्साहित करे के उद्येश्य से रउआ सभ के सोझा एगो अनूठा आ अंतरजाल प भोजपुरी-साहित्य के क्षेत्र में अपना तरहा के एकलउता लाइव कार्यक्रम ले के आ रहल बा जवना के नाम बा "ओबीओ भोजपुरी काव्य प्रतियोगिता"

तीन दिन चले वाली ई ऑनलाइन प्रतियोगिता तिमाही होखी, जवना खातिर एगो विषय भा शीर्षक दिहल जाई । एही आधार प भोजपुरी भाषा में पद्य-रचना करे के होखी । एह काव्य प्रतियोगिता में रउआ सभे अंतरजाल के माध्यम से ऑनलाइन भाग ले सकत बानी अउर आपन भोजपुरी पद्य-रचना के लाइव प्रस्तुत क सकत बानी । साथहीं, प्रतिभागियन के रचना पर आपन मंतव्य दे सकत बानीं भा निकहा सार्थक टिप्पणी क सकत बानी |

जे सदस्य प्रतियोगिता से अलग रह के आपन रचना प्रस्तुत कईल चाहत बाड़े, उनुकरो स्वागत बा, आपन रचना "प्रतियोगिता से अलगा" लिख के प्रस्तुत कर सकेलें |

पहली प्रतियोगिता के विषय :  "आपन देस"

अवधि : प्रतियोगिता दिनांक 24 जनवरी बियफे (गुरूवार) लागते सुरु होखी आ 26 जनवरी दिन शनिचर के रात 12 बजे ख़तम हो जाई ।

पुरस्कार :

त्रि-सदस्यीय निर्णायक मण्डल के निर्णय के आधार प विजेता रचनाकारन के नाँव के घोसना कइल जाई ।

प्रथम - रु 1001/- अउर प्रमाण पत्र
द्वितीय - रु 551/-अउर प्रमाण पत्र
तृतीय - रु 501/-अउर प्रमाण पत्र

पुरस्कार राशि (भारत में भुगतेय चेक / ड्राफ्ट द्वारा) अउर प्रमाण पत्र, खलिहा भारत के पता प भेजल जाई ।

पुरस्कार के प्रायोजक

(1) Ghrix Technologies (Pvt) Limited, Mohali
A leading software development Company

(2) गोल्डेन बैंड इंटरटेनमेंट (G-Band)
(A leading music company)
H.O.F-315, Mahipal Pur-Ext. New Delhi.

नियम 

1- रचना भोजपुरी भाषा में होखे के चाहीं |

2- रचना के कथ्य आ लिहाज अइसन होखे जे सपरिवार पढ़ल आ सुनल जा सके ।

3- रचना "मौलिक आ अप्रकाशित" होखे के चाहीं । माने रचना केहू दोसर के ना आपन लिखल होखे अउर रचना कवनो वेब साईट चाहे ब्लॉग पर पहिलहीं से प्रकाशित नत होखे ।

4- प्रतिभागी कवि आपन रचना काव्य के कवनो विधा में अधिका से अधिका कुल तीन हाली दे सकत बाड़न । ध्यान अतने राखे के बा जे रचना के स्तर बनल रहे । माने अधिका लिखे का फेरा में रचना के गुणवत्ता ख़राब नत होखे |

5- बेकार अउर नियम विरुद्ध रचना बिना कवनो कारण बतवले मंच संचालक / ओबीओ प्रबंधन दल द्वारा हटावल जा सकेला ।

6- अबही Reply बॉक्स बंद रही जवन ठीक कार्यक्रम प्रारंभ होत यानी तारीख 24 जनौरी लागते खोल दियाई अउर 26 जनौरी खतम भइला प बंद क दीहल जाई |

7- अगर रउआ कवनो कारने आपन रचना समय से पोस्ट करे में असमर्थ बानीं त आपन रचना ई-मेल के जरिये admin@openbooksonline.com पर भेज दिहीं | राउर रचना एडमिन OBO का ओर से राउर नाँवें पोस्ट क दीहल जाई । ओइसे कोशिश ईहे करीं जे राउर रचना रउए पोस्ट करीं । ई सुविधा खलसा ओबीओ सदस्य लोगन खातिर बा ।

8- जौन रउआ अबहीं ले ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार से नईखी जुड़ल त www.openbooksonline.com पर जाके sign up कइ OBO के मुफ्त सदस्यता ले लिहीं आ भोजपुरी साहित्य समूह के ज्वाइन करीं |

9- अधिका जानकारी खातिर रउआ मुख्य-प्रबंधक के ई-मेल admin@openbooksonline.com पर मेल करीं । चाहे मोबाइल नंबर 09431288405 पर संपर्क क सकत बानीं |

             मंच संचालक
           सतीश मापतपुरी
(प्रबंधक भोजपुरी साहित्य समूह)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम

Views: 10149

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

(प्रतियोगिता से अलगा )

देसवा सोन के चिरइयाँ एकर मान रखिहऽ .
कवनो आवे ना बहेलिया धियान रखिहऽ .


पंजरा ना सटे दुसमन दुर तक खदेड़ीहऽ .
हाथ जे उठावे ओकर पँखुरा कबरीहऽ .
देस बदे मुट्ठी में परान रखिहऽ .
कवनो आवे ना बहेलिया धियान रखिहऽ .

 
आँख जे तरेरे ओकर ढेंढ़र नीकलिहऽ .
करे जे गद्दारी देस से चिउंटी जस मसलिहऽ .
मन में जय जवान अउर किसान रखिहऽ .
कवनो आवे ना बहेलिया धियान रखिहऽ .

 
देस आपन आबरू ह देस आपन सान ह .
देस गुरुग्रंथ, गीता , बाइबिल , कुरान ह .
संख के अवाज में अजान रखिहऽ .
कवनो आवे ना बहेलिया धियान रखिहऽ .

--- सतीश मापतपुरी

आदरणीय सतीश भाई, एह गीत में राउर अपना देस खातिर चिंता-फिकिर उभर के आइल बा, जब रउआ कहर बानीं - कवनो आवे ना बहेलिया धियान रखिहऽ . बहुत सुन्नर बिचार, भाईजी.

पंजरा ना सटे दुसमन दुर तक खदेड़ीहऽ .
हाथ जे उठावे ओकर पँखुरा कबरीहऽ .

सही कहल बा जे भय बिनु होहिं ना पिरीत. ढोढ़वा साँप देखि के कवनो डर-भय ना बने, काहें ? ओके बिसदाँत ना होखे. दिनकरजी ले हुँकरले बाड़न - क्षमा शोभती उस भुजंग को जिसके पास गरल हो.

देस गुरुग्रंथ, गीता , बाइबिल , कुरान ह .
संख के अवाज में अजान रखिहऽ .

ग़ज़ब ! ग़ज़ब !! .. देस के सर्वपंथ-समभाव रूप के निकहा बयान.

बधाई-बधाई !

आदरणीय मित्रवर सौरभ जी , राउर रचना के मान देहला से हमार लेखनी उतान हो गइल ........ हाथ जोड़ नत बानीं भाई जी 

गणतंत्र दिवस पर यह भोजपुरी कविता पढ़ का आनंद आ गया, बहुत बहुत बधाई इस बहुत सुन्दर गीत पर आदरणीय सतीश मापतपुरी जी .

देस आपन आबरू ह देस आपन सान ह .
देस गुरुग्रंथ, गीता , बाइबिल , कुरान ह . 
संख के अवाज में अजान रखिहऽ . ......................इस पंक्ति के लिए नमन , बहुत सुन्दर .
कवनो आवे ना बहेलिया धियान रखिहऽ .

सादर.

आपकी सराहना  पाकर मैं  और मेरी रचना दोनों धन्य हो गये आदरणीया डॉ . प्राची जी 

आदरणीय सतीश भईया, देस के सुरक्षा बदे चेतावत इ गीत बहुते नीक बन पड़ल बा, एक तरफ देस के गुणगान बा त दोसर तरफ दुसमन सन के धिरावत भी बा इ गीत । बहुत बहुत बधाई एह प्रस्तुति पर ।

राउर सराहना पाके मन गदगद हो गइल भाई गणेश जी ...... साधुबाद .

पंजरा ना सटे दुसमन दुर तक खदेड़ीहऽ .
हाथ जे उठावे ओकर पँखुरा कबरीहऽ .
देस बदे मुट्ठी में परान रखिहऽ .
कवनो आवे ना बहेलिया धियान रखिहऽ .

आँख जे तरेरे ओकर ढेंढ़र नीकलिहऽ .
करे जे गद्दारी देस से चिउंटी जस मसलिहऽ .
मन में जय जवान अउर किसान रखिहऽ .
कवनो आवे ना बहेलिया धियान रखिहऽ .देस पर मर मिटे वाली देस खातिर बलिदान हो जायेवाली खांटी भोजपुरिया रचाना बहुत बहुत बधाई ।

मन से आभार चौबे जी 

(प्रतियोगिता से अलगा)

आपन देस के खेला-काथा

कागज प पिनसिन से चिचरी
कवनो अबोध लइका पारत फिरेला
आ ना.. त बड़ मनई.. .

उहाँ का बड़ हईं.

हर समय
हर काल
हर जुग में अनमने
उहाँ का चिचरी पारि-पारि
खेला करेनीं
कट्टा-कुट्टी खेल लेखा
खेल के खेल, लेखा के लेखा
खेलहिं खेल के बड़हन लेखा

बाड़-बगइचा
गाँव-जिला-मुलुक कुल्हि
कागजे प.. चिचरिये से !
ढोर-डंगर अस बउराह मनई
बाड़े-बाड़े हँकाले..
समाज-जवार गाँव के गाँव
बनसु मुलुक
दुका ले ?
बाकिर,
ई आजु ले !

आपन देस नक्से भर ले ना ह.. . सुनावल जाता
मनई-मनई से जतावल जाता
बाकिर, देस.. आ देस के गत
कागजे प 
चिचरिये में 
खोनावल जाता.. मोनावल जाता
खेल ई बनल रहो
मनई के पेट सोन्हावल जाता
अइसहीं
साठ-पैंसठ बरीस से
एगो देस बढ़ावल जाता.. . !!
*************

-सौरभ

*************

[पिनसिन - पेन्सिल ; चिचरी - रेखाएँ ; पारत फिरेला - खींचता रहता है ; मनई - आदमी ; लेखा - एक अर्थ की तरह, दूसरा अर्थ एकाउण्ट्स ; ढोर-डंगर - पशु-मवेशी ; दुका ले - आखिर क्या पाकर ; खोनावल - खोदना ; मोनावल - खुदे गड्ढे को मूँदना ; सोन्हावल - भूखे छोड़ देना]

विचार प्रवाह के हईसन तारतम्य कभो कभो साहित्य में लउके ला, आधुनिक कविता के नाम पर जवन अधकचरा देखे के मिलत बा, ओकरा खातिर इ रचना नमूना के काम करी अउर गुणवता के मापदंड बनी, अबोध लईका के पारल चिचरी अउर बोध मानव के पारल चिचरी में केतना खाई बा उ त साफ़ लउकत बा, लेखा के अलंकारिक रूप रचना के सौंदर्य में बहुते वृद्धि कर रहल बा । बहुते नीमन रचना , मन महमह अउर हियरा गदगद हो गईल, बहुत बहुत बधाई सवीकार करीं आदरणीय सौरभ भईया एह सृजन पर । 

गनेस भाई, रउआ ई कविता अतना रुचल देखि के मन दोबर-तेबर भइल जाता.

सही कहीं, त, कागज प के चिचरी आ भुइयाँ प पारल चिचरी में आज का फरका बा ? एक खातिर खेल बा त दोसर खातिर ई देस के नक्सा बनावल. ना त, LoC के नाँव प का भइल बा ? अरुणाचल में का भइल बा ? बंगाल आ असाम में भा कच्छ में का भइल बा ? चिचरिये नू पारल बा ? आ, भाई, ओहू से आगे, देस के भागि, करम आ ढंग संगे आजु जवन खेल हो रहल बा, का ई तोपाइल बा ?

का कहल जाव, मन में माहुर घोराइल बा.   रचना रुचल, हम धन्यवाद कहि रहल बानीं.

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"ग़ज़ल वो दगा दे गए महब्बत मेंलुट गए आज हम शराफत में इश्क की वो बहार बन आयेथा रिझाया हमें नफासत…"
12 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"आ. भाई संजय जी, सादर अभिवादन। सुंदर गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
31 minutes ago
Rachna Bhatia replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"आदरणीया ऋचा जी तरही मिसरे पर आपने ख़ूब ग़ज़ल कहीं। हार्दिक बधाई। अमित जी की टिप्पणी के अनुसार बदलाव…"
3 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"आदरणीय अमीर जी, मेरा आशय है कि लिख रहा हूँ एक भाषा में और नियम लागू हों दूसरी भाषा के, तो कुछ…"
4 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"... और अमित जी ने जो बिंदु उठाया है वह अलिफ़ वस्ल के ग़लत इस्तेमाल का है, इसमें…"
4 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
".हम भटकते रहे हैं वहशत में और अपने ही दिल की वुसअत में. . याद फिर उस को छू के लौटी है वो जो शामिल…"
4 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"आ. संजय जी,/शाम को पुन: उपस्थित होऊंगा.. फिलहाल ख़त इस ग़ज़ल का काफ़िया नहीं बनेगा ... ते और तोय का…"
5 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"//चूँकि देवनागरी में लिखता हूँ, इसलिए नस्तालीक़ के नियमों की पाबंदी नहीं हो पाती है। उर्दू भाषा और…"
5 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"आदरणीय लक्ष्मण धामी भाई मुसाफ़िर जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और सुख़न नवाज़ी का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
7 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"आ. भाई अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। गिरह भी अच्छी लगी है। हार्दिक बधाई।"
8 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"आदरणीया ऋचा जी, अच्छी ग़ज़ल हुई। बधाई स्वीकार करें।  6 सुझाव.... "तू मुझे दोस्त कहता है…"
8 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"आदरणीय संजय जी, //अगर जान जाने का डर बना रहे तो क्या ख़ाक़ बग़वत होगी? इस लिए, अब जब कि जान जाना…"
9 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service