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ग़ज़ल - उसे देखे ज़माना हो गया है

ग़ज़ल
उसे देखे ज़माना हो गया है ,
मेरा बच्चा सयाना हो गया है । 
.
मेरा दिल गाँव में बसता है बेशक ,
शहर में आब - ओ - दाना हो गया है । 
.
तेरी पायल की रुनझुन बज रही माँ ,
तेरा लोरी सुनाना हो गया है । 
.
अकेला सच का परचम ढो रहा हूँ ,
मुकाबिल ये ज़माना  हो गया है । 
.
फकीरों ने उसे दिल से दुआ दी ,
वो खुद अपना दीवाना हो गया है । 
.
बयानों में तुम्हारे ताजगी है ,
मगर किस्सा पुराना हो गया है । 
.
नमक रिश्तों में ज्यादा घुल गया था ,
तेरा जाना बहाना हो गया है । 
.
बहुत शीरीं हुआ लहजा तो जैसे ,
लता का एक गाना हो गया है । 
.
मैं उसकी याद में खोया हूँ जब भी ,
लगा मिलना मिलाना  हो गया है । 
.
ख़ुशी में माँ के आंसू मुझपे ढलके ,
मेरा गंगा नहाना हो गया है । .
.
मेरे घर में बुजुर्गों की है इज्ज़त ,
दुआओं का खजाना हो गया है । 
.
              - अभिनव अरुण 
                 [14052013]

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Comment by विजय मिश्र on May 14, 2013 at 6:25pm
"मैं उसकी याद में खोया हूँ जब भी ,
लगा मिलना मिलाना हो गया है ।

ख़ुशी में माँ के आंसू मुझपे ढलके ,
मेरा गंगा नहाना हो गया है । . "

मेरे घर में बुजुर्गों की है इज्ज़त ,
दुआओं का खजाना हो गया है ।

-- आदर-सम्मान से बंधी भारतीय परम्पराओं को इंगित करती ये पंक्तियाँ एक सुन्दर संस्कार का स्पष्ट उल्लेख करतीं हैं .एक सार्थक रचना पढ़ मन गदगद हो गया अभिनवजी . बहुत मीठे लहजे में महत्वपूर्ण बात .

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