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चढ़े प्रेम का रंग (दोहे)-लक्ष्मण लडीवाला

चढ़े प्रेम का रंग                                            

-लक्ष्मण लडीवाला

                        

                                                                                                                                                                                

प्यार बिना नहि जिन्दगी,जीवन मृतक समान,

सतरंगी  बनकर  रहे,  करे  प्यार का  मान। 

                                                           

चले प्रीत की नर्सरी चुने प्यार का रंग,

भर पिचकारी नयन सेजीत प्रेम का जंग|

 

मन मेरा फागुन हुआउड़े पवन के संग,         

फागुन बरसाने लगा,  प्रेम प्रीत के रंग ।        

                                                            

मन की कलियाँ खिल उठीफागुन आया देह 

खुशबू  से मन झूमताअखियाँ बरसे नेह ।   

                                                             

साजन ऐसा प्यार दे,  कभी न छूटे रंग,           

सात जनम का साथ है,इक दूजे के संग ।      

                                                             

मन के बादल बरसतेघुले सांस में भंग,      

थिरके पाँव रुके नहीं ,  पूरे अंग मृदंग ।        

                                                            

भर पिचकारी रंग से,  करे प्रेम की  मार,      

तन चंगा मन बावरासहते रस की धार।     

                                                            

महँगाई की मार ने, महँगा किया  गुलाल,      

कर में नेह अबीर ले, साजन के कर लाल|      

                               

होली उत्सव है भलालोक पर्व का अंग 

रंग बिरंगे झूमते,  बजे ढोल ढप चंग । 

                                                              

दस्तक दी होलास्ट नेथिरके सबके अंग 

थिरके पाँव रुके नहींजैसे पी हो भंग । 

                                                              

होली के त्यौहार मेंचढ़े प्रेम का रंग,

भेद भाव को छोड़कर,होली खेले संग । 

                                                     

छंदों में भी दिख रहाहोली का सत्संग,

भंग चढ़ा कर लिख रहे,प्रेम भरे सब छंद ।

                                                           

 -लक्ष्मण प्रसाद लडीवाला  

                                                                  

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Comment by JAWAHAR LAL SINGH on March 28, 2013 at 5:47am

आदरणीय लडीवाला  जी, सादर अभिवादन!

आपने अपनी रचन में सब कुछ समेट लिया है! बधाई!

कृपया ध्यान दे...

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