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अरे बच्चों चलो देखें, नया सर्कस जो आया है।
तमाशों का पिटारा इक वो अपने संग लाया है।

लिये ढोलक चले ठुम-ठुम बँदरिया झूमती-गाती,
चलाता साइकिल भालू सभी के मन को भाया है।

सलामी दे रहा हाथी, तो तोता दागता तोपें,
किसी दमदार ने बाइक को रॉकिट सा उड़ाया है।

गुजर जाती मजे से आग के छल्लों से इक लड़की,
बड़ी हिम्मत भरी उसमें, उसे डर छू न पाया है।

करामातें दिखाते गेंद से जोकर रँगीले नौ,
चलाना बाघ को रिक्शा भला किसने सिखाया है।

लगा मौका मजे ले लो, सुनाना स्कूल में किस्से,
कि कैसे शेर ने करतब दिखा सबको हँसाया है।

(बह्रः १२२२ १२२२ १२२२ १२२२)

(मौलिक एवं अप्रकाशित)

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Replies to This Discussion

Bahot khoob....................

रचना को सराहने के लिये आपका हार्दिक आभार आदरणीय श्याम वर्मा जी

वाह !! 

बहुत खूब अजितेंदु भैया !! बहुत प्यारी गजल लिखी बच्चो के लिए, और सारे कारनामे  सर्कस के पढ़ कर  तो लगा की सर्कस ही होक आई हूँ अभी!

लेकिन एक बात सही कहूँ तो, सर्कस केवल  बच्चो को ही नही लुभाता, बड़े लोग भी इसके दीवाने है !! 

हार्दिक बधाई स्वीकारें !! 

बहुत-बहुत धन्यवाद गीतिका दीदी :)

प्रिय कुमार गौरव जी 

सर्कस के करतबों को खास बच्चों के लिए संजोती सुन्दर गज़ल प्रस्तुति के लिये हार्दिक बधाई.

आपका ह्रदय से धन्यवाद आदरणीया प्राची दीदी.............

मजेदार बाल ग़ज़ल 

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