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"थाम कर चाँद को बैठी रही थी रात भी सुबह को देखा तो बस चांदनी रह गयी फूल हमारे दामन क…"

asha pandey ojha replied Sep 18, 2010 to OBO लाइव तरही मुशायरा-3 (Now Closed)

380 Sep 23, 2010
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"दुनियां वाले लगाते रहे तोहमतें अपनें हिस्से में ग़म,बेबसी रह गयी ऐसा मुमकिन नहीं भू…"

asha pandey ojha replied Sep 18, 2010 to OBO लाइव तरही मुशायरा-3 (Now Closed)

380 Sep 23, 2010
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"प्रेम की नाव मँझधार ही रह गई, याद पतवार सी तैरती रह गई। जीत कर ये जहाँ भी समझ ना सक…"

asha pandey ojha replied Sep 18, 2010 to OBO लाइव तरही मुशायरा-3 (Now Closed)

380 Sep 23, 2010
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"बिजलियों ने जलाया मेरा आशियां दूर से चांदनी देखती रह गई जब से सहरा में गुम हो गए है…"

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380 Sep 23, 2010
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"bahut khoob kamal waah"

asha pandey ojha replied Sep 18, 2010 to OBO लाइव तरही मुशायरा-3 (Now Closed)

380 Sep 23, 2010
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"आगे बढ के गले भी लगाया उसे फाँस काँटे कि दिल में चुभी रह गई क्यूं खफ़ा किस लिए है बा…"

asha pandey ojha replied Sep 18, 2010 to OBO लाइव तरही मुशायरा-3 (Now Closed)

380 Sep 23, 2010
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"//वो भले घर से थी, 'चीज़' ना बन सकी इसलिए, नौकरी ढूँढती रह गयी ! बन्दरी, जो मदारी के…"

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380 Sep 23, 2010
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"waah Mumtaaz ji bahut khoob kamal .. gzab gzal kahee mashaallha"

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380 Sep 23, 2010
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"waah bahut khoobsurat dil ko chhu lene walee gazal hai Snjeev saahb kee"

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380 Sep 23, 2010
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"waah bahut khoob Mumtaz ji kamal kya khoob gzal kahee aanand aagya"

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380 Sep 23, 2010
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