For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

बबुआ हो तनी घूम जाईता ,
फोनवा पे का हम सुनाई ,
खपरा फूटल छान के बाटे ,
सोच कईसे हम बनवाई ,
चार साल से तू ना आईला ,
बहुआ के लेके जबे तू गईला ,
पोता के मुह देखे खातिर ,
हमारो जिया छाछनाइल ,
बबुआ हो तनी घूम जाईता ,
खेती बाड़ी से कुछ न मिले ,
बड़ी मुस्किल से दिन कटत बा ,
बबुआ हम इ बता दिही ,
हर साल खेत कुछ घटत बा ,
ये के बचावे के चाह ता ,
पईसा कुछ भेजवइता ,
बबुआ हो तनी घूम जाईता ,
खुस रहा तू खुस हम बानी ,
तनिक मति घबराइह ,
हमरा पोता के तुहू ,
बाबु खूब पढ़ाइहा ,
हमरा उमर के जब होखबा ,
ता तनिक ना घबराइहा ,
जहिया छोड़ के उ जाई ,
तब माई के समझ जइबा ,
बबुआ हो तनी घूम जाईता ,

Views: 1082

Replies to This Discussion

गुरूजी सबसे पहले नमस्कार !
राउर कविता पढ़ के ता मन समाज के इ मुख्या समस्या के ओर आकृष्ट हो गइल हा
गुरूजी राउर इ कविता लगत बा जैसे कोई बुढ महतारी अपना बेटा के याद में कह रहल बिया ,एकरा के हम कविता न मनाब बल्कि आज के समाज के इ कड़वा सच बा .
जवान बाप माई पोश पाल के इतना पढ़ा लिखा बचवा के कुछ करे के काबिल बनावत बा ओह माई बाप के क़ुरबानी और मेहनत जरा) सा भी मोल बचवा लोग के आँख में नइखे ,शहर में ए सी के निचे बैठ गैयिला के बाद बचवा लोग एह बात के भुला जात बडान जा की हम ओही छप्पर के निचे से आज एह मुकाम तक आइल बनी ,जवन छप्पर(खपरा) के छावे के बात माई एह कविता में कह रहल बिया

रत्नेश रमण पाठक .
गुरु जी आज बहुत दिन बाद रउरा कलम से बहुत ही शानदार और ह्रदय स्पर्शी रचना निकलल बा, वास्तव में एगो बेहतरीन रचना, बहुत बहुत बधाई एह सारगर्भित रचना पर |
dhanyabad ganesh ji aur ratnesh ji rauaa login ke
रवि जी, बहुत मर्मस्पर्शी रचना बा । लइका के पैदा भइला के बाद ओकर लालन-पालन कर के बऽड़ करऽ । बऽड़ भइला पर जब ऊहे लइका घर से बाहर चऽल जाता तऽ अपना जिर्दगी के चकरघिन्नी में अइसन घूमे लागत बा कि माई-बाप के याद करे के फुरसते नइखे मिलत । एने माई के दिल तऽ लइके में अझुराइल रहेला । आजकल के ईहे सचाई बा - एगो कड़ुवा सचाई । आँख में लोर भऽर गइल पढ़ के । बहुत बढ़िया ।
हमरा पोता के तुहू ,
बाबु खूब पढ़ाइहा ,
हमरा उमर के जब होखबा ,
ता तनिक ना घबराइहा ,
जहिया छोड़ के उ जाई ,
तब माई के समझ जइबा ,
बबुआ हो तनी घूम जाईता ,
बड़ नीमन अउरी मन के पोरे -पोर छुवे वाला रचना बा इ. जय हो गुरूजी.
Parnaam guru ji. Ka marmasparshi rachna kaile baani. Bda sughar laagal.
गुरु जी ,
प्रणाम बहुत ही बेहतरीन अभिव्यक्ति के साथ आपने यह भोजपुरी कविता लिखी है , इस कविता का जवाब नही है | इस कविता के भाव तथा विषय महत्वपूर्ण है , धन्यवाद |
ye ijajat afjai khatir rauaa login ke bahut bahut dhanyabad

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 165 in the group चित्र से काव्य तक
"वाह बहुत सुन्दर, चित्र जीवंत हो गया..हार्दिक बधाई आदरणीय अशोक जी"
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 165 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक जी उत्साहवर्धन और मार्गदर्शन के लिये हार्दिक आभार "
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 165 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव साहब सादर, सत्य कहा है आपने जागते का स्वप्न सफलता की ओर अग्रसर करता…"
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 165 in the group चित्र से काव्य तक
" प्रयास पर आपके मार्गदर्शन के लिये हार्दिक आभार आदरणीय सौरभ जी"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 165 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव साहब सादर, प्रस्तुत घनाक्षरी छंद आपको सुन्दर लगा मेरा रचना कर्म सफल…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 165 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा पाण्डे जी सादर, प्रस्तुत घनाक्षरी छंद पर उत्साहवर्धन हेतु आपका हार्दिक आभार.…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 165 in the group चित्र से काव्य तक
" आदरणीय सौरभ जी सादर प्रणाम, मेरा यह प्रयास सफल रहा इसकी मुझे प्रसन्नता है. छंद पर निरंतर…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 165 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा पाण्डे जी सादर, प्रदत्त चित्र को बहुत सुन्दरता से परिभाषित किया है. सच है जग में…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 165 in the group चित्र से काव्य तक
"मनहरण घनाक्षरी   एक  बैग  आज  हाथ, जो  लिया  तो  साथ साथ, आँख…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 165 in the group चित्र से काव्य तक
"मुन्नू अभी पाठशाला जाइए .. बहुत खूब सुझाव शाब्दिक हुआ है.  लेकिन, मुश्किलों को दिखा धता,…"
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 165 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक आभार आदरणीय अखिलेश जी"
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 165 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक जी बहुत सुन्दर सारगर्भित छंद रचना हार्दिक बधाई "
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service