For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मातृ धर्म से मानव धर्म की राह बताता उपन्यास " श्याम की माँ "

पुस्तक - श्याम की माँ
लेखक - साने गुरूजी
अनुवादक - संध्या पेडणेकर
प्रकाशक - प्रभात प्रकाशन
मूल्य - ४०० रुपए
संस्करण - २०१७
----------------------
आज जबकि परिवार का प्रत्येक सदस्य जिंदगी की आपाधापी और भागदौड़ में इतना व्यस्त है कि दिन प्रति दिन संवादहीनता की स्थिति बढ़ती जा रही है।मनुष्य में भौतिक ही नहीं आंतरिक दूरी भी बढ़ रही है , आत्मीयता औपचारिक सी हो चली है , संस्कारों की बातें गौण और दकियानूसी हो चुकी हैं , ' क्वालिटी टाइम ' होटलों, क्लबों में हाथों में मोबाइल थामे बिताया जा रहा है , ऐसे में उदयोन्मुख भावी पीढ़ी क्या ग्रहण कर रही है और कहाँ चूक रही है , इस ओर किसी का ध्यान ही नहीं है ।तब इन अति विषम परिस्थितियों में साने गुरूजी द्वारा लिखित ' श्यामची आई' और संध्या पेडणेकर द्वारा अनुवादित पुस्तक श्याम की माँ ' केवल आज की पीढ़ी के लिए ही नहीं वरन उनके माता-पिता के लिए भी प्रेरणादायी है ।रोजमर्रा के छोटे-छोटे घरेलू प्रसंगों के माध्यम से ये पुस्तक पाठकों के मन पर संस्कारों की अमिट छाप छोड़ती है ।कथानात्मक शैली होने के कारण पाठक सहज और शीघ्र ही जुड़ जाता है ।शिल्प इतना सधा और सुंदर है कि माँ द्वारा बच्चे की डाँट भी उपदेशात्मक नहीं फूल की कोमल चोट प्रतीत होती है ।

मातृधर्म से मानव धर्म की राह बताने वाला यह उपन्यास लेखक द्वारा स्वतंत्रता आंदोलन में कारावास में बिताई रातों में लिखा गया है ।दिन भर की थकान के बाद रात के एकांत में माँ की याद, उसके कष्ट-संघर्ष और हितैषियों के आग्रह के कारण लेखक इस अनुपम कृति को लिखने से स्वयं को नहीं रोक पाये ।यहीं लेखक की संवेदनशीलता से परिचय मिल जाता है । कल्पना के इंद्रधनुषी रंगों ने इस सत्यकथा को कहीं भी उबाऊ नहीं होने दिया है ।

सम्पूर्ण उपन्यास पाठकों को कोंकण संस्कृति की ऐसी सुंदर दुनिया में प्रवेश करा देता है जिसमें पाठकों के विचार पन्ने दर पन्ने सहज़ रूप से बहने लगते हैं और वह स्वयं को भी उसी संस्कृति और परिवेश का एक अंग समझ बैठता है । पुस्तक में आये मधुकरी, कुणबट, महार, खोत, पानगी, परवचा, ओवियाँ, पडपणी, तबसे जैसे असंख्य आँचलिक शब्दों की सौंधी महक पाठकों को भीतर तक आद्र कर देती है ।महत्वपूर्ण बिंदु यह है कि इन शब्दों को इन शब्दों को इस तरह प्रयुक्त किया गया है कि लेखक उन्हें परिभाषित भी नहीं कर रहा है और इस संस्कृति से अपरिचित पाठक सहजता से उसे आत्मसात भी कर पा रहे हैं ।वह इन शब्दों , घटनाओं के प्रवाह में इतना लीन हो जाता है कि समझ ही नहीं पाता कि पुस्तक पढ़ी जा रही है या वह किसी चलचित्र या घटनाओं का प्रत्यक्ष साक्षी बन रहा है ये लेखकीय कौशल तो है ही साथ ही अनुवादिका संध्या पेडणेकर की भी कलम कौशलता भी है कि कृति के मूल भाव और भाव प्रवणता जस की तस है ।जिसके लिए निश्चित ही उनकी पीठ थपथपाई जानी चाहिए ।

यह उपन्यास संयम और संतुष्टि का बेहतरीन उदाहरण है । ये पुस्तक आदर्शवाद से बचते हुए सिर्फ मनुष्य से ही नहीं मवेशियों, पक्षियों , धर्म, प्रकृति सहित धरा पर उपस्थित सभी सजीव और निर्जीव से प्रेम करना सिखाती है ।यह भाव मनुष्यता की उत्कृष्ट सोच का प्रतीक है ।

एक और विशेष बात इस पुस्तक की यह है कि माँ वात्सल्यता मोह से सदा ही ग्रसित रहती है , परंतु श्याम की माँ नियमबद्ध, अनुशासन प्रिय और सिद्धांतवादी है ।वह मोह के बंधन से कोसों दूर है ।उसे भी पुत्र से अत्यधिक स्नेह और अनुराग है परंतु उसका वात्सल्य कहीं भी कमजोर नहीं पड़ा है । पुत्र के किसी भी निर्णय पर 'यदि-परंतु' न करते हुए उसे व्यक्तिगत आजादी प्रदान की है ।वहीं दूसरी ओर पुत्र की गलतियों पर विरोध स्वरूप कठोर सजा देने में भी वह पीछे नहीं रहती है ।

पूरी पुस्तक एकांगी विधा में ही है और ये कहा जाए कि यह दसवे रस वात्सल्य रस में ही लिखी गई है तो अतिश्योक्ति नहीं होगी ।लेखक ने माँ के प्रति हृदय का सारा अपनत्व और स्नेह रस इस पुस्तक में उड़ेल दिया है ।
आज के संदर्भ में यह पुस्तक और भी प्रासंगिक हो जाती है । पुस्तकालय इस पुस्तक के बिना अधूरा ही माना जायेगा । संस्कार जो कि मनुष्य की नींव है वह कैसे और क्यों वरदान किया जाए , उसे इस पुस्तक से सरलता से सीखा जा सकता है ।मन को भिगोने वाले इस उपन्यास को पाठकों को एक बार अवश्य ही पढ़ना चाहिए ।
-----------------------------------------
मौलिक एवं अप्रकाशित ।
शशि बंसल

Views: 533

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दिनेश जी बहुत शुक्रिया आपका सादर"
2 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमीर जी  बहुत शुक्रिया आपका हौसला अफ़ज़ाई के लिए और बेहतर सुझाव के लिए सुधार करती हूँ सादर"
3 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय चेतन जी बहुत शुक्रिया हौसला अफ़ज़ाई के लिए आपका मक़्त के में सुधार की कोशिश करती हूं सादर"
4 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमित जी बेहतर इस्लाह ऑयर हौसला अफ़ज़ाई के लिए शुक्रिया आपका सुधार करती हूँ सादर"
5 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय लक्ष्मण जी नमस्कार अच्छी ग़ज़ल हुई आपकी बधाई स्वीकार कीजिये अमित जी और अमीर जी के सुझाव क़ाबिले…"
7 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमित जी नमस्कार बहुत ही लाज़वाब ग़ज़ल हुई बधाई स्वीकार कीजिये है शेर क़ाबिले तारीफ़ हुआ ,गिरह भी…"
9 minutes ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमित जी आदाब, और प्रस्तुति तक पहुँचने के लिए आपका आपका आभारी हूँ। "बेवफ़ा है वो तो…"
18 minutes ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
" आदरणीय मुसाफिर जी नमस्कार । भावपूर्ण ग़ज़ल हेतु बधाई। इस्लाह भी गुणीजनों की ख़ूब हुई है। "
1 hour ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीया ऋचा यादव जी नमस्कार । ग़ज़ल के अच्छे प्रयास हेतु बधाई।"
1 hour ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय संजय शुक्ला जी आदाब, अच्छी ग़ज़ल हुई है मुबारकबाद पेश करता हूँ। तेरे चेहरे पे शर्म सा क्या…"
1 hour ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय Prem Chand Gupta जी आदाब  ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है। कृपया नुक़्तों का विशेष ध्यान रखें…"
1 hour ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"कू-ब-कू है ख़बर, हुआ क्या हैपर ये अख़बार ने लिखा क्या है । 1 जो परिंदे क़फ़स में जीते हैंउनको मालूम है…"
1 hour ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service