1222 1222 1222 1222
पियाला वो किसी को भी, कभी भर कर नहीं देता
जिसे वो नींद देता है , उसे बिस्तर नहीं देता
कभी शीशा छुपाता है , कभी पत्थर नहीं देता
बहे गुस्सा मेरा कैसे , ख़ुदा अवसर नहीं देता
तुम्हारी हर ज़रूरत पर नज़र वो खूब रखता है
तुम्हारी ख़्वाहिशों पर ध्यान वो अक्सर नहीं देता
खुशी तुम भीतरी मांगो तो वो तस्लीम करता है
अगर बाहर के सुख मांगे तो वो भीतर नहीं देता
किया तुमने नहीं वादा शिकायत फिर मुझे क्यूँ हो
शिकायत उससे होती है , जो हाँ कहकर, नहीं देता
चलो तुम बांटते ही हो, अकड़ना क्या ज़रूरी है ?
यहाँ क्या बांटने वाला कभी झुक कर नहीं देता ?
रहा जब तक सुनी तुमने नहीं, जिस शख़्स की यारो
लिपट कर आज रोना क्यूँ , कि वो उत्तर नहीं देता
***********************************************
गिरिराज भंडारी --- संशोधित
Comment
आदरणीय मिथिले श भाई , हौसला अफ्ज़ाई का बेहद शुक्रिया । मिसरे सुधार रहा हूँ , अभी बस रात 11 तल फ्ल बदीह मे शे र कहना और सुबह वैसे के वैसे ही ओ बी ओ मे पोस्ट करना , चल रहा है , एक दिन भी गज़ल मेरे पास नही रह पाती , सोचने सुधारने के लिये , मै आपको मना किया करता था , और खुद वही काम कर रहा हूँ । लेकिन मजबूरी वश , अगर वहाँ पोस्ट पहले कर दिया तो ओ बी ओ मे नहीं कर पाऊँगा , यहाँ पोस्ट होना जियादा ज़रूरी है , आप सब के सहयोग से गलतियाँ सुधर जातीं हैं । आभार आपका ।
तुम्हारी ख़्वाहिशों पर वो नज़र अक्सर नहीं देता -- इस मिसरे की गलती समझ नही पाया -- नज़र को देना कहा इसलिये अगर है तो ये मज़बूरी है , काफिया मिलाने के लिये -- अगर और कुछ हो तो बताइयेगा ।
आदरणीय श्याम नारायण भाई , हौसला अफज़ाई का बहुत शुक्रिया ।
// चलो तुम बांटते ही हो, अकड़ना क्या ज़रूरी है ?
यहाँ क्या बांटने वाला कभी झुक कर नहीं देता ?// , बहुत खूबसूरत , बधाई इस रचना के लिए आदरणीय..
आदरणीय गिरिराज भंडारी जी बहुत उम्दा शेर हुए है दाद कबूल करें ...सादर
शिकायत उससे होती है , जो हाँ कहकर, नहीं देता....बहुत खूब
आदरणीय गिरिराज सर बढ़िया ग़ज़ल हुई है ...दाद कुबूल फरमाएं
इन मिसरों को देख लीजियेगा-
1. तुम्हारी ख़्वाहिशों पर वो नज़र अक्सर नहीं देता
2. अगर तुम बाहरी मांगे तो वो भीतर नहीं देता
3. किया तुमने नहीं वादा तो मुझे फिर क्यूँ शिकायत हो
आदरणीय श्याम नारायण भाई , गज़ल की सराहना के लिये आपका आभारी हूँ ।
बहुत उम्दा ... बहुत बहुत बधाई |
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2025 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online