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वो शाम,
जिस पर था 26/11 का नाम
शांत, सुंदर, रोज़मर्रा की शाम
कर रही थी रात का स्वागत शाम,
तभी समंदर के रास्ते
आए दबे पांव
कुछ दहशतगर्द
लिए हाथों में
आतंक का फरमान,
मक़सद था जिनका केवल एक,
फैलाना आतंक
और लेना
बकसूरों की जानें तमाम I

किसी माँ ने बेटा खोया,
पिता ने अपना सहारा गँवाया,
किसी बहन का भाई ना आया,
कुछ महीनों के एक बच्चे ने
खोई दुलार की छाया,
हुई शहीद सैंकड़ों काया
जिनने अपना खून बहाया,
ना सिर्फ़ कई रिश्ते टूटे
साथ में कई परिवार भी टूटे,
3 दिनों तक आतंकियों ने
इंसानियत को खून के
आँसू रुलाया I

इतना सब होने पर भी
कोई हमको झुका ना पाया,
मुंबई-कर के इस जज़्बे पर
दुनिया ने शीश झुकाया I

आओ श्रद्धांजलि दें इन सबको,
सलाम करें मुंबई के दिल को,
जो अगले ही दिन फिर धड़का,
सारा मुंबई काम पर आया I

यही सच्ची श्रद्धांजलि होगी,
यहाँ आतंक की जीत ना होगी,
चाहे तुम कुछ भी कर लो
देश की धड़कन नहीं रुकेगी..
देश की धड़कन नहीं रुकेगी I

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Comment by Veerendra Jain on November 29, 2010 at 11:17am
aabhar..navin bhaiya

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