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काहे रे जीवनबैरी जीवनबैरी पी ...
 
बच्चन के कपडा फाटल फाटल ,
पडल बाड तू गटर गटर , 
छोड़ के इ तू बढ़िया से जी ,
काहे रे जीवनबैरी जीवनबैरी पी ...
 
साम होते तू पागल पागल ,
कईसन रोग इ लागल लागल , 
आच्छा रहित की पिअते घी  ,
काहे रे जीवनबैरी जीवनबैरी पी ... 
 
मँह चाटत बा कुकुर कुकुर ,
तू देखत बाड़े टुकुर टुकुर , 
अइसन जीवन पर छी छी छी ,
काहे रे जीवनबैरी जीवनबैरी पी , 
 
तोहरा से बढ़िया बबलू मुन्ना ,
रोज बढ़त बारन दुन्ना दुन्ना , 
रवी पप्पू से कुछउ सीखी ,
काहे रे जीवनबैरी जीवनबैरी पी.. .
 

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Replies to This Discussion

साम होते तू पागल पागल ,

कईसन रोग इ लागल लागल , 
आच्छा रहित की पिअते घी  ,
काहे रे जीवनबैरी जीवनबैरी पी ... 
  
मँह चाटत बा कुकुर कुकुर ,
तू देखत बाड़े टुकुर टुकुर , 
अइसन जीवन पर छी छी छी ,
काहे रे जीवनबैरी जीवनबैरी पी , 

प्रिय गुरु जी एक अनूठा अंदाज ...बात कह देने के रंगीन तरीके ...सुन्दर ..उपर्युक्त बहुत भाया -हंसाया भी 

भ्रमर ५ 

dhanyavad bhramar jee

 

सहिये बा . बहुते सिखला बाकी हउए.

BAHUUT BAHUT VADIYA JI

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"आ. भाई विकास जी बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
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"आ. मंजीत कौर जी, अभिवादन। अच्छी गजल हुई है।गुणीजनो के सुझाव से यह और निखर गयी है। हार्दिक बधाई।"
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लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
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Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय तिलकराज कपूर जी, पोस्ट पर आने और सुझाव के लिए बहुत बहुत आभर।"
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