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युवतियाँ भी सीख रही, युवकों के ही साथ,

 जूडो करांटे  सीखे, रक्षा खुद  के  हाथ  |

             

 आँख मार मुँह फेरले, खावे मार  कपाल,        

 छेड़-छाड़ अब छोड़ दे, नहीं बचेगी खाल |

 अगर बुजुर्ग नहीं करे, कोंई शर्म लिहाज,       

 इज्जत के बट्टा लगे, समझे अब यह राज | 

 

महिला की इज्जत करे, अंतस में रख मान,

भारत की संस्कृति कहे, इसका रख सम्मान |

 

प्रेम की सीख मान कर, कर अपना कल्याण,

प्रासंगिक यह मन्त्र है, इसको अब तू जाण | 

 

 

-लक्ष्मण प्रसाद लडीवाला

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Comment

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Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on March 5, 2013 at 2:58pm

रचना पढ़ कर टिपण्णी करने के लिए आभार डॉ प्राची जी 

रचना पसंद करने के लिए आभार श्री श्याम नारायण वर्मा जी 

Comment by Shyam Narain Verma on March 5, 2013 at 12:49pm

bahot khoob...................


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on March 4, 2013 at 11:35am

आदरणीय लक्ष्मण जी

अब तो यही कहूंगी कि एक बार आप दुबारा पढ़ लें 

सादर.

कृपया ध्यान दे...

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