For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

सबको दसहरा की हार्दिक बधाई..

दसहरा कल था और बधाई आज....दरअसल मैंने आज ही ज्वाइन किया है आप सबों के बीच और better late than never . खैर कल आपने भी लुत्फ़ उठाया होगा रावण दहन का...मैंने भी देखा...देख के सोंच रही थी, ये कईसी विजय...किसकी विजय..एक रावण का दहन दुसरे रावण के हांथो? जी हाँ चौंकिए नन्ही...क्या हम सबों में कंही ना कंही रावण छूपा नन्ही बैठा है? क्या हम अपनी मर्यादाओं में बंधे हैं...क्या हम अपनी हर सही या गलत इक्षा की पूर्ती का येन केन प्रकारेण कोई भी रास्ता अख्तियार करने के लिए तैयार नन्ही बैठे हैं....

ये कैसी विजय..किसकी विजय...किसपर विजय? क्या असत्य पर सत्य की विजय हो गयी? क्या कल से सत्य हावी रहेगी असत्य पर? ऐसे अनेकानेक सवाल मेरे मन मस्तिष्क में उथल पुथल कर रहे हैं..और मैं निरुत्तर हूँ.

Views: 1023

Reply to This

Replies to This Discussion

आपको भी बहुत बधाई|वैसे मैं रावण दहन नही देख पाया , मेरे पास पीएमओ का पास भी था मगर नही जा सका|वैसे एक बात है ,ना ही कभी वो रावण जला था , ना ही आज का रावण जला है. जली है तो सिर्फ़ इन इंसानी दिलों मे छुपी हुई कुछ भ्रांतियाँ जो कभी भी मूर्त रूप नही ले सकी हैं|इस दुनिया मे हर एक दूसरा इंसान तो रावण से भी बड़े बड़े दानवों का रूप लेकर बैठा पड़ा हैं,सही और ग़लत की पहचान बहुत कठिन काम है,
बहुत बहुत धन्यवाद आपकी टिपण्णी के लिए.

सहमत...
सबसे पहले तो मैं आपसे ये जानना चाहूँगा की आप विजय दशमी में बारे में क्या सोचती है? ,की हम हमारा पूरा देश विजय दशमी और रावन का पुतला दहन कर के ये साबित करता है की हमने रावन को मार दिया ,मतलब बुराइयों को ख़तम किया.तो ऐसा नहीं ये तो हम एक परंपरा मना रहे है ,खुसी का इजहार करते है की नहीं आज ही के दिन रावन का वध हुआ था .जब भगवन राम को रावन को मारने इतना वक़्त लगा तो हम फिर क्या है उनके सामने ,और वो रावन तब का था आज के इस कलयुग का रावन तो उससे भी शक्तिशाली और बलवान है फिर हम कैसे मार सकते है .और फिर हम मारने की कोसिस भी क्यों करे ?
आज के इस दौर में उसी रावन वाले विचार पे हम चलते है तो हम आगे बढ़ते है ,नाम कमाते है ,धन ,बल,शोहरत,ऐश्वर्य सब कुछ मिलता है तो फिर हम क्यों मारने की कोसिस करे रावन जैसे विचारो को .
जैसा की हम सबको पता है की मनुष्य के जीवन में चार चीजो का ही महत्व है --धर्म ,अर्थ,काम और मोक्ष .
तो इनमे से तीन हमारे समाज को रावण वाले राह पर चलने से ही मिलती है ,मोक्ष का तो मैं बता नहीं सकता .
तो भला हम रावन को मारने की सोचे भी तो कैसे ?
आज भले ही मैं यह सबकुछ लिख रहा हु ,लेकिन सच तो ये है की मैं भी इससे परे नहीं हु ,कोई भी परे नहीं है ,सभी सलिप्त है इसमें .
अगर आप सच में रावन का वध देखना चाहती है तो सबसे पहले आप बदलिए,हम बदले,हमारे बदले,तब जाकर कुछ होगा अन्यथा ये सारी बातें सिर्फ कहने को ही है .
और हम अपने आप से पूछे की क्या हम बदलना चाहते है तो --आवाज आएगी नहीं.
फिर आप ही बताइए कैसे संभव है यह
रत्नेश जी आपकी चिंता जायज है ...शायद आप भी उतने ही उद्वेलित हैं जितना मैं....रावण मरा नन्ही...मैं भी रावण, आप भी रावण...अर्थ से ही अर्थ है आज के युग में...बिलकुल सही कहा आपने...तो क्या राम का कोई महत्व नन्ही रहा? क्या सोने की लंका आज ज्यादा महत्वपूर्ण हो गयी? मानती हूँ की आज के समय में राम और राम के आदर्शों के बारे में बात करना भी पागलपन की संज्ञा का द्योतक बन गया है...

पैसा पैसा पैसा...क्या येन केन प्रकारेण पैसा कमा लेने में ही जीवन की सार्थकता है..आखिर कितना धन प्रयाप्त धन है? क्या अभिलाषाएं कभी कम हुई हैं? ज़रा बड़े बुजुर्गों पे एक नजर डालियेगा...जीवन में एक क्षण ऐसा भी आता है..जब लगता है की बहुत हो गया अब...बस अब और नन्ही..अब और नन्ही..लेकिन तब तक शायद काफी देर हो चुकी होती है अपने अन्दर के रावण को मरने में....

वैसे आपके जवाब से ये साफ़ जाहिर होता है की आपमें भी एक आक्रोश है... तो चलिए थोडा मैं अपने अन्दर के रावण को मारने की कोशिश करती हूँ थोड़ा आप करें...
.बेहतर यही है इस को ख़त्म करने के लिए ,की एक कदम आप चलिए -एक कदम हम चलेंगे -एक कदम आप चलाईये -एक कदम हम चलाएंगे ,तभी हम लक्ष्य के करीब होंगे .पहले हम बदलेंगे फिर दुसरे को बदलेंगे और फिर हमारा परिवार बदलेगा ,मोहल्ला बदलेगा,शहर बदलेगा ,और एक दिन पूरा देश बदलेगा ...लेकिन उद्घाटन हमें करना होगा
बिलकुल बिलकुल...
सहमत..
रत्नेश जी और प्रीति जी आप लोग बहुत अच्छा काम के बीरा उठाये हैं , जो कभी पूरा नहीं होगा , भगवन करे पूरा हो जाये मैं भी कोशिश करूँगा अपने अन्दर की रवां को मारने का ,

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on नाथ सोनांचली's blog post कविता (गीत) : नाथ सोनांचली
"आ. भाई नाथ सोनांचली जी, सादर अभिवादन। अच्छा गीत हुआ है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
Admin posted a discussion

"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118

आदरणीय साथियो,सादर नमन।."ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है।"ओबीओ…See More
Sunday
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"धन्यवाद सर, आप आते हैं तो उत्साह दोगुना हो जाता है।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और सुझाव के लिए धन्यवाद।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. रिचा जी, अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए धन्यवाद।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। आपकी उपस्थिति और स्नेह पा गौरवान्वित महसूस कर रहा हूँ । आपके अनुमोदन…"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. रिचा जी अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई। "
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुइ है। हार्दिक बधाई।"
Saturday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"शुक्रिया ऋचा जी। बेशक़ अमित जी की सलाह उपयोगी होती है।"
Saturday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"बहुत शुक्रिया अमित भाई। वाक़ई बहुत मेहनत और वक़्त लगाते हो आप हर ग़ज़ल पर। आप का प्रयास और निश्चय…"
Saturday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"बहुत शुक्रिया लक्ष्मण भाई।"
Saturday
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आदरणीय अजय जी नमस्कार अच्छी ग़ज़ल हुई है बधाई स्वीकार कीजिये अमित जिनकी टिप्पणी से सीखने को मिला…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service