For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

दूर-दूर तक ले जंगल के विस्तार रहे । जहाँ तक ले नजर परे हरियालिये हरियाली लउकत रहे । एकरे बीच में अपना हरिणी माई के गर्भ से ऊ सु्न्दर छौना जन्म लिहलस । जनम देते माई अपना पूरा ममता के छूअन भर के ओकरा के चाटे के शुरू कऽ दिहलस । माई के स्पर्श पा के छौना में धीरे-धीरे प्राण के संचार भइल । थोड़ही देर में ऊ पहिले हिले-डुले के शुरू कइलस । ओकरा बाद लड़खड़ात-लड़खड़ात खड़ा होखे के कोशिश करे लागल आ जब खड़ा होखे लागल तब दउरे के शुरुआत कर दिहलस ।

नरम हरिहर घास से भरल मैदान में जब छौना तनी सा दउरल तऽ ओकरा बड़ा मजा आइल । सोचलस कि तनी अउर दउरीं । तब अउर मजा आइल ओकरा । बस, फेर का रहे कुलांचा मार-मार के एने-ओने दउरे लागल । कवनो रोक-टोक ना रहे एहसे अउर मजा आवत रहे । छौना सोचलस कि संसार में बस ऊहे बा आ ओकरा सामने के घास के मैदान बा । एकरा अलावा कवनो बात के चिंता करे लायक ना ऊ रहे आ ना ओकरा एकर चिंता रहे ।

बाकिर ओकर माई के चिंता रहे । भले हरिहर घास के मैदान रहे । बाकिर ऊ एह बात से पूरा सजग रहे कि घास के मैदार जंगल के बीचे में रहे । जंगल - जहाँ तरह-तरह के हिंसक जानवर रहत रहले सन आ शिकार खातिर हमेशा घात लगवले रहत रहले सन । जहाँ जिंदगी हमेशा दाँव पर लागल रहत रहे आ जेकर दिन नीमन रहत रहे ऊहे बाँचत रहे। तुरन्ते जनमल छौना पर अबहीं तऽ ऊ दुलार बरसावल शुरुए गइले रहे । अबहीं तऽ ऊ मन भर के आपन दूधवो ना पिया पइले रहे तब ले छौना उछल-कूद कर के दौर-भाग करे में लाग गइल । शिकार के घात में लागल कवनो जानवर के नजर पर गइल तऽ एकर भागल मुश्किल हो जाई । अबहीं तऽ जिंदगी शुरुवे भइल बा । जिंदगी बचावे के दाँव-पेंच सीखे के तऽ अबहीं शुरुआतो नइखे भइल एकर । ऊ लगल छौना के बोलावे आ दउर-भाग करे से मना करे । पुचकार के अपना लगे बोलावे ।

छौना तनी सा ओकरा लगे आवे आ फेर छलांग मार के दूर भाग जाव । ओकरा खातिर ई एगो नया खेल शुरू हो गइल । जेतने ओकर माई ओकरा के लगे बोलावे ऊ ओतने दूर-दूर जाए के कोशिश करे लागल । बेर-बेर माई के लगे आवे आ ओकरा के छू के फेर दूर भाग जाव । अब धीरे-धीरे ऊ थाके लागल । बाकिर जोश में ओकरा कवनो कमी ना आइल ।

अंत में ऊहे भइल जेकर डर ओकरा माई के रहे । एगो सिंहनी अपना लइकन के लेके शिकार पर निकलल । दूरे से ऊ छौना के कुलांचा मारत आ दउरत देखलस । ओकर नजर छौना पर गड़ गइल । अपना परिवार के लेके शिकार के दाव लगवलस आ छौना के घेर लिहलस । घेरा गइला के बाद छौना के अपन माई के बात समझ में आइल । जब जान दाँव पर लागल रहेला तब ओह घरी इन्सान होखे भा जानवर, जान बँचावे खातिर कोशिश करे के हिम्मत अपने आप आ जाला । छौना तब ले दउर भाग कर के तनी थक गइल रहे बाकिर जब जान पर बनल तऽ जान बचावे के कोशिश में अउर जोर से भागे लागल । जोर से भागे के चक्कर में ऊ अउर जल्दी थाक गइल । धीरे-धीरे ओकर भागे के रफतार कम होत गइल आ अन्त में शिकारी के पकड़ में आ गइल ।

हिरणी माई बेचारी ! पहिले तऽ छौना के बचावे खातिर तनी कोशिश कइलस । बाकिर जब आपने जान फँसल होखे तब पहिले ओकरे के बचावे के कोशिश कइल जाला । ई तऽ एगो प्राकृतक नियम हऽ । तऽ माई हिरणी कुछ ना कर सकलस ।

एहीसे कहल जाला । बऽड़ के कहना मान ।

Views: 816

Replies to This Discussion

SUNDAR ATI SUNDAR

DEEPAK
बहुते प्रेरक प्रसंग बा , नीलम बहिन रौवा त हिरन के बच्चा के सन्दर्भ बना के बहुत बरियार बात कह दिहनी, बहुत निमन लेख,
नीलम दीदी, बहुत ही विचारक और शिक्षाप्रद लेख,
Admin जी, गणेश जी, दीपक जी, रचना सराहे खातिर रउरा लोगिन के बहुत धन्यवाद ।
Bada badhiya. Prerak ba.

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

धर्मेन्द्र कुमार सिंह posted a blog post

जो कहता है मज़ा है मुफ़्लिसी में (ग़ज़ल)

1222 1222 122-------------------------------जो कहता है मज़ा है मुफ़्लिसी मेंवो फ़्यूचर खोजता है लॉटरी…See More
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सच-झूठ

दोहे सप्तक . . . . . सच-झूठअभिव्यक्ति सच की लगे, जैसे नंगा तार ।सफल वही जो झूठ का, करता है व्यापार…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a blog post

बालगीत : मिथिलेश वामनकर

बुआ का रिबनबुआ बांधे रिबन गुलाबीलगता वही अकल की चाबीरिबन बुआ ने बांधी कालीकरती बालों की रखवालीरिबन…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक ..रिश्ते
"आदरणीय सुशील सरना जी, बहुत बढ़िया दोहावली। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर रिश्तों के प्रसून…"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"  आदरणीय सौरभ जी सादर प्रणाम, प्रस्तुति की सराहना के लिए आपका हृदय से आभार. यहाँ नियमित उत्सव…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा पाण्डे जी सादर, व्यंजनाएँ अक्सर काम कर जाती हैं. आपकी सराहना से प्रस्तुति सार्थक…"
Sunday
Hariom Shrivastava replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"आपकी सूक्ष्म व विशद समीक्षा से प्रयास सार्थक हुआ आदरणीय सौरभ सर जी। मेरी प्रस्तुति को आपने जो मान…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"आपकी सम्मति, सहमति का हार्दिक आभार, आदरणीय मिथिलेश भाई... "
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"अनुमोदन हेतु हार्दिक आभार सर।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन।दोहों पर उपस्थिति, स्नेह और मार्गदर्शन के लिए बहुत बहुत आभार।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ सर, आपकी टिप्पणियां हम अन्य अभ्यासियों के लिए भी लाभकारी सिद्ध होती रही है। इस…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक आभार सर।"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service