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शिशु गीत सलिला : 2
संजीव 'सलिल'
*

11. पापा-1




पापा लाड़ लड़ाते खूब,
जाते हम खुशियों में डूब।
उन्हें बना लेता घोड़ा-
हँसती, देख बाग़ की दूब।।
*

12. पापा-2



पापा चलना सिखलाते,
सारी दुनिया दिखलाते।
रोज बिठाकर कंधे पर-
सैर कराते मुस्काते।।

गलती हो जाए तो भी,
कभी नहीं खोना आपा।
सीख सुधारूँगा मैं ही-
गुस्सा मत होना पापा।। 
*
13. भैया-1





मेरा भैया प्यारा है,
सारे जग से न्यारा है।
बहुत प्यार करता मुझको-
आँखों का वह तारा है।।
*
14. भैया-2



नटखट चंचल मेरा भैया,
लेती हूँ हँस रोज बलैया।
दूध नहीं इसको भाता-
कहता पीना है चैया।।
*
15. बहिन -1



बहिन गुणों की खान है,
वह प्रभु का वरदान है।
अनगिन खुशियाँ देती है-
वह हम सबकी जान है।।
*
16. बहिन -2



बहिन बहुत ही प्यारी है,
सब बच्चों से न्यारी है।
हँसती तो ऐसा लगता-
महक रही फुलवारी है।।
*
17. घर



पापा सूरज, माँ चंदा,
ध्यान सभी का धरते हैं।
मैं तारा, चाँदनी बहिन-
घर में जगमग करते हैं।।
*
18. बब्बा



बब्बा ले जाते बाज़ार,
दिलवाते टॉफी दो-चार।
पैसे नगद दिया करते-
कुछ भी लेते नहीं उधार।।

मम्मी-पापा डांटें तो
उन्हें लगा देते फटकार।
जैसे ही मैं रोता हूँ,
गोद उठा लेते पुचकार।।
*
19. दादी-1



दादी बनी सहेली हैं,
मेरे संग-संग खेली हैं।
उनके बिना अकेली मैं-
मुझ बिन निपट अकेली हैं।।
*
20. दादी-2




राम नाम जपतीं दादी,
रहती हैं बिलकुल सादी।
दूध पिलाती-पीती हैं-
खूब सुहाती है खादी।।

गोदी में लेतीं, लगतीं -
रेशम की कोमल गादी।
मुझको शहजादा कहतीं,
बहिना उनकी शहजादी।।
*

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बहिन गुणों की खान है,         बहिन -2
वह प्रभु का वरदान है।          
बहिन बहुत ही प्यारी है,
अनगिन खुशियाँ देती है-      
सब बच्चों से न्यारी है।
वह हम सबकी जान है।।        
हँसती तो ऐसा लगता- 
*                                    
महक रही फुलवारी है।।

बहुत सुन्दर रचना -बधाई श्री संजीव सलिल जी 

बहुत सुंदर  बच्चे आज खुश  हो जायेंगे  .
पुरे परिवार को आपने  बहुत खूबसूरती के साथ  व  खूबी से पिरोया है . साधुवाद

बहुत खूबसूरत कविताएं आदरणीय संजीव जी ,एक एक अक्षर प्यार भरे  मोतियों की लड़ियों जैसा पिरोया है आपने. यह सभी कवितायेँ तो नन्हे मुन्नों की नर्सरी की किताबों में होनी चाहियें. जितनी  भी तारीफ करू इनकी कम है. इस माधुर्य पूर्ण पावन रचनाधर्मिता  के लिए आपको साधुवाद. सादर.

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